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MP News: धार्मिक नगरी में रावण दहन की परंपरा का विरोध, ब्राह्मण समाज के पोस्टर में ऐसा क्या जिस पर मचा बवाल

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उज्जैन Published by: अर्पित याज्ञनिक Updated Fri, 19 Sep 2025 03:11 PM IST
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सार

धार्मिक नगरी उज्जैन में अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज ने रावण दहन की परंपरा के विरोध में जगह-जगह पोस्टर लगाए हैं। इन पोस्टरों में रावण को महान विद्वान, शिव भक्त और अनेक ग्रंथों का रचयिता बताते हुए उसके पुतला दहन को अपमानजनक परंपरा कहा गया है। संगठन ने रावण दहन समितियों से आठ शास्त्र सम्मत सवाल पूछते हुए इस प्रथा को स्थायी रूप से बंद करने की मांग की है।

MP News: Brahmin community put up posters in Ujjain against Ravana Dahan
उज्जैन में रावण पुतला दहन का विरोध। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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देशभर में दशहरा पर्व पर रावण दहन किया जाता है। इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। लोग रावण के पुतले को बुराई का प्रतीक मानकर जलाते हैं, लेकिन मध्यप्रदेश में महाकाल सेना और अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज ने रावण दहन की परंपरा पर विरोध जताया है। सेना ने इतिहास या रामायण में कहीं भी रावण दहन का उल्लेख नहीं होना बताते हुए ब्राह्मणों से अपील की है कि वे रावण दहन जैसे आयोजनों में हिस्सा न लें। प्रतिवर्ष रावण का पुतला जलाकर ब्राह्मणों को अपमानित किया जाता है।

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अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज के प्रमुख महेश पुजारी ने बताया कि जो व्यक्ति स्वयं राम की तरह चरित्रवान है, सिर्फ वही रावण दहन करें। उन्होंने कहा कि रावण एक न्यायी और गुणी राजा था, जिसे इतिहास में बदनाम किया गया। उसका दहन करना आदिवासी समुदाय की भावनाओं को आहत करता है और यह एक कुप्रथा है, जिसे बंद कर देना चाहिए। उधर, इसी कड़ी में महाकाल सेना और अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज ने भी रावण दहन का विरोध करते हुए इस पर प्रतिबंध लगाने की अपील की है। महाकाल सेना ने खासतौर पर ब्राह्मणों से अपील की है कि वे रावण दहन जैसे आयोजनों में हिस्सा न लें। संगठन से जुड़े सदस्यों का कहना है कि इतिहास या रामायण में कहीं भी रावण दहन का उल्लेख नहीं है। यह परंपरा अब मनोरंजन और राजनीति का साधन बन चुकी है। पिछले साल भी रावण दहन पर रोक लगाने की मांग की गई थी। इस दौरान अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र पर कहा था कि द्वापर युग में घटित हुई घटना को लेकर आज भी रावण दहन कर लाखों ब्राह्मणों का अपमान किया जाता है। अगर पुतले दहन ही करना है तो ऐसे लोगों के करें जो मां बेटियों के साथ गलत कर उनकी हत्या कर देते हैं।
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पिछले साल भी सीएम को लिखा था पत्र 
महाकाल मंदिर के पुजारी और अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पिछले साल सीएम को पत्र लिखा था। सीएम को लिखे पत्र में कहा था कि द्वापर युग में घटित हुई घटना को लेकर आज भी रावण दहन कर लाखों ब्राह्मणों का अपमान किया जाता है। पुतला जलाना ही है तो ऐसे लोगों का दहन करें जो मां बेटियों के साथ गलत कर उनकी हत्या कर देते हैं। 

बैठक में लिया फैसला 
परशुराम मंदिर में अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज की बैठक हुई, जिसमें देशभर में रावण दहन का विरोध करने का फैसला लिया गया। अतिथियों ने महाकाल सेना और युवा ब्राह्मण समाज के साथ अपने अनुभव ओर कार्यों को साझा किया। महेश पुजारी ने चिंतन, संकल्प ओर सिद्धि से हर कार्य करने का आह्वान किया साथ ही रावण दहन बंद करने का रावण दहन समितियों से आह्वान किया। युवा ब्राह्मण समाज अध्यक्ष गोपाल पुजारी ने कहा कि रावण त्रिकालदर्शी थे। उन्हें विष्णु के राम अवतार को जान लिया था। इसलिए अपने कुल के उद्धार के लिए सीताजी का हरण किया था, यदि रावण दहन समितियां इस पर कोई अमल नहीं करती हैं और रावण दहन करती हैं तो यह ब्राह्मण समाज का अपमान होगा, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और युवा ब्राह्मण समाज द्वारा पुरजोर विरोध किया जाएगा। 

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रावण दहन के विरोध में लगाए पोस्टर 
धार्मिक नगरी उज्जैन के कई इलाकों में रावण दहन के विरोध में पोस्टर लगाए गए हैं, जो अब सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे हैं। इन पोस्टरों को अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज ने लगाया है और इसके जरिए उन्होंने देशभर में रावण दहन की परंपरा का विरोध किया है। अपने विरोध को लेकर उन्होंने रावण दहन समितियों से आठ सवाल भी पूछे हैं। संगठन का कहना है कि रावण एक ज्ञानी, विद्वान और गुणों से भरपूर व्यक्ति था, इसलिए उसका पुतला जलाना उसका और उसके गुणों का अपमान करने जैसा है। संस्था का कहना है कि रावण दहन की प्रथा को स्थायी रूप से बंद कर देना चाहिए।

पोस्टर में रावण को बताया विद्वान और शिव भक्त
संगठन की तरफ से जारी पोस्टर में रावण की तारीफ करते हुए उसे महान विद्वान, शिव भक्त, शिव तांडव सहित अनेक जन उपयोगी ग्रंथों का रचयिता और राम जी के निवेदन पर रामेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना कराने वाले आचार्य बताया गया है। साथ ही कहा गया है कि यह जानते हुए भी कि श्रीराम नारायण के अवतार हैं, रावण ने एक भाई के रूप में अपनी बहन के साथ हुए अत्याचार को चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए उनका मुकाबला किया और अपनी जान गंवा दी। ऐसे में वह अत्याचारी कैसे हो गया। पोस्टर में पूछा गया है कि यदि आपके परिवार के किसी सदस्य के साथ सूर्पनखा जैसा व्यवहार हो तो आप क्या करेंगे। साथ ही पोस्टर में बताया गया है कि रावण वध की वजह से जब श्रीराम को भी ब्रह्म हत्या का पाप लगा था तो उसके पुतला दहन में शामिल होने वाले लोगों को यह पाप लगेगा या नहीं...? इस प्रथा के विरोध में उज्जैन के अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज ने जो पोस्टर जारी किया है, उसमें कुल आठ सवाल पूछे गए हैं। इन सवालों से पहले उस पोस्टर में लिखा है कि रावण दहन करने वाली समितियां निम्न प्रश्नों का शास्त्र सम्मत उत्तर दें या रावण दहन बंद करें। पोस्टर के अंत में लिखा है, जय परशुराम, अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज उज्जैन।

पोस्टर में इन आठ सवालों को पूछा

  • रावण दहन क्यों?
  • रावण अत्याचारी कैसे? स्पष्ट करें।
  • महान विद्वान, शिव भक्त, शिव तांडव सहित अनेक जन उपयोगी ग्रंथों का रचयिता और राम जी के निवेदन पर रामेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना कराने वाले आचार्य ब्राह्मण का अपमान क्यों?
  • श्रीराम को नारायण अवतार जानकार भी एक भाई ने अपनी बहन के साथ हुए अत्याचार रूपी चुनौती को स्वीकार किया और मोक्ष प्राप्त किया तो क्या गुनाह किया?
  • लक्ष्मण क्षत्रिय थे और क्षत्रिय किसी महिला पर शस्त्र नहीं उठाते। सूर्पनखा ब्राह्मण कन्या और स्त्री थी लेकिन एक क्षत्रिय ने उसकी नाक और कान काट दिए, क्या यह उचित था?
  • यदि आपके परिवार के किसी सदस्य के साथ सूर्पनखा जैसा व्यवहार हो तो आप क्या करेंगे?
  • एक साधारण व्यक्ति ने परम सती सीता जी पर उंगली उठाकर उनके चरित्र पर संदेह किया और पुन: सीता जी को वनवास जाना पड़ा। उस रजक (धोबी) के विषय में आप क्या कहेंगे और करेंगे।
  • रावण को मारने पर भगवान श्रीराम को भी ब्रह्म हत्या का पाप लगा था तो रावण दहन में सम्मिलित होने वाले लोगों पर ब्रह्म हत्या का पाप लगेगा या नहीं? सनातन धर्म के लोगों को शास्त्र सम्मत उत्तर देने का कष्ट करें या ब्राह्मणों का अपमान करना बंद करें।
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