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J&K: जम्मू का प्रसिद्ध झिड़ी मेला आज से शुरू, याद करेंगे बाबा जित्तो की कुर्बानी

amarujala.com- Presented by: चंद्रा पाण्डेय Updated Sat, 04 Nov 2017 12:34 PM IST
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Jumma's famous JhidI Fair starts from today, will remember Baba Jitti's sacrifice
झिड़ी मेला - फोटो : AMAR UJALA
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अमर शहीद किसान बाबा जित्तो जिसे जित्तमल के नाम से भी जाना जाता है, उनके स्थान झिड़ी में श्रद्धालुओं का पहुंचना जारी है। देव स्थान पर आयोजित मेले में राज्य के अलावा देश के विभिन्न भागों से बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। जानकारी के मुताबिक छह सौ वर्षों से ज्यादा समय से झिड़ी में लोग बाबा के दर पर माथा टेकने आ रहे हैं।  माता वैष्णो देवी के परम भक्त बाबा जित्तो कटरा के समीप अगार कोट के रहने वाले थे। वह अगार से रोजाना मां वैष्णो के भवन में जाकर माथा टेकते थे। 

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बाबा जित्तो की कहनी..

वैष्णो माता के 24 वर्षों की तपस्या के बाद उनकी भक्ती से खुश होकर मां ने उन्हें वरदान दिया कि वह उनके घर में जन्म लेकर पांच वर्षों तक साथ रहेंगे। इस बीच बाबा जित्तो के घर में कन्या ने जन्म लिया। वहीं किसी कारण वश बाबा जित्तो अपनी चाची जोजां से परेशान होकर घर छोड़ बेटी बुआ कौड़ी को लेकर कानाचक्क क्षेत्र में आ गए। वहां पर उन्होंने अपने जानकार रुलो लुहार से खेती के लिए जमीन दिलाने की बात की।
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उसने उस समय के राजा अजायब देव के बजरी बजीर सिंह मेहता से बात कर खेतीबाड़ी के लिए जमीन दिला दी। बाबा ने वहां से जंगल साफ कर कनक बीजी। बाबा जित्तो की मेहनत रंग लाई।अच्छी पैदावार हुई। इस फसल को देख मेहता बीर सिंह बेईमान हो गया। उसने पहले से तय चौथे हिस्से की जगह आधी कनक की मांग रख दी। इसको लेकर बाबा जित्तो और बीर सिंह मेहता के बीच विवाद हो गया।
मेहता के आदमियों ने बाबा जित्तो के साथ धक्का-मुक्की कर उन्हें चोटिल कर दिया।पनी मेहनत की कमाई पर बीर सिंह मेहता की बुरी नजर देख बाबा जित्तो ने बीर सिंह मेहता से कहा कि वह इस कनक को मेहता को रूखी नहीं खाने देंगे। बाबा ने कनक के ढेर पर बैठ कर कटार अपने सीने में घोंप दी। कहते हैं उसी समय तूफान आया और सारी कनक खेतों, नालों में बाबा के खून के साथ कई जगह पहुंच गई। जिस-जिस ने भी उस कनक के दाने से उगे गेहूं को खाया, उस परिवार के लोग आज भी बाबा जित्तो के देव स्थान में माथा टेकने आते हैं।

पक्षी भी आते है बााब जित्तो के दर माथा टेकने

Jumma's famous JhidI Fair starts from today, will remember Baba Jitti's sacrifice

कहते है कि बाबा जित्तो के दर पर माथा टेकने दूर दराज से इंसानो के साथ-साथ पक्षी भी आते है। एेसी मान्यता है कि बाबा जित्तो का अनाज तूफान में कई सारी कनक खेतों, नालों में बाबा के खून के साथ कई जगह पहुंच गया। जिस-जिस ने भी उस कनक के दाने से उगे गेहूं को खाया, उस परिवार के लोग आज भी बाबा जित्तो के देव स्थान में माथा टेकने आते हैं। इसी लिए लोग कहते है कि कुछ पक्षी ने उस अनाज का चुगा था जिस बजह से हर साल बाबा के दर पर आते है। 

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