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Khargone News: बेटा-पत्नी-मां समेत पहचान वालों के खातों में डाली राहत राशि, चार बाबू नौकरी से बर्खास्त

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, खरगोन Published by: खरगोन ब्यूरो Updated Wed, 24 Dec 2025 05:20 PM IST
सार

खरगोन में योजना की राशि वितरण में अनियमितता उजागर होने पर कलेक्टर भव्या मित्तल ने चार सहायक ग्रेड-3 कर्मचारियों को बर्खास्त किया। इन पर 13 साल में 16 लाख गबन का आरोप है। एक निजी ऑपरेटर पर भी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
 

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Relief funds were deposited into the accounts of acquaintances; four clerks were dismissed from their jobs.
खरगोन कलेक्टर भव्या मित्तल।
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विस्तार
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आरबीसी 6 (4) के तहत राहत राशि वितरण में गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के मामले सामने आने के बाद जिला प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। कलेक्टर भव्या मित्तल ने तहसील कार्यालयों में पदस्थ चार सहायक ग्रेड-3 कर्मचारियों को शासकीय सेवा से बर्खास्त कर दिया है। साथ ही, इस पूरे मामले में शामिल एक निजी ऑपरेटर के खिलाफ भी वैधानिक कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। बर्खास्त किए गए कर्मचारियों में भीकनगांव तहसील के संतोष मंडलोई, भगवानपुरा तहसील के मनीष चौहान और प्रवीण मंडलोई तथा खरगोन तहसील ग्रामीण के मनोज कदम शामिल हैं। बताया जा रहा है करीब 13 साल में 16 लाख रुपए का गबन किया गया।

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निजी ऑपरेटर पर भी होगी कार्रवाई
इनके अलावा निजी ऑपरेटर श्याम सोलंकी के विरुद्ध गोगांवा तहसीलदार को नियमानुसार कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। महालेखाकार मध्यप्रदेश ग्वालियर द्वारा प्रस्तुत ऑडिट प्रतिवेदनों में खुलासा हुआ कि इन कर्मचारियों ने राहत राशि वितरण के दौरान लाखों रुपए की अनियमितताएं कीं। जांच में सामने आया कि भीकनगांव तहसील के संतोष मंडलोई ने अपने पुत्र, पत्नी, एक ठेकेदार तथा ठेकेदार के पुत्र के खातों में राहत राशि डलवाई। वहीं भगवानपुरा तहसील के मनीष चौहान ने स्वयं, पत्नी, पिता और बहन के खातों में राशि स्थानांतरित की। इसी प्रकार प्रवीण मंडलोई और मनोज कदम ने निजी ऑपरेटर श्याम सोलंकी के माध्यम से पात्र हितग्राहियों की राहत राशि अपात्र व्यक्तियों के खातों में डलवाई।
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सिविल सेवा नियम के तहत की कार्रवाई
यह कृत्य न केवल शासकीय नियमों का उल्लंघन पाया गया, बल्कि शासन की जनकल्याणकारी योजना की राशि के दुरुपयोग का गंभीर मामला भी सामने आया। मामले में मध्यप्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम 14 के अंतर्गत अनुशासनात्मक जांच पूर्ण की गई। जांच में दोष सिद्ध होने पर चारों कर्मचारियों पर नियम 10 के अंतर्गत नियम 9 के तहत दीर्घ शास्ति अधिरोपित करते हुए शासकीय सेवा से बर्खास्त करने का आदेश जारी किया गया।

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