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Bhopal Metro: भोपाल में तांगे से स्मार्ट परिवहन मेट्रो तक, बदलते वक्त के साथ बदला शहर का सफर

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: आनंद पवार Updated Sat, 20 Dec 2025 10:01 AM IST
सार

Bhopal Metro Project: भोपाल 20 दिसंबर से मेट्रो सिटी बन जाएगा, 21 दिसंबर से आम सेवा शुरू होगी। तांगा, बस, ऑटो और बीआरटीएस के दौर से गुजरते हुए अब मेट्रो की शुरुआत हो रही है। बढ़ती आबादी, ट्रैफिक और वाहनों के दबाव के बीच मेट्रो को आधुनिक परिवहन समाधान माना जा रहा है।

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Bhopal Metro News: Journey From Horse Carts To Smart Metro Transport Route Fare Details
झीलों की नगरी भोपाल आज से आधिकारिक रूप से मेट्रो सिटी बन जाएगी। - फोटो : अमर उजाला
झीलों की नगरी भोपाल कल से आधिकारिक रूप से मेट्रो सिटी बन जाएगी। 20 दिसंबर को केंद्रीय शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर इसका उद्घाटन करेंगे और 21 दिसंबर से आम जनता के लिए कमर्शियल ऑपरेशन शुरू हो जाएगा। यह भोपाल के परिवहन इतिहास की एक नई मिसाल है, जो सदियों पुराने तांगे के दौर से शुरू होकर आधुनिक मेट्रो तक पहुंचा है।


भोपाल की स्थापना 11वीं शताब्दी में राजा भोज ने की थी। इसके बाद नवाबी काल में शहर का विस्तार हुआ। उस समय मुख्य परिवहन साधन घोड़ा गाड़ी या तांगा था। संकरी गलियां, झीलों के किनारे और नवाबी महलों के बीच तांगे धीमे, लेकिन रोमांटिक और सांस्कृतिक सफर के प्रतीक थे। लंबे समय तक तांगे प्रमुख रहे, लेकिन धीरे-धीरे आधुनिक वाहनों ने जगह ले ली। आज तांगे केवल पर्यटक स्थलों पर यादों के रूप में बचे हैं।

 
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भोपाल में मेट्रो युग की शुरुआत - फोटो : अमर उजाला
1960-70 के दशक में सरकारी बसें शुरू हुईं
स्वतंत्रता के बाद भोपाल तेजी से विकसित हुआ। 1960-70 के दशक में सरकारी बसें शुरू हुईं, जो हमीदिया रोड, रेलवे स्टेशन से भेल क्षेत्र तक चलती थीं। बाद में मिनी बसें, टेंपो और ऑटो रिक्शा आए। इसके बाद भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड (बीसीएलएल) ने बस सेवा को शहर की बढ़ती आबादी और नए इलाकों (जैसे कोलार, बैरागढ़) तक पहुंचाया।

बढ़ती आबादी ने बढ़ाई चुनौतियां
शहर की आबादी बढ़ने से ट्रैफिक जाम और प्रदूषण बढ़ा। 2013 में माई बस बीआरटीएस (बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) शुरू हुआ, यह 24 किमी लंबा कॉरिडोर था। यह पुराने और नए भोपाल को जोड़ता था। ऑटो रिक्शा, मिनी बसें और प्राइवेट वाहन प्रमुख बने रहे, लेकिन बीआरटीएस पूरी तरह सफल नहीं हुआ और बाद में इसे डिमॉलिश कर दिया गया। इस दौर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कमी साफ दिखी।

 
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भोपाल मेट्रो जाम और बिगड़ते ट्रैफिक से राहत दिलाएगी। - फोटो : अमर उजाला
दो दशकों में बढ़ी वाहनों की संख्या
पिछले दो दशकों में भोपाल में वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ी। शहर में दो पहिया और चार पहिया वाहनों की संख्या 15 लाख से अधिक पहुंच गई है। दोपहिया वाहन करीब 11 लाख और चार पहिया तीन लाख से ज्यादा हैं। इसमें ट्रक, बस, टैक्टर आदि वाहन भी शामिल हैं। प्रमुख चौराहों और रूट्स पर जाम आम समस्या बन गया है। सार्वजनिक परिवहन सीमित होने और निजी वाहनों पर निर्भरता बढ़ने से शहर को एक तेज, सुरक्षित और भरोसेमंद ट्रांसपोर्ट सिस्टम की जरूरत महसूस हुई, यह अब पूरी हो रही है। 
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