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Sehore News: SIR सर्वे में तकनीकी गड़बड़ियों से परेशान BLO, नहीं पहुंच पा रहे 2003 की वोटर लिस्ट तक
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सीहोर
Published by: सीहोर ब्यूरो
Updated Tue, 11 Nov 2025 01:33 PM IST
सार
एक घर का सर्वे करने में 25-30 मिनट लग रहे हैं और कई घरों में बहुओं की जानकारी साझा करने में संकोच भी सामने आ रहा है। विशेषज्ञों और नागरिकों का मानना है कि वार्ड स्तर पर हेल्प डेस्क, तकनीकी सुधार और जनजागरूकता बढ़ाने से ही सर्वे सुचारू रूप से पूरा हो सकेगा।
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लिंक ठप, बीएलओ का बढ़ा सिरदर्द।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
एसआईआर सर्वे में फील्ड स्तर पर कार्यरत बीएलओ लगातार तकनीकी परेशानियों से जूझ रहे हैं। निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता जानकारी जुटाने के लिए जारी की गई लिंक सर्वर एरर दिखा रही है। बीएलओ को निर्देश है कि वे 2003 की वोटर लिस्ट से 2025 की वोटर जानकारी को मैप करें, लेकिन लिंक न खुलने से पूरा कार्य प्रभावित हो रहा है। राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर 1950 भी फिलहाल काम नहीं कर रहा, जिससे मतदाताओं को अपने पुराने रिकॉर्ड खोजने में कठिनाई हो रही है।
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2003 की वोटर लिस्ट तक नहीं पहुंच पा रहे बीएलओ
2003 की मतदाता सूची से नाम की पुष्टि करना सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। कई बीएलओ बताते हैं कि एप पर 2003 की जानकारी अपलोड ही नहीं हो पा रही। ऐसे में वे पुराने रिकॉर्ड का मिलान करने के लिए घर-घर जाकर मतदाताओं से पूछताछ कर रहे हैं। लेकिन, कई बार मतदाता स्वयं को याद नहीं कि उनका नाम 2003 में किस वार्ड में था या किस विधानसभा में दर्ज हुआ था।
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दूसरे राज्य की महिलाओं की जानकारी नहीं मिल रही
बीएलओ के सामने सबसे कठिन चुनौती उन महिलाओं की है, जिनका मूल नामांकन दूसरे राज्यों खासकर उत्तर प्रदेश और राजस्थान में हुआ था। शादी के बाद सीहोर आने पर अब उनका नाम स्थानीय लिस्ट में जोड़ना है, लेकिन बीएलओ एप पर दूसरे राज्यों की वोटर लिस्ट खुल नहीं रही। ऐसे में इन महिलाओं का पुराना रिकॉर्ड मिलान असंभव हो गया है। कई बीएलओ मानते हैं कि इस तकनीकी कमी के कारण सर्वे की गति बेहद धीमी हो गई है।
हर मतदाता तक पहुंचने में लग रहा आधा घंटा
वोटर लिस्ट के गहन परीक्षण में अब एक घर पर औसतन 25 से 30 मिनट का समय लग रहा है। बीएलओ बताते हैं कि करीब 90 प्रतिशत प्रपत्र उन्हें स्वयं भरने पड़ रहे हैं। बाकी 10 प्रतिशत मतदाता प्रपत्र समझने में काफी समय ले रहे हैं। ऐसे में बीएलओ अब अपने क्षेत्र में हेल्पर नियुक्त करने की मांग कर रहे हैं ताकि डेटा मैपिंग समय पर पूरी हो सके।
बहुओं की जानकारी देने में कतरा रहे लोग
एसआईआर सर्वे के दौरान कई सामाजिक दिक्कतें भी सामने आ रही हैं। घर-घर सर्वे के दौरान बीएलओ बताते हैं कि कई परिवार बहुओं या विवाहित बेटियों की जानकारी साझा करने में संकोच कर रहे हैं। इससे सर्वे अधूरा रह जाता है। वहीं, कुछ घरों पर ताले लगे होने पर बीएलओ पड़ोसियों से मोबाइल नंबर जुटा रहे हैं, जिससे डेटा की शुद्धता पर भी सवाल उठ रहे हैं।
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मदद के लिए वार्डों में हेल्प डेस्क की जरूरत
जनप्रतिनिधि और नागरिकों ने सुझाव दिया है कि हर तीन से चार वार्डों में एक हेल्प डेस्क बनाई जाए, जहां से मतदाता 2003 की सूची या पुराने रिकॉर्ड की जानकारी प्राप्त कर सकें। साथ ही, जनजागरूकता के लिए प्रचार रथ या कचरा गाड़ियों पर संदेश चलाए जा सकते हैं। बीएलओ गंगा सिंह सोलंकी ने बताया कि उन्हें छह दिन बाद सामग्री मिली, तब जाकर उन्होंने वार्ड में काम शुरू किया। अब तक उन्होंने 1009 गणना पत्रकों में से 245 पत्रक वितरित किए हैं।
जिम्मेदारों से सहयोग की उम्मीद
बीएलओ और नागरिक दोनों मानते हैं कि जब तक तकनीकी समस्याओं का समाधान नहीं होगा, तब तक सर्वे की रफ्तार नहीं बढ़ सकेगी। स्थानीय स्तर पर सर्वर लिंक सुधारना, अन्य राज्यों की वोटर लिस्ट तक पहुंच देना और प्रशिक्षण में सुधार लाना बेहद जरूरी है। तभी 2025 की मतदाता सूची का कार्य सुचारू रूप से पूरा हो सकेगा और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की सटीकता बरकरार रह सकेगी।