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मां के हत्यारे को फांसी: संपत्ति के लिए उतारा था मौत के घाट, कोर्ट ने फैसले में किया चार धर्म ग्रंथों का जिक्र

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, श्याेपुर Published by: उदित दीक्षित Updated Wed, 23 Jul 2025 11:47 PM IST
सार

श्योपुर में मां की संपत्ति हड़पने के लिए बेटे ने उसे पहले छत से धक्का दिया, फिर गला दबाकर हत्या कर शव को बाथरूम में दफना दिया। कोर्ट ने इसे नृशंस और अमानवीय बताते हुए दोषी को फांसी की सजा सुनाई।

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Son Sentenced to Death for Killing Adoptive Mother Over Property in Sheopur
पुलिस गिरफ्त में मां का हत्यारा बेटा। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में एक मां की हत्या के आरोपी बेटे को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई गई है। बेटे ने संपत्ति हड़पने की नीयत से अपनी मां की निर्मम हत्या कर दी थी। पहले उसे छत से धक्का दिया, फिर गला घोंटकर मौत के घाट उतारा और बाद में शव को बाथरूम में दफना दिया। मामले में बुधवार को विशेष न्यायाधीश एलडी सोलंकी ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आरोपी किसी भी प्रकार की दया का पात्र नहीं है। यह अपराध नृशंस प्रकृति का है।

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न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जिस मां ने एक बच्चे को अनाथालय से गोद लेकर पाल-पोसकर बड़ा किया, उसी मां की संपत्ति के लिए की गई हत्या न केवल आपराधिक, बल्कि अमानवीय भी है। कोर्ट ने आरोपी दीपक पचौरी को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत मृत्युदंड और 1000 रुपये का अर्थदंड सुनाया। अदालत ने फैसला सुनाते समय रामचरितमानस, गुरुग्रंथ साहिब, कुरान और बाइबिल में मां-बेटे के रिश्तों का उल्लेख करते हुए यह अपराध को अत्यंत घृणास्पद बताया।
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लोक अभियोजक राजेंद्र जाधव ने मध्यप्रदेश शासन की ओर से पैरवी की। अभियोजन के अनुसार, 6 मई 2024 की सुबह जब उषा देवी तुलसी घर की छत पर तुलसी को जल चढ़ाने जा रही थीं, तभी दीपक ने उन्हें धक्का दे दिया। घायल मां को लोहे की रॉड से मारा और फिर साड़ी से गला घोंटकर हत्या कर दी। इसके बाद शव को लाल कपड़े में लपेटकर घर के अंदर सीढ़ियों के नीचे बने बाथरूम में गड्ढा खोदकर दफना दिया और उस पर ईंटों से चुनाई कर दी। बाथरूम में कबाड़ भरकर उसने सबूत छिपाने की कोशिश की। दो दिन बाद दीपक ने अपने मामा और अन्य रिश्तेदारों को बुलाकर कोतवाली थाने में मां की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। लेकिन, पुलिस को पूछताछ में दीपक की बातों में विरोधाभास मिला। कड़ी पूछताछ में उसने अपना अपराध स्वीकार कर लिया।

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अनाथालय से गोद लिया था दीपक
उषा देवी के भाई अशोक शर्मा ने पुलिस को बताया कि उषा और उनके पति भुवनेन्द्र पचौरी की कोई संतान नहीं थी। भुवनेन्द्र वनकर्मी थे। दंपती ने ग्वालियर के एक अनाथालय से तीन साल के बच्चे को गोद लिया और उसका नाम दीपक रखा। उन्होंने उसे अच्छी परवरिश और शिक्षा दी। लेकिन, दीपक की नीयत मां की संपत्ति और धन पर खराब हो गई। पिता की मृत्यु के बाद दीपक को मिले 16.85 लाख रुपये उसने शेयर बाजार में गंवा दिए। इसके बाद मां के बैंक खाते में जमा 32 लाख रुपये पाने के लालच में उसने हत्या की साजिश रची और उसे अंजाम दे डाला।

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