मध्यप्रदेश में 'कमल' या 'नाथ'? फैसला आज, बहुमत परीक्षण से पहले इस्तीफा दे सकते हैं सीएम
मध्यप्रदेश में पिछले कई दिनों से जारी सियासी घमासान के खात्मे के लिए आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने कमलनाथ सरकार को बहुमत परीक्षण का सामना करने का आदेश दिया। कोर्ट ने राज्य सरकार को अपना बहुमत साबित करने के लिए शुक्रवार को विधानसभा में शाम पांच बजे तक का समय दिया है।
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मध्यप्रदेश की सियासत बीते 10 दिन में कई करवट ले चुकी है। ताजा घटनाक्रम में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने स्वीकार कर लिया है कि अब उनकी सरकार सुरक्षित नहीं है। दिग्विजय सिंह ने कहा कि पैसे और सत्ता के दम पर बहुमत वाली सरकार को अल्पमत में लाया गया है। वहीं मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आज दोपहर 12 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई है। राज्य के सियासी गलियारों से खबर है कि वह बहुमत परीक्षण से पहले ही इस्तीफा दे सकते हैं। इसके साथ ही कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक कांग्रेस के सभी बागी 16 विधायकों के इस्तीफे भी मंजूर हो चुके हैं।
16 बागी विधायकों का इस्तीफा मंजूर
मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने बृहस्पतिवार देर रात कांग्रेस के 16 बागी विधायकों के इस्तीफे मंजूर कर लिए। इन सभी विधायकों ने छह अन्य विधायकों के साथ 10 मार्च को अपना इस्तीफा दिया था लेकिन प्रजापति ने इनके इस्तीफों पर कोई फैसला नहीं लिया था। हालांकि उन्होंने छह अन्य के इस्तीफे मंजूर कर लिए थे। ये सभी 16 विधायक अभी बंगलूरू में ठहरे हुए हैं।
विधायकों के इस्तीफे स्वीकार करने के बाद छलका स्पीकर का दर्द
कांग्रेस के बागी 16 विधायकों के इस्तीफे मंजूर करने के बाद विधानसभा स्पीकर एनपी प्रजापति का दर्द छलक गया है। स्पीकर एनपी प्रजापति ने कहा कि वे दुखी हैं। कहा कि और उन्होंने भारी मन से ये इस्तीफे इसलिए स्वीकार किए क्योंकि बागी विधायक मेरे खिलाफ ही कोर्ट में खड़े हो गए... ये लोकतंत्र की बिडंबना है।बहुमत परीक्षण से पहले कांग्रेस-भाजपा ने जारी किया व्हिप
मध्यप्रदेश कांग्रेस विधायक दल ने बृहस्पतिवार को अपने सभी विधायकों को व्हिप जारी किया। इसमें कहा गया है कि वे सभी 20 मार्च को विधानसभा में मौजूद रहें और बहुमत परीक्षण के दौरान कमलनाथ सरकार के पक्ष में मतदान करें। वहीं दूसरी ओर, भाजपा ने भी अपने विधायकों को व्हिप जारी कर कमलनाथ सरकार के खिलाफ मतदान करने को कहा है।
आज शाम पांच बजे तक बहुमत साबित करे कमलनाथ सरकार : सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत अन्य भाजपा विधायकों की कमलनाथ सरकार के बहुमत परीक्षण की मांग वाली याचिकाओं पर दो दिन से सुनवाई कर रही थी। पीठ ने विधानसभा के स्पीकर को विशेष सत्र बुलाने और राज्य सरकार को सदन में अपना बहुमत साबित करने का निर्देश दिया।
पीठ ने विधायकों से अपना हाथ उठाकर मत प्रकट करने का निर्देश दिया। विधानसभा की पूरी कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग का भी आदेश दिया गया है। पीठ ने यह भी साफ किया, विधानसभा सत्र बुलाने का एकमात्र एजेंडा बहुमत परीक्षण कराना होगा। संबंधित अथॉरिटी यह सुनिश्चित करेगी कि बहुमत परीक्षण के दौरान सदन में कानून व्यवस्था कायम रहे।
इसके अलावा पीठ ने यह भी कहा कि अगर 16 बागी विधायक विधानसभा की कार्यवाही में शामिल होना चाहते हैं तो कर्नाटक व मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक उन्हें सुरक्षा मुहैया कराए। पीठ ने कहा कि वह बागी विधायकों को यह आदेश नहीं दे सकती कि वे विधानसभा की कार्यवाही में शामिल हो या नहीं। यह उन विधायकों की इच्छा पर निर्भर करता है।
नई सरकार के बनने का रास्ता होगा साफ
बहुमत परीक्षण में कमलनाथ सरकार पराजित होगी और नई सरकार के बनने का रास्ता साफ होगा। हम माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सिर झुकाकर अभिनंदन करते हैं। शुक्रवार को दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा।
- शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री
कांग्रेस बहुमत परीक्षण के लिए तैयार
हम बहुमत परीक्षण के लिए हमेशा से तैयार थे, मुख्यमंत्री पहले ही कह चुके हैं। अगवा विधायकों का मौजूद रहना भी जरूरी है। विधानसभा को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करना होगा। हमें बहुमत हासिल करने का विश्वास है।
- जीतू पटवारी, कमलनाथ सरकार में मंत्री
विधानसभा की स्थिति
| कुल सदस्य | 222 |
| बहुमत के लिए | 112 |
| कांग्रेस | 92 |
| बागी | 22 |
| भाजपा | 107 |