सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Madhya Pradesh ›   Raisen News ›   MP News: Bhojeshwar is a 10th century temple with a unique huge Shivalinga

MP News: उत्तर भारत का 'सोमनाथ'... क्यों है आज भी अधूरा? हैरान कर देगी इस मंदिर के रहस्यमय निर्माण की गाथा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, रायसेन Published by: अर्पित याज्ञनिक Updated Tue, 25 Feb 2025 07:17 AM IST
विज्ञापन
सार

यह मंदिर अधूरा रह गया, लेकिन इसकी भव्य वास्तुकला, नक्काशीदार गुंबद और विशाल खंभों वाली संरचना इसे अद्वितीय बनाती है। सैटेलाइट से देखने पर इस क्षेत्र की पहाड़ी ॐ आकृति में दिखती है, जिसके केंद्र में शिवलिंग स्थित है। राजधानी भोपाल से 30 किलोमीटर दूर स्थित यह मंदिर मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है।

MP News: Bhojeshwar is a 10th century temple with a unique huge Shivalinga
विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग। - फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

10वीं शताब्दी का प्राचीन विश्व का सबसे बड़ा विशाल शिवलिंग मंदिर है। श्रावण माह में विश्व प्रसिद्द शिवलिंग मंदिर भोजपुर में भक्तों का तांता लगा रहता हैं। 10 बी सदी में राजा भोज के समय का विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग मंदिर निर्माण बताया जाता है। रायसेन जिले के भोजपुर में विश्व प्रसिद्ध विशाल शिवलिंग मंदिर है, जिसे पांडव कालीन समय का बताया जाता है। इसे 10वीं सदी का भी बताया जाता है। लोगों का कहना है कि इसे राजा भोज ने बनाया था। भोजपुर में सुबह 7 बजे से भक्तों का मेला लग जाता है। रोजाना सैकड़ों भक्तों के द्वारा शिव अभिषेक, प्रशासन और पुरातत्व विभाग की सुरक्षा इंतजमात में किया जाता है।
loader
Trending Videos

MP News: Bhojeshwar is a 10th century temple with a unique huge Shivalinga
भोजेश्वर मंदिर। - फोटो : अमर उजाला
मंदिर वास्तुकला का एक अद्वितीय उदाहरण
रायसेन जिले के भोजपुर का भोजेश्वर मंदिर 11 सदी से 13वीं सदी की मंदिर वास्तुकला का एक अद्वितीय उदाहरण है। अगर यह मंदिर पूर्णरूप से निर्मित होता तो पुराने भारत का अपनी तरह का एक आश्चर्य होता है। मंदिर में पूरी तरह भरा हुआ नक्काशीदार गुम्बद और पत्थर की संरचनाएं, जटिल नक्काशी से तैयार किये गए प्रवेश द्वार और उनके दोनों तरफ उत्कृष्टता से गढ़ी गई आकृतियां देखने वालों का स्वागत करती हैं। मंदिर की बालकनियों को विशाल कोष्ठक और खंभों का सहारा दिया गया है। मंदिर की बाहरी दीवारों और ढांचे को कभी बनाया ही नहीं गया। मंदिर को गुंबद के स्तर तक बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया गया मिट्टी का रैंप अभी तक दिखाई पड़ता है, जो हमें इमारत निर्माण कला (चिनाई) में पुरातन बुद्धिमत्ता का स्वाद चखाता है।
विज्ञापन
विज्ञापन

MP News: Bhojeshwar is a 10th century temple with a unique huge Shivalinga
भोजेश्वर मंदिर। - फोटो : अमर उजाला
राजधानी भोपाल से है लगभग 30 किलोमीटर दूर
भोजपुर, बलुआ पत्थर की रिज पर स्थित 11वीं सदी का एक शहर है। यह मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। बेतवा नदी इस प्राचीन शहर के पास बहती है। भोजेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित भोजपुर नामक गांव में बना एक मंदिर है। इसे भोजपुर मंदिर भी कहते हैं। यह मंदिर बेतवा नदी के तट पर विन्ध्य पर्वतमालाओं के मध्य एक पहाड़ी पर स्थित है। मंदिर का निर्माण और इसके शिवलिंग की स्थापना धार के प्रसिद्ध परमार राजा भोज (1010-1053 ई॰) ने करवाई थी। उनके नाम पर ही इसे भोजपुर मंदिर या भोजेश्वर मन्दिर भी कहा जाता है। 

MP News: Bhojeshwar is a 10th century temple with a unique huge Shivalinga
भोजेश्वर मंदिर। - फोटो : अमर उजाला
पहाड़ी पर दिखती है ॐ आकृति
हालांकि कुछ किंवदंतियों के अनुसार इस स्थल के मूल मंदिर की स्थापना पांडवों द्वारा की गई मानी जाती है। इसे "उत्तर भारत का सोमनाथ" भी कहा जाता है। सैटेलाइट से देखने पर यहां की पहाड़ी ॐ आकार की दिखती है, जिसके मध्य भोजपुर शिवलिंग मंदिर है।

MP News: Bhojeshwar is a 10th century temple with a unique huge Shivalinga
भोजेश्वर मंदिर। - फोटो : अमर उजाला
पांडवों ने भी की थी पूजा 
माना जाता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडवों की माता कुंती ने इस मंदिर में आकर भगवान शिव की पूजा अर्चना की थी। जैसे ही सुबह हुई पांडव लुप्त हो गए और मंदिर अधूरा ही रह गया। माता कुंती की हाइट 25 फिट बताई जाती है। वहीं, शिवलिंग की ऊंचाई 11 फिट है। साल में दो बार यहां मेला लगता है। एक बार संक्रांति के दौरान और दूसरा शिवरात्रि के समय। इस दौरान दूर-दराज से लाखों की संख्या में लोग यहां आते हैं। 

MP News: Bhojeshwar is a 10th century temple with a unique huge Shivalinga
भोजेश्वर मंदिर। - फोटो : अमर उजाला
सात विशेषताएं
  • भोजपुर मंदिर के महंत पवन गिरी के अनुसार विशाल शिवलिंग मंदिर की सात विशेषताएं हैं। भोजपुर शिव मंदिर की पहली विशेषता इसका विशाल शिवलिंग हैं, जो कि एक ही पत्थर से निर्मित विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग है। सम्पूर्ण शिवलिंग कि लंबाई 5.5 मीटर (18 फीट), व्यास 2.3 मीटर (7.5 फीट), तथा केवल लिंग कि लंबाई 3.85 मीटर (12 फीट) है।
  • भोजेश्वर शिव मंदिर की दूसरी विशेषता भोजेश्वर मंदिर के पीछे के भाग में ढलान बना है, जिसका उपयोग निर्माणाधीन मंदिर के समय विशाल पत्थरों को ढोने के लिए किया गया था। पूरे विश्व में कहीं भी अवयवों को संरचना के ऊपर तक पहुंचाने के लिए ऐसी प्राचीन भव्य निर्माण तकनीक उपलब्ध नहीं है। ये एक प्रमाण के तौर पर है, जिससे ये रहस्य उजागर होता है कि आखिर कैसे 70 टन भार वाले विशाल पत्थरों का मंदिर शीर्ष तक पहुंचाया गया।
  • भोजपुर की तीसरी विशेषता भोजेश्वर मंदिर का निर्माण अधूरा क्यों रखा गया? इस बात का इतिहास में कोई पुख्ता प्रमाण तो नहीं है पर ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर एक ही रात में निर्मित होना था, परन्तु छत का काम पूरा होने के पहले ही सुबह हो गई। इसलिए काम अधूरा रह गया।
  • भोजपुर की चौथी विशेषता भोजेश्वर मंदिर की गुम्बदाकार छत है। चूकि इस मंदिर का निर्माण भारत में इस्लाम के आगमन के पहले हुआ था अतः इस मंदिर के गर्भगृह के ऊपर बनी अधूरी गुम्बदाकार छत भारत में ही गुम्बद निर्माण के प्रचलन को प्रमाणित करती है। भले ही उनके निर्माण की तकनीक भिन्न हो। कुछ विद्धान इसे भारत में सबसे पहले गुम्बदीय छत वाली इमारत मानते हैं। इस मंदिर का दरवाजा भी किसी हिंदू इमारत के दरवाजों में सबसे बड़ा है।
  • भोजपुर मंदिर की पांचवीं विशेषता इस मंदिर में 40 फीट ऊंचाई वाले इसके चार स्तम्भ हैं। गर्भगृह की अधूरी बनी छत इन्हीं चार स्तंभों पर टिकी है।
  • भोजपुर मंदिर की छठी विशेषता ये है कि इसके अतिरिक्त भूविन्यास, सतम्भ, शिखर, कलश और चट्टानों की सतह पर आशुलेख की तरह उत्कीर्ण नहीं किए हुए हैं। भोजेश्वर मंदिर के विस्तृत चबूतरे पर ही मंदिर के अन्य हिस्सों, मंडप, महामंडप तथा अंतराल बनाने की योजना थी। ऐसा मंदिर के निकट के पत्थरों पर बने मंदिर-योजना से संबद्ध नक्शों से पता चलता है।
  • भोजपुर मंदिर की सातवीं विशेषता यह है कि इस प्रसिद्ध स्थल में वर्ष में दो बार वार्षिक मेले का आयोजन किया जाता है। मकर संक्रांति व महाशिवरात्रि पर्व के समय। इस धार्मिक उत्सव में भाग लेने के लिए दूर दूर से लोग यहां पहुंचते हैं। महाशिवरात्रि पर यहां तीन दिवसीय भोजपुर महोत्सव का भी आयोजन किया जाने लगा है।

MP News: Bhojeshwar is a 10th century temple with a unique huge Shivalinga
भोजेश्वर मंदिर। - फोटो : अमर उजाला
कहा जाता है उत्तर भारत का सोमनाथ
कहा जाता है कि राजा भोज को चर्मरोग (कोढ़) हो गया था। तब किसी ऋषि ने बताया कि 9 नदी 99 नाले के पानी को रोककर तालाब बनाएं और शिवलिंग का अभिषेक कर स्नान करें। ऐसा ही किया गया। इसके बाद उनका चर्मरोग (कोढ़) ठीक हो गया था। उस विशाल तालाब के पानी से शिवमंदिर में स्थापित विशाल शिवलिंग का अभिषेक भी किया जाता था। आज इसे भोजेश्वर धाम को उत्तर भारत का सोमनाथ कहा जाता है।
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed