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Jabalpur News: दो किस्त जमा नहीं होने पर टीआई ने जब्त किया फाइनेंस वाहन, हाईकोर्ट ने DGP से मांगा स्पष्टीकरण

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जबलपुर Published by: जबलपुर ब्यूरो Updated Fri, 21 Feb 2025 06:35 PM IST
सार

जबलपुर हाईकोर्ट ने फाइनेंस वाहन जब्ती मामले में थाना प्रभारी की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए डीजीपी से शपथ-पत्र में स्पष्टीकरण मांगा है। यदि कार्रवाई अवैध पाई गई, तो संबंधित अधिकारी पर कार्रवाई होगी। अगली सुनवाई 11 मार्च को होगी। 

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TI seized finance vehicle due to non payment of installment
high court - फोटो : credit
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विस्तार
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फाइनेंस वाहन की दो किस्तें जमा न करने पर वाहन जब्त करने के मामले में थाना प्रभारी की कार्रवाई को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को निर्देश दिया है कि वे व्यक्तिगत शपथ-पत्र में स्पष्ट करें कि थाना प्रभारी ने किस अधिकार के तहत वाहन जब्त किया। यदि यह कार्रवाई नियमों के विरुद्ध पाई जाती है, तो संबंधित थाना प्रभारी के खिलाफ की गई कार्रवाई का ब्यौरा भी पेश किया जाए।

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याचिका का मामला और आरोप
यह याचिका हरदा निवासी आसिफ कय्यूम खान ने दायर की थी। उन्होंने बताया कि उन्होंने एचबीडी फाइनेंशियल सर्विसेज से वाहन फाइनेंस करवाया था, लेकिन दो किस्तें जमा नहीं कर पाए। इसी आधार पर नर्मदापुरम जिले के सिवनी मालवा थाने के प्रभारी ने उनका वाहन जब्त कर फाइनेंस कंपनी को सौंप दिया। याचिकाकर्ता का आरोप है कि थाना प्रभारी ने फाइनेंस कंपनी के अधिकारी के कहने पर नियमों के खिलाफ काम करते हुए उनके वाहन को जब्त किया।

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हाईकोर्ट का निर्देश
हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए डीजीपी को आदेश दिया कि वे शपथ-पत्र में स्पष्ट करें कि क्या थाना प्रभारी किसी निजी वित्तीय कंपनी के कहने पर वाहन जब्त करने के लिए अधिकृत हैं। यदि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, तो उनके खिलाफ की गई कार्रवाई का विवरण भी प्रस्तुत किया जाए। हाईकोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि क्या कोई थाना प्रभारी निजी फाइनेंस कंपनी के एजेंट के रूप में काम कर सकता है और कानून के तहत ऐसे किसी अधिकारी के पास वाहन जब्त करने का अधिकार है या नहीं। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि यदि यह कृत्य कानूनी रूप से अनुचित पाया जाता है, तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जानी चाहिए।

मामले की अगली सुनवाई 11 मार्च को निर्धारित की गई है। इस दौरान डीजीपी को अपने स्पष्टीकरण के साथ शपथ-पत्र अदालत में पेश करना होगा। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ओम शंकर पांडे ने पैरवी की।

 

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