Ratlam: 2 बार अस्पताल से लौटाया, तीसरी बार ठेले से प्रसूता को ले जाते समय रास्ते में हुई डिलीवरी, नवजात की मौत
रतलाम जिले के सैलाना में अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही से एक महिला ने ठेलागाड़ी में ही बच्चे को जन्म दिया, जिससे नवजात की मौत हो गई। महिला के पति ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। एसडीएम ने जांच कर उचित कार्रवाई की बात कही है।

विस्तार
रतलाम के सैलाना नगर में मानवता को शर्मसार करने का मामला सामने आया है। प्रसव पीड़ा होने के बाद दो बार महिला का पति उपचार के लिए सामूदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गया। लेकिन मौजूद स्टॉफ ने उसे बच्चा देर से होने की बात कहते हुए लौटा दिया। तीसरी बार जब अधिक प्रसव पीड़ा होने पर वह उसे ठेला गाड़ी से लगभग स्वास्थ्य केंद्र ले जा रहा था। तभी रास्ते में उसकी डिलीवरी हो गई, जिसमें बच्चे की मौत हो गई।

सैलाना के कालिका माता रोड निवासी कृष्णा पिता देवीलाल ग्वाला थेलागाड़ी में चने सिंगदाने बेचने का काम करता है। उसने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मियों की लापरवाही के कारण उनकी पत्नी नीतू के गर्भ में ही बच्चे की मौत हो गई है। उसने बताया कि 23 मार्च सुबह नौ बजे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डिलीवरी के लिए पत्नी नीतू को लेकर गया था। जहां पर उपस्थित नर्स चेतना चारेल ने गर्भवती पत्नी को देखकर कहा कि अभी बच्चा होने में दो-तीन दिन की देरी है। इसलिए वह उसे वापस घर ले जाए। इस पर वह नीतू को घर ले कर आ गया। लेकिन 23 मार्च की रात एक बजे उनकी पत्नी को फिर प्रसव पीड़ा हुई तो कृष्णा पत्नी नीतू को अस्पताल लेकर पहुंचा। यहां ड्यूटी नर्स गायत्री पाटीदार ने चेकअप कर 15 घंटे का समय बताकर उसे भर्ती नहीं किया। नर्स के कहने पर वह पत्नी को लेकर घर आ गया।
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कृष्णा ग्वाला ने बताया कि लगभग एक घंटे बाद ही फिर उसकी पत्नी को प्रसव पीड़ा हुई तो वह ठेला गाड़ी से उसे अस्पताल ले जा रहा था, तभी रास्ते में ही डिलीवरी हो गई और बच्चे की मौत हो गई। कृष्णा ने एसडीएम मनीष जैन को दी शिकायत में बच्चे की मौत का जिम्मेदार अस्पताल प्रशासन को ठहराया है। उसने जांच कर जिम्मेदार दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। कृष्णा ने बताया कि 2023 में उसकी पहली पत्नी की डिलीवरी हुई थी, जिससे उसे एक लड़का है।
हमारी लापरवाही नहीं रही
ड्यूटी नर्स चेतना चारेल ने बताया कि महिला को उसका पति लेकर आया था। उसका चेकअप किया था। उन्हें दो-तीन दिन बाद आने का नहीं कहा था। दर्द बढ़ने पर डिलीवरी शाम तक या दो-तीन दिन भी निकल सकते हैं। चेकअप करने के बाद जब मैं हाथ धोने गई तब तक वे चले गए और कागज भी नहीं दिखाए थे। गायत्री पाटीदार ने बताया, रात में एक बजे प्रसुता आई थी। उसे टेबल पर लेटने के लिए कहा और जब मैंने उसका चेकअप करना चाहा तो वह दौड़ कर अस्पताल से बाहर चली गई उसने कागज भी कुछ नहीं दिखाए। मैं और बाई हम दौड़ कर रोकने के लिए गए भी, लेकिन वह चली गई थी। रात में तीन बजे फिर आई तो नवजात बच्चे के पांव बाहर थे और सिर अंदर था। जैसे-तैसे कर डिलीवरी करवाई तो बच्चा मरा हुआ निकला। हमारी कोई लापरवाही नहीं है।
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दो डॉक्टरों की ड्यूटी थी
23 मार्च को सुबह नौ बजे से डॉक्टर जितेंद्र रायकवर की ड्यूटी थी और रात में डॉ. शैलेष डांगे की ड्यूटी थी। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में महिला डॉक्टर की ड्यूटी नहीं होने के कारण प्रसुता महिलाएं नर्स से ही चेकअप करवाती और डिलीवरी भी उन्हीं से करवाती है। डॉ. शैलेष डांगे ने बताया कि रात में अस्पताल परिसर में रहता हूं, डिलीवरी के मरीज मैं नहीं देखता हूं वे सीधे लेबर रूम में नर्स के पास चले जाते हैं। अगर डिलीवरी के लिए महिला स्वास्थ्य केंद्र में आई तो स्टाफ को उसके कागज तैयार कराने थे।
जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी
एसडीएम मनीष जैन ने बताया कि कालिका माता रोड निवासी कृष्णा ग्वाला की शिकायती मिली है। जिसमें उन्होंने अपने बच्चे की मृत्यु के लिए अस्पताल प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। आवेदन पर जांच की जाकर उचित कार्रवाई की जाएगी।
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