Vastu Tips For House Puja Ghar: हिंदू धर्म में वास्तु शास्त्र को बहुत ही महत्वपूर्ण और खास माना जाता है, जिसमें घर से जुड़े कई नियमों का जिक्र भी किया गया है। सुख-शांति और समृद्धि की कामना के लिए बनाए जाने वाले मंदिर में वास्तु और परंपरा की कभी अनदेखी नहीं करनी चाहिए। घर की साफ-सफाई के साथ आइए जानते हैं हमें अपने मंदिर या पूजाघर में किन चीजों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। आज हम आपको वास्तु शास्त्र में पूजा घर या घर के मंदिरों से जुड़े कई नियमों के बारें में बताएंगे।
Vastu Tips For House Temple: घर के मंदिर में रखें इन बातों का ख्याल, हमेशा बना रहेगा भगवान का आशीर्वाद
Vastu Tips: किसी भी घर में पूजाघर का सबसे अहम स्थान होता है। देवी-देवताओं से जुड़े इस पावन स्थान पर जाते ही मन को सर्वाधिक शांति और सुकून मिलता है। आज हम आपको मंदिर या पूजाघर से जुड़ी कुछ विशेष ध्यान रखने वाली बातें बताएंगे।
वास्तु शास्त्र के अनुसार अगर आपके घर का मंदिर आकार में छोटा है, तो उसमें 3 से 6 इंच की मूर्तियां, मंदिर का आकार बड़ा है, तो उसमें 12 से 18 इंच ऊंची मूर्तियां और अगर मंदिर काफी बड़ा है तो 24 इंच से ज्यादा ऊंची भगवान की मूर्तियां न रखें। पूजाघर के सीमित स्थान में रखीं मूर्तियां घर में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक वातावरण बनाए रखती हैं।
घर के मंदिर में रखा जाने वाला शिवलिंग अंगूठे के आकार से बड़ा न हो। वास्तु शास्त्र के अनुसार बड़ा शिवलिंग घर के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता, इससे नकारात्मक ऊर्जा आ सकती है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा घर में भगवान की मूर्ति स्थापना उत्तर-पूर्व दिशा में करनी चाहिए। उत्तर-पूर्व दिशा को ईशान कोण के नाम से भी जाना जाता है और ईशान कोण देवी-देवताओं की दिशा मानी जाती है।
1. घर के पूजाघर में कभी भी टूटी हुई मूर्तियां या खंडित मूर्तियों की स्थापना नहीं करनी चाहिए और अगर रखी हुई खंडित हो जाए तो उन्हें तुरंत हटा दें।
2. अपने मंदिर या पूजाघर में कभी नग्न मूर्तियां न रखें। हमेशा देवता की पसंद के अनुसार या फिर कहें शुभता को ध्यान में रखते हुए कपड़े पहनाकर रखें।
3. कभी भूलकर भी मूर्तियों को मंदिर या पूजाघर की दीवार से सटाकर रखें।
4. कभी भी जमीन में बैठकर पूजा न करें। किसी न किसी शुद्ध आसन का प्रयोग अवश्य करें। किसी विशेष देवता की विशेष साधना के दौरान उनसे संबंधित आसन का प्रयोग करना शुभदायी होता है।
5. शयनकक्ष में पूजाघर न बनाएं। यदि मजबूरी में बनाना ही पड़े तो पूजाघर को ईशान कोण या उत्तर दिशा में बनाएं और रात्रि के समय अपने पूजाघर को परदे से ढंक कर रखें।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।

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