भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) के बीच हुए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को लेकर भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। यह समझौता यूके से भारत में आने वाली कारों पर इम्पोर्ट ड्यूटी को घटाकर 10 प्रतिशत करने की बात करता है। हालांकि कंपनियां अभी इसकी पूरी जानकारी का इंतजार कर रही हैं और उन्हें डर है कि अगर यह टैरिफ कटौती दूसरे देशों के साथ होने वाले ट्रेड डील्स में भी लागू हुई, तो हालात मुश्किल हो सकते हैं।
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FTA: एफटीए पर भारतीय ऑटो कंपनियों की चिंता, क्या सस्ते चीनी पुर्जों की होगी बाढ़?
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अमर शर्मा Updated Thu, 08 May 2025 05:55 PM IST
सार
भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) के बीच हुए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को लेकर भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। यह समझौता यूके से भारत में आने वाली कारों पर इम्पोर्ट ड्यूटी को घटाकर 10 प्रतिशत करने की बात करता है।
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Car Plant
- फोटो : Volkswagen

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Aston Martin Vantage V8
- फोटो : Aston Martin
चीनी सामान की एंट्री को लेकर चिंता
कंपनियों की सबसे बड़ी चिंता है कि सस्ते चीनी ऑटो पार्ट्स और असेंबली यूनिट्स यूके के रास्ते भारत में आ सकते हैं। यानी चीन से सस्ते बैटरी, मोटर और दूसरे पुर्जे यूके में भेजकर वहां से फुली-बिल्ट यूनिट के रूप में भारत में भेजे जा सकते हैं, और वह भी कम ड्यूटी में। इससे भारतीय बाजार में चीनी सामान की बाढ़ आ सकती है। उद्योग जगत का कहना है कि सरकार को 'रूल्स ऑफ ओरिजिन', 'लोकल वैल्यू एडिशन' और 'टैरिफ हेडिंग' जैसे नियमों को सख्ती से लागू करना चाहिए। ताकि चीन से सीधे या घुमा-फिराकर आने वाले सामान पर रोक लगाई जा सके।
यह भी पढ़ें- Tesla: टेस्ला इंडिया के हेड प्रशांत मेनन ने दिया इस्तीफा, खबर ऐसे समय पर आई जब भारत में एंट्री की तैयारी में है कंपनी
कंपनियों की सबसे बड़ी चिंता है कि सस्ते चीनी ऑटो पार्ट्स और असेंबली यूनिट्स यूके के रास्ते भारत में आ सकते हैं। यानी चीन से सस्ते बैटरी, मोटर और दूसरे पुर्जे यूके में भेजकर वहां से फुली-बिल्ट यूनिट के रूप में भारत में भेजे जा सकते हैं, और वह भी कम ड्यूटी में। इससे भारतीय बाजार में चीनी सामान की बाढ़ आ सकती है। उद्योग जगत का कहना है कि सरकार को 'रूल्स ऑफ ओरिजिन', 'लोकल वैल्यू एडिशन' और 'टैरिफ हेडिंग' जैसे नियमों को सख्ती से लागू करना चाहिए। ताकि चीन से सीधे या घुमा-फिराकर आने वाले सामान पर रोक लगाई जा सके।
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Rolls-Royce Ghost Series II
- फोटो : Rolls-Royce
ऑटो पार्ट्स बनाने वालों को राहत
जहां एक ओर भारतीय ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री ने इस कदम का स्वागत किया है, क्योंकि अब भारतीय पार्ट्स पर यूके में शून्य ड्यूटी लगेगी। वहीं कार कंपनियां अभी सावधानी से आगे बढ़ रही हैं। उनका कहना है कि उन्हें यह जानना जरूरी है कि कब से यूके से आने वाली कारों पर ड्यूटी 10 प्रतिशत होगी और हर साल कितनी कारें इस छूट के तहत भारत आ सकेंगी।
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जहां एक ओर भारतीय ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री ने इस कदम का स्वागत किया है, क्योंकि अब भारतीय पार्ट्स पर यूके में शून्य ड्यूटी लगेगी। वहीं कार कंपनियां अभी सावधानी से आगे बढ़ रही हैं। उनका कहना है कि उन्हें यह जानना जरूरी है कि कब से यूके से आने वाली कारों पर ड्यूटी 10 प्रतिशत होगी और हर साल कितनी कारें इस छूट के तहत भारत आ सकेंगी।
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Nissan Leaf Electric Car
- फोटो : Nissan
ये कारें हो सकती हैं भारत में सस्ती
इस फैसले का सीधा फायदा उन ब्रांड्स को मिलेगा जो यूके में मैन्युफैक्चरिंग करते हैं। इसमें शामिल हैं टाटा के स्वामित्व वाली Jaguar Land Rover (JLR), जगुआर लैंड रोवर (जेएलआर), और लग्जरी कार निर्माता Bentley (बेंटले), Aston Martin (एस्टन मार्टिन), Rolls Royce (रोल्स रॉयस), Lotus (लोटस) और McLaren (मैकलारेन)। हालांकि ये सब लिमिटेड वॉल्यूम ब्रांड्स हैं, जो आम ग्राहकों को कम ही प्रभावित करेंगे। लेकिन यूके में Nissan (निसान) और Toyota (टोयोटा) जैसी मेनस्ट्रीम कंपनियों के प्लांट भी हैं, जो अब भारत में कुछ मॉडल कम ड्यूटी में लॉन्च करने का प्लान बना सकती हैं।
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इस फैसले का सीधा फायदा उन ब्रांड्स को मिलेगा जो यूके में मैन्युफैक्चरिंग करते हैं। इसमें शामिल हैं टाटा के स्वामित्व वाली Jaguar Land Rover (JLR), जगुआर लैंड रोवर (जेएलआर), और लग्जरी कार निर्माता Bentley (बेंटले), Aston Martin (एस्टन मार्टिन), Rolls Royce (रोल्स रॉयस), Lotus (लोटस) और McLaren (मैकलारेन)। हालांकि ये सब लिमिटेड वॉल्यूम ब्रांड्स हैं, जो आम ग्राहकों को कम ही प्रभावित करेंगे। लेकिन यूके में Nissan (निसान) और Toyota (टोयोटा) जैसी मेनस्ट्रीम कंपनियों के प्लांट भी हैं, जो अब भारत में कुछ मॉडल कम ड्यूटी में लॉन्च करने का प्लान बना सकती हैं।
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