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Bangladesh: नहीं कम हो रहीं शेख हसीना की मुश्किलें, बांग्लादेश की कोर्ट ने इस मामले में दी 21 साल जेल की सजा
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, ढाका
Published by: पवन पांडेय
Updated Thu, 27 Nov 2025 01:19 PM IST
सार
ढाका की एक अदालत ने गुरुवार को बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को भ्रष्टाचार के मामलों में 21 साल की सजा सुनाई है। यह सजा तीन प्लॉट घोटाले के मामलों में दी गई है, जिसमें प्रत्येक मामले में सात-सात साल की कैद शामिल है। यह फैसला ढाका के स्पेशल जज-पांच मोहम्मद अब्दुल्ला अल मामून ने सुनाया।
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शेख हसीना, बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री
- फोटो : ANI
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विस्तार
बांग्लादेश की एक कोर्ट ने गुरुवार को अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को भ्रष्टाचार के तीन मामलों में 21 साल जेल की सजा सुनाई। बांग्लादेश की सरकारी न्यूज एजेंसी बीएसएस ने बताया कि ये तीनों मामले पुरबाचोल में राजुक न्यू टाउन प्रोजेक्ट में प्लॉट बांटने में कथित गड़बड़ियों को लेकर दर्ज किए गए थे। जज ने दोषी की गैरमौजूदगी में यह फैसला सुनाया क्योंकि उसे अभी गिरफ्तार नहीं किया गया है और उसकी गैरमौजूदगी में ही उस पर मुकदमा चलाया गया था।
यह भी पढ़ें - Bangladesh: बांग्लादेश में झुग्गी-बस्ती में लगी आग से जलीं 1500 से ज्यादा झोपड़ियां, हजारों लोग बेघर हुए
तीन मामले में सात-सात साल की जेल
बता दें कि शेख हसीना को हर मामले में सात साल की सजा सुनाई गई, यानी कुल 21 साल जेल। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, 'शेख हसीना को प्लॉट बिना किसी अर्जी के और कानूनी तौर पर तय अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर दिया गया था।'
क्या है पूरा मामला?
बांग्लादेश एंटी-करप्शन कमीशन (एसीसी) ने इस साल जनवरी में शेख हसीना और उनके परिवार के खिलाफ छह अलग-अलग मामले दर्ज किए थे। आरोप था कि उन्होंने ढाका के पूर्वाचल इलाके में सरकारी प्लॉटों का अवैध रूप से आवंटन किया। आज जिन तीन मामलों में फैसला आया है, बाकी तीन मामलों का फैसला 1 दिसंबर को सुनाया जाएगा।
परिवार पर भी कार्रवाई
वहीं इस मामले में शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय को पांच साल की कैद और एक लाख टका जुर्माना और उनकी बेटी साइमा वाजेद पुतुल को भी पांच साल जेल की सजा सुनाई गई है। शेख हसीना और उनके परिवार की ओर से किसी भी मामले में कोई वकील मौजूद नहीं था, क्योंकि वे लंबे समय से फरार हैं। हालांकि, वे कई बयानों में भ्रष्टाचार के सभी आरोपों को झूठा और राजनीतिक साजिश बताते रहे हैं।
पहले ही मिल चुकी है मौत की सजा
इससे पहले ह बांग्लादेश की राजधानी ढाका में मौजूद अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने शेख हसीना को मानवता विरोधी अपराधों के आरोप में फांसी की सजा सुनाई थी। यह आरोप जुलाई 2024 में सरकार विरोधी आंदोलनों को दबाने के दौरान हुई हिंसा से जुड़े हैं।
यह भी पढ़ें - Garuda Exercise: फ्रांस और भारत ने दुनिया को दिखाई अपनी ताकत, वायुसेनाओं के साझा अभ्यास में गरजे लड़ाकू विमान
भारत से प्रत्यर्पण की मांग
इसी बीच बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत से शेख हसीना को वापस भेजने का अनुरोध किया है। भारत ने बताया कि यह अनुरोध मिल चुका है और उसे कानूनी प्रक्रिया के तहत जांच किया जा रहा है। इस मामले में भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, 'भारत बांग्लादेश के लोगों की शांति, लोकतंत्र और स्थिरता के हितों के अनुसार इस पूरे मामले पर विचार कर रहा है और सभी पक्षों से बातचीत जारी रखेगा।'
कैसे पहुंची स्थिति यहां तक?
जुलाई 2024 में बांग्लादेश में छात्रों ने बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी आंदोलन शुरू किया था। स्थिति बिगड़ने पर शेख हसीना ने 5 अगस्त 2024 को देश छोड़ दिया और भारत में शरण ली। इसके बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनाई गई।
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तीन मामले में सात-सात साल की जेल
बता दें कि शेख हसीना को हर मामले में सात साल की सजा सुनाई गई, यानी कुल 21 साल जेल। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, 'शेख हसीना को प्लॉट बिना किसी अर्जी के और कानूनी तौर पर तय अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर दिया गया था।'
क्या है पूरा मामला?
बांग्लादेश एंटी-करप्शन कमीशन (एसीसी) ने इस साल जनवरी में शेख हसीना और उनके परिवार के खिलाफ छह अलग-अलग मामले दर्ज किए थे। आरोप था कि उन्होंने ढाका के पूर्वाचल इलाके में सरकारी प्लॉटों का अवैध रूप से आवंटन किया। आज जिन तीन मामलों में फैसला आया है, बाकी तीन मामलों का फैसला 1 दिसंबर को सुनाया जाएगा।
परिवार पर भी कार्रवाई
वहीं इस मामले में शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय को पांच साल की कैद और एक लाख टका जुर्माना और उनकी बेटी साइमा वाजेद पुतुल को भी पांच साल जेल की सजा सुनाई गई है। शेख हसीना और उनके परिवार की ओर से किसी भी मामले में कोई वकील मौजूद नहीं था, क्योंकि वे लंबे समय से फरार हैं। हालांकि, वे कई बयानों में भ्रष्टाचार के सभी आरोपों को झूठा और राजनीतिक साजिश बताते रहे हैं।
पहले ही मिल चुकी है मौत की सजा
इससे पहले ह बांग्लादेश की राजधानी ढाका में मौजूद अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने शेख हसीना को मानवता विरोधी अपराधों के आरोप में फांसी की सजा सुनाई थी। यह आरोप जुलाई 2024 में सरकार विरोधी आंदोलनों को दबाने के दौरान हुई हिंसा से जुड़े हैं।
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भारत से प्रत्यर्पण की मांग
इसी बीच बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत से शेख हसीना को वापस भेजने का अनुरोध किया है। भारत ने बताया कि यह अनुरोध मिल चुका है और उसे कानूनी प्रक्रिया के तहत जांच किया जा रहा है। इस मामले में भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, 'भारत बांग्लादेश के लोगों की शांति, लोकतंत्र और स्थिरता के हितों के अनुसार इस पूरे मामले पर विचार कर रहा है और सभी पक्षों से बातचीत जारी रखेगा।'
कैसे पहुंची स्थिति यहां तक?
जुलाई 2024 में बांग्लादेश में छात्रों ने बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी आंदोलन शुरू किया था। स्थिति बिगड़ने पर शेख हसीना ने 5 अगस्त 2024 को देश छोड़ दिया और भारत में शरण ली। इसके बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनाई गई।
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