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Umaria News: शावकों के साथ रोहनिया में दिखी बाघिन, वन विभाग की कैमरा ट्रैप और ट्रैकिंग टीम अलर्ट
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उमरिया
Published by: उमरिया ब्यूरो
Updated Wed, 30 Jul 2025 04:46 PM IST
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सार
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के रोहनिया गांव के पास एक बाघिन अपने दो शावकों के साथ देखी गई। यह दृश्य न सिर्फ रोमांचकारी था, बल्कि टाइगर रिजर्व की जैव विविधता और संरक्षण प्रयासों की सफलता का प्रमाण भी है।
बाघिन के पदमार्क
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विस्तार
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के धमोखर परिक्षेत्र अंतर्गत रोहनिया गांव के समीप एक बाघिन को दो नन्हें शावकों के साथ विचरण करते देखा गया। यह दृश्य न सिर्फ रोमांचक था, बल्कि वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत भी माना जा रहा है।
बाघिन को ग्रामीणों ने सबसे पहले लेंटाना झाड़ियों के बीच देखा, जहां वह अपने शावकों के साथ आराम कर रही थी। यह स्थान राजस्व क्षेत्र अंतर्गत बहरा टोला के पास स्थित है, जो मानव बस्तियों से काफी नजदीक है। ग्रामीणों ने इसकी सूचना तुरंत वन विभाग को दी, जिसके बाद पार्क की वन्यप्राणी संरक्षण टीम मौके पर पहुंची। वन टीम की सक्रियता और ग्रामीणों की सतर्कता के चलते बाघिन बिना किसी टकराव के अपने शावकों सहित गौरैया बीट की ओर सुरक्षित लौट गई। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान किसी भी प्रकार की जनहानि या पशुहानि नहीं हुई, जो विभाग की तत्परता को दर्शाता है।
ये भी पढ़ें- मुख्यमंत्री ने दिखाई सादगी: पूजा के बाद विधायक को लौटाए 500 रुपए, बना चर्चा का विषय
ध्यान देने योग्य है कि लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व भी इसी रोहनिया क्षेत्र में बाघ की मौजूदगी दर्ज की गई थी। अब बाघिन की वापसी, वह भी शावकों के साथ, वन्यजीव विशेषज्ञों और टाइगर रिजर्व प्रशासन के लिए एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखी जा रही है। इससे स्पष्ट होता है कि इस क्षेत्र का पर्यावरण और जैव विविधता बाघों के लिए अनुकूल बनी हुई है। वन विभाग ने बताया कि इस मूवमेंट पर लगातार नजर रखी जा रही है। कैमरा ट्रैप और ट्रैकिंग टीम को अलर्ट मोड पर रखा गया है, ताकि बाघिन और शावकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। साथ ही, ग्रामीणों को भी समझाइश दी जा रही है कि वह सतर्क रहें, विशेषकर सुबह-शाम के समय खेत या जंगल की ओर अकेले न जाएं।
वन विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि मानव-बाघ संघर्ष की किसी भी स्थिति से निपटने के लिए विशेष टीम गठित की जा रही है। वहीं, वन्यजीव प्रेमियों के लिए यह खबर उत्साहजनक है, क्योंकि यह प्राकृतिक प्रजनन और बाघों की आबादी में वृद्धि का संकेत देती है। इस घटनाक्रम ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि संरक्षण के प्रयासों का सकारात्मक असर जमीन पर देखने को मिल रहा है, लेकिन इसके साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में जन-जागरूकता और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना भी अनिवार्य हो गया है।
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बाघिन को ग्रामीणों ने सबसे पहले लेंटाना झाड़ियों के बीच देखा, जहां वह अपने शावकों के साथ आराम कर रही थी। यह स्थान राजस्व क्षेत्र अंतर्गत बहरा टोला के पास स्थित है, जो मानव बस्तियों से काफी नजदीक है। ग्रामीणों ने इसकी सूचना तुरंत वन विभाग को दी, जिसके बाद पार्क की वन्यप्राणी संरक्षण टीम मौके पर पहुंची। वन टीम की सक्रियता और ग्रामीणों की सतर्कता के चलते बाघिन बिना किसी टकराव के अपने शावकों सहित गौरैया बीट की ओर सुरक्षित लौट गई। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान किसी भी प्रकार की जनहानि या पशुहानि नहीं हुई, जो विभाग की तत्परता को दर्शाता है।
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ध्यान देने योग्य है कि लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व भी इसी रोहनिया क्षेत्र में बाघ की मौजूदगी दर्ज की गई थी। अब बाघिन की वापसी, वह भी शावकों के साथ, वन्यजीव विशेषज्ञों और टाइगर रिजर्व प्रशासन के लिए एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखी जा रही है। इससे स्पष्ट होता है कि इस क्षेत्र का पर्यावरण और जैव विविधता बाघों के लिए अनुकूल बनी हुई है। वन विभाग ने बताया कि इस मूवमेंट पर लगातार नजर रखी जा रही है। कैमरा ट्रैप और ट्रैकिंग टीम को अलर्ट मोड पर रखा गया है, ताकि बाघिन और शावकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। साथ ही, ग्रामीणों को भी समझाइश दी जा रही है कि वह सतर्क रहें, विशेषकर सुबह-शाम के समय खेत या जंगल की ओर अकेले न जाएं।
वन विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि मानव-बाघ संघर्ष की किसी भी स्थिति से निपटने के लिए विशेष टीम गठित की जा रही है। वहीं, वन्यजीव प्रेमियों के लिए यह खबर उत्साहजनक है, क्योंकि यह प्राकृतिक प्रजनन और बाघों की आबादी में वृद्धि का संकेत देती है। इस घटनाक्रम ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि संरक्षण के प्रयासों का सकारात्मक असर जमीन पर देखने को मिल रहा है, लेकिन इसके साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में जन-जागरूकता और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना भी अनिवार्य हो गया है।

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