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MP News: क्रूरता की श्रेणी में आता है बीमारी छुपाकर विवाह करना, पति के पक्ष में ज्यूडिशियल सेपरेशन के आदेश

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जबलपुर Published by: जबलपुर ब्यूरो Updated Sun, 07 Dec 2025 09:19 PM IST
सार

हाईकोर्ट ने माना कि विवाह से पूर्व मिर्गी की बीमारी छिपाना और पति-सास पर साजिश के झूठे आरोप लगाना क्रूरता है। मेडिकल दस्तावेज़ों से बीमारी पहले से साबित होने पर कुटुंब न्यायालय का आदेश निरस्त किया गया। युगलपीठ ने पति के पक्ष में ज्यूडिशियल सेपरेशन का आदेश जारी किया। 

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Marriage by concealing illness comes under the category of cruelty
मप्र हाईकोर्ट
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विस्तार
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हाईकोर्ट की जस्टिस विशाल धगट और जस्टिस बी.पी. शर्मा की युगलपीठ ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि बीमारी छुपाकर विवाह करना और बाद में बीमार करने की साजिश का झूठा आरोप लगाना क्रूरता की श्रेणी में आता है। ऐसा व्यवहार जीवनसाथी को मानसिक तनाव, आर्थिक हानि और भावनात्मक पीड़ा देता है। युगलपीठ ने कुटुंब न्यायालय के आदेश को निरस्त करते हुए अपीलकर्ता पति के पक्ष में ज्यूडिशियल सेपरेशन का आदेश जारी किया है।

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मंडला निवासी डॉ. महेंद्र कुशवाहा ने कुटुंब न्यायालय द्वारा उनके ज्यूडिशियल सेपरेशन आवेदन को खारिज किए जाने के विरुद्ध हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी। अपील में कहा गया था कि उनकी पत्नी के साथ अरेंज मैरिज हुई थी, और विवाह से पहले वह मिर्गी की बीमारी से पीड़ित थीं, लेकिन यह तथ्य उनसे छुपाया गया। विवाह के बाद जून और जुलाई 2022 में पत्नी को मिर्गी के दौरे आने पर उन्हें इसकी जानकारी मिली, जिसके बाद उन्होंने ज्यूडिशियल सेपरेशन के लिए आवेदन किया था।
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सुनवाई के दौरान पत्नी ने बीमारी से इंकार करते हुए पति और सास पर बदनीयती से बहुत मीठा खाना खिलाकर उन्हें बीमार करने का आरोप लगाया। पत्नी की ओर से तर्क दिया गया कि बीमारी के कठिन समय में ज्यूडिशियल सेपरेशन देना उसके साथ क्रूरता होगी, तथा पति को उनकी देखभाल करनी चाहिए। उसने दावा किया कि मिर्गी का इलाज संभव है और यह बीमारी विवाह के बाद हुई है।

युगलपीठ ने कहा कि विवाह से पहले लोग बायोडाटा देखते हैं, एक-दूसरे से मिलते हैं और परिवार की सहमति के बाद ही साथी चुनते हैं। यदि अपीलकर्ता को विवाह पूर्व बीमारी की जानकारी होती, तो संभव है वह यह विवाह न करते। कोर्ट ने माना कि विवाह के बाद बीमारी हो तो पति का दायित्व है कि वह पत्नी की देखभाल करे, लेकिन यहां सच छिपाकर धोखा किया गया। मेडिकल दस्तावेज़ स्पष्ट बताते हैं कि पत्नी को विवाह से पहले ही यह बीमारी थी। इसके बावजूद पति और सास पर साजिश का झूठा आरोप लगाया गया, जो क्रूरता की श्रेणी में आता है, जैसा कि हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 की धारा 13(1)(i-a) में परिभाषित है। इन निष्कर्षों के आधार पर युगलपीठ ने कुटुंब न्यायालय का आदेश निरस्त कर पति के पक्ष में ज्यूडिशियल सेपरेशन का आदेश पारित किया है।

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