{"_id":"6944b0049e54384c4b0db49a","slug":"tiger-poaching-caseforest-department-tightens-grip-umaria-news-c-1-1-noi1225-3750400-2025-12-19","type":"story","status":"publish","title_hn":"Umaria News: चंदिया जंगल में बाघ हत्या का खुलासा, शिकारी गिरोह पर कसा शिकंजा, आठ आरोपी सलाखों के पीछे","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Umaria News: चंदिया जंगल में बाघ हत्या का खुलासा, शिकारी गिरोह पर कसा शिकंजा, आठ आरोपी सलाखों के पीछे
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उमरिया
Published by: उमरिया ब्यूरो
Updated Fri, 19 Dec 2025 07:49 AM IST
सार
उमरिया के चंदिया वन परिक्षेत्र में बाघ शिकार मामले में वन विभाग ने दो और आरोपियों को गिरफ्तार किया है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के टी-185 बाघ की हत्या की पुष्टि हुई थी। अब तक आठ आरोपी पकड़े जा चुके हैं। शिकारियों के नेटवर्क की जांच जारी है।
विज्ञापन
चंदिया जंगल में बाघ हत्या का खुलासा, शिकारी गिरोह पर कसा शिकंजा, आठ आरोपी सलाखों के पीछे
विज्ञापन
विस्तार
उमरिया जिले के चंदिया वन परिक्षेत्र में सामने आए बाघ शिकार मामले में वन विभाग को बड़ी कामयाबी मिली है। लगातार चल रही जांच के दौरान मिले अहम सुरागों के आधार पर दो और लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इसके साथ ही इस सनसनीखेज प्रकरण में पकड़े गए आरोपियों की संख्या बढ़कर आठ हो गई है। विभाग का कहना है कि यह कार्रवाई शिकारियों के पूरे नेटवर्क को तोड़ने की दिशा में अहम साबित होगी।
गौरतलब है कि बीते शनिवार को सामान्य वन मंडल के अंतर्गत चंदिया वन परिक्षेत्र में कथली नदी के किनारे गश्त कर रहे वनकर्मियों को एक बाघ का शव संदिग्ध हालत में मिला था। सूचना मिलते ही वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे और क्षेत्र को घेराबंदी कर जांच शुरू की गई। जांच के दौरान मृत बाघ की पहचान बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के टी-185 के रूप में हुई, जिसकी उम्र लगभग आठ वर्ष बताई गई है। प्रारंभिक जांच में बाघ की मौत शिकार के कारण होना सामने आया।
रविवार को पशु चिकित्सकों की टीम द्वारा शव का पोस्टमार्टम किया गया, जिसके बाद विधिवत अंतिम संस्कार किया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट और घटनास्थल से जुटाए गए साक्ष्यों के आधार पर वन विभाग ने शिकारियों की तलाश तेज कर दी। तकनीकी जांच, स्थानीय सूचना तंत्र और पूछताछ के आधार पर पहले चरण में छह संदिग्धों को गिरफ्तार कर रिमांड पर लिया गया था।
ये भी पढ़ें- जंगली सूअर के मांस और दर्जनों हथगोलों के साथ दो शिकारी गिरफ्तार, इंडियन सीवेज टाइटल कछुआ बरामद
रिमांड के दौरान की गई पूछताछ में कई अहम जानकारियां सामने आईं, जिसके बाद गुरुवार को लालचंद बैगा और अरुण कोल नामक दो ग्रामीणों को भी हिरासत में लिया गया। इनके पास से बाघ शिकार में इस्तेमाल की गई सामग्री और अन्य आपत्तिजनक साक्ष्य भी जब्त किए गए हैं। अधिकारियों का मानना है कि गिरफ्तार आरोपियों की भूमिका केवल स्थानीय मदद तक सीमित नहीं थी, बल्कि वे शिकार की पूरी योजना में शामिल थे।
वनमंडल अधिकारी विवेक सिंह ने बताया कि मामले की जांच अभी जारी है और यह पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि शिकार के पीछे किसी संगठित गिरोह का हाथ तो नहीं है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में सघन सर्चिंग अभियान चलाया जा रहा है और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। वन विभाग ने लोगों से भी अपील की है कि वन्यजीव अपराध से जुड़ी किसी भी जानकारी को तत्काल साझा करें।
Trending Videos
गौरतलब है कि बीते शनिवार को सामान्य वन मंडल के अंतर्गत चंदिया वन परिक्षेत्र में कथली नदी के किनारे गश्त कर रहे वनकर्मियों को एक बाघ का शव संदिग्ध हालत में मिला था। सूचना मिलते ही वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे और क्षेत्र को घेराबंदी कर जांच शुरू की गई। जांच के दौरान मृत बाघ की पहचान बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के टी-185 के रूप में हुई, जिसकी उम्र लगभग आठ वर्ष बताई गई है। प्रारंभिक जांच में बाघ की मौत शिकार के कारण होना सामने आया।
विज्ञापन
विज्ञापन
रविवार को पशु चिकित्सकों की टीम द्वारा शव का पोस्टमार्टम किया गया, जिसके बाद विधिवत अंतिम संस्कार किया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट और घटनास्थल से जुटाए गए साक्ष्यों के आधार पर वन विभाग ने शिकारियों की तलाश तेज कर दी। तकनीकी जांच, स्थानीय सूचना तंत्र और पूछताछ के आधार पर पहले चरण में छह संदिग्धों को गिरफ्तार कर रिमांड पर लिया गया था।
ये भी पढ़ें- जंगली सूअर के मांस और दर्जनों हथगोलों के साथ दो शिकारी गिरफ्तार, इंडियन सीवेज टाइटल कछुआ बरामद
रिमांड के दौरान की गई पूछताछ में कई अहम जानकारियां सामने आईं, जिसके बाद गुरुवार को लालचंद बैगा और अरुण कोल नामक दो ग्रामीणों को भी हिरासत में लिया गया। इनके पास से बाघ शिकार में इस्तेमाल की गई सामग्री और अन्य आपत्तिजनक साक्ष्य भी जब्त किए गए हैं। अधिकारियों का मानना है कि गिरफ्तार आरोपियों की भूमिका केवल स्थानीय मदद तक सीमित नहीं थी, बल्कि वे शिकार की पूरी योजना में शामिल थे।
वनमंडल अधिकारी विवेक सिंह ने बताया कि मामले की जांच अभी जारी है और यह पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि शिकार के पीछे किसी संगठित गिरोह का हाथ तो नहीं है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में सघन सर्चिंग अभियान चलाया जा रहा है और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। वन विभाग ने लोगों से भी अपील की है कि वन्यजीव अपराध से जुड़ी किसी भी जानकारी को तत्काल साझा करें।

कमेंट
कमेंट X