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पन्ना में मिला हीरा: एक दिन पहले ली खदान, और मिला 50 लाख का हीरा, सामने आया विवाद- दो लोगों ने किया दावा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पन्ना
Published by: दिनेश शर्मा
Updated Wed, 09 Jul 2025 10:35 AM IST
सार
पन्ना में 11.95 कैरेट का लगभग 50 लाख रुपये कीमत का हीरा मिलने पर विवाद खड़ा हो गया है। हीरा माधव आदिवासी ने जमा कराया, लेकिन निसार खान व अन्य ने दावा किया। खदान का पट्टा भी उसी दिन जारी हुआ था। अधिकारी मामले की जांच कर रहे हैं।
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पन्ना में मिला 50 लाख का हीरा
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
रत्नगर्भा नाम से प्रसिद्ध हीरा नगरी पन्ना में 11.95 कैरेट का एक बेशकीमती हीरा मिलने का मामला सामने आया है। जहां इस हीरे की अनुमानित कीमत तकरीबन 50 लाख रुपए और उसके ऊपर बताई जा रही है। पन्ना हीरा कार्यालय में यह हीरा माधव आदिवासी के नाम से जमा किया गया है। इस मामले में विवाद तब खड़ा हो गया, जब दो अलग-अलग व्यक्तियों ने हीरे पर अपना-अपना दावा पेश करने लगे। इसमें निसार खान और एक अन्य व्यक्ति ने इस पर आपत्ति जताई है। वहीं अब अधिकारियों ने मामले की जांच का आश्वासन दिया है।
मामले में पुष्पेंद्र तिवारी का कहना है कि यह हीरा हीरापुर की उथली खदान में मिला था। उन्होंने बताया कि जुलाई 2024 में उन्होंने निसार खान और श्रीपाल जैन के साथ मिलकर हीरापुर में खनन का काम शुरू किया था। जहां तीनों की पार्टनरी में पुष्पेंद्र की 70%, निसार की 20% और श्रीपाल की 10% हिस्सेदारी थी।
ये भी पढ़ें- दो साल की मेहनत के बाद चमकी महिला की किस्मत, 2.69 कैरेट का हीरा मिला; कीमत लाखों में
जमा करवाया गया हीरा
बता दें कि माधव आदिवासी उर्फ रामसिंह उनके लिए मजदूरों से काम करवाता था। कुछ दिनों बाद वह काम से गायब हो गया। 8 जुलाई 2025 को उसने अचानक यह हीरा जमा करवा दिया।
ये भी पढ़ें- गद्दार निकला दोस्त, 4 कैरेट 85 सेंट के बेशकीमती हीरे को देख बदली नीयत
उसी दिन पट्टा जारी उसी दिन मिला हीरा
मामले में हीरा अधिकारी रवि पटेल के अनुसार, माधव आदिवासी ने यह हीरा कृष्ण कल्याणपुर की उथली हीरा खदान के नाम से जमा करवाया है। खास बात यह है कि जिस खदान के नाम से हीरा जमा किया गया, उसका पट्टा भी उसी दिन जारी किया गया था।
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मामले में पुष्पेंद्र तिवारी का कहना है कि यह हीरा हीरापुर की उथली खदान में मिला था। उन्होंने बताया कि जुलाई 2024 में उन्होंने निसार खान और श्रीपाल जैन के साथ मिलकर हीरापुर में खनन का काम शुरू किया था। जहां तीनों की पार्टनरी में पुष्पेंद्र की 70%, निसार की 20% और श्रीपाल की 10% हिस्सेदारी थी।
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जमा करवाया गया हीरा
बता दें कि माधव आदिवासी उर्फ रामसिंह उनके लिए मजदूरों से काम करवाता था। कुछ दिनों बाद वह काम से गायब हो गया। 8 जुलाई 2025 को उसने अचानक यह हीरा जमा करवा दिया।
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उसी दिन पट्टा जारी उसी दिन मिला हीरा
मामले में हीरा अधिकारी रवि पटेल के अनुसार, माधव आदिवासी ने यह हीरा कृष्ण कल्याणपुर की उथली हीरा खदान के नाम से जमा करवाया है। खास बात यह है कि जिस खदान के नाम से हीरा जमा किया गया, उसका पट्टा भी उसी दिन जारी किया गया था।

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