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Car Safety Features: आज की कारों में सेफ्टी पहले, ये फीचर्स बना रहे हैं सफर को ज्यादा सुरक्षित
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Thu, 08 May 2025 06:24 PM IST
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सार
आज के दौर में जैसे-जैसे सड़क हादसों की संख्या बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे कार में सुरक्षा फीचर्स की अहमियत भी पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है। सरकार की कोशिशों और ग्राहकों की जागरूकता के चलते ऑटोमोबाइल कंपनियां अब हर नए मॉडल में सुरक्षा से जुड़ी तकनीकों को प्राथमिकता देने लगी हैं।

Kia Carnival
- फोटो : Kia

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विस्तार
आज के दौर में जैसे-जैसे सड़क हादसों की संख्या बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे कार में सुरक्षा फीचर्स की अहमियत भी पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है। सरकार की कोशिशों और ग्राहकों की जागरूकता के चलते ऑटोमोबाइल कंपनियां अब हर नए मॉडल में सुरक्षा से जुड़ी तकनीकों को प्राथमिकता देने लगी हैं। खास बात ये है कि अब पहले सिर्फ महंगे मॉडल्स में मिलने वाले कई जरूरी सेफ्टी फीचर्स को कंपनियां लगभग हर वेरिएंट में देने लगी हैं। ताकि हर किसी का सफर सिर्फ आरामदायक ही नहीं, बल्कि सुरक्षित भी हो सके। इस रिपोर्ट में हम आपको ऐसे कुछ जरूरी सेफ्टी फीचर्स के बारे में बता रहे हैं, जो अब मॉडर्न कारों का स्टैंडर्ड हिस्सा बनते जा रहे हैं।
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एयरबैग
आजकल ज्यादातर कारों में कंपनियों की ओर से सुरक्षा के लिए 6 एयरबैग दिए जाने लगे हैं। कुछ कारों में सात और इससे ज्यादा एयरबैग भी सुरक्षा के लिए दिए जाते हैं। एयरबैग का काम दुर्घटना के समय कार सवार यात्रियों को बचाना होता है। ये हादसे के समय डैशबोर्ड, स्टीयरिंग और विंडशील्ड के साथ होने वाली टक्कर से बचाते हैं। हादसा होते ही एयरबैग कुछ सेंकेंड्स में ही खुल जाते हैं और यात्री के सामने एक गद्देदार दीवार बना देते हैं।
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आजकल ज्यादातर कारों में कंपनियों की ओर से सुरक्षा के लिए 6 एयरबैग दिए जाने लगे हैं। कुछ कारों में सात और इससे ज्यादा एयरबैग भी सुरक्षा के लिए दिए जाते हैं। एयरबैग का काम दुर्घटना के समय कार सवार यात्रियों को बचाना होता है। ये हादसे के समय डैशबोर्ड, स्टीयरिंग और विंडशील्ड के साथ होने वाली टक्कर से बचाते हैं। हादसा होते ही एयरबैग कुछ सेंकेंड्स में ही खुल जाते हैं और यात्री के सामने एक गद्देदार दीवार बना देते हैं।
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सीटबेल्ट
ड्राइविंग के दौरान कारों में सीट बेल्ट बहुत जरूरी सेफ्टी फीचर होता है। जिससे हादसे के समय यात्रियों को सुरक्षित रहने में मदद मिलती है। कुछ समय पहले तक कारों में टू पाइंट सीटबेल्ट दी जाती थी, लेकिन अब सभी कारों में थ्री पाइंट सीट बेल्ट मिलने लगी हैं, जिनसे सुरक्षा भी ज्यादा होती है। यहीं नहीं, अब रियर सीट बेल्ट भी मिलता है, जिसे लगाना जरूरी कर दिया गया है। कार क्रैश हो या फिर कार पलट जाए, ऐसी स्थिति में सीट बेल्ट यात्री को अपनी जगह पर रहने में मदद करती है जिससे चोट लगने का खतरा काफी कम हो जाता है।
यह भी पढ़ें - Luxury Cars and Bikes: भारत में रोल्स रॉयस, लैंड रोवर, मैकलारेन, बेंटले जैसी लग्जरी कारें हो जाएंगी सस्ती, ये है वजह
ड्राइविंग के दौरान कारों में सीट बेल्ट बहुत जरूरी सेफ्टी फीचर होता है। जिससे हादसे के समय यात्रियों को सुरक्षित रहने में मदद मिलती है। कुछ समय पहले तक कारों में टू पाइंट सीटबेल्ट दी जाती थी, लेकिन अब सभी कारों में थ्री पाइंट सीट बेल्ट मिलने लगी हैं, जिनसे सुरक्षा भी ज्यादा होती है। यहीं नहीं, अब रियर सीट बेल्ट भी मिलता है, जिसे लगाना जरूरी कर दिया गया है। कार क्रैश हो या फिर कार पलट जाए, ऐसी स्थिति में सीट बेल्ट यात्री को अपनी जगह पर रहने में मदद करती है जिससे चोट लगने का खतरा काफी कम हो जाता है।
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इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी प्रोग्राम
इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी प्रोग्राम यानि ईएसपी का सेफ्टी फीचर भी कई कारों में मिलता है। यह ऐसा सिस्टम होता है जो यह पहचान करता है कि आपकी कार सही रास्ते पर है या नहीं। ये पहचान करने के बाद सिस्टम खुद ही व्हील्स को मिल रही पावर कट कर देता है जिसे ट्रैक्शन कंट्रोल भी कहते हैं। अगर ट्रैक्शन कंट्रोल ना किया जाए तो कार के पहिये बिना वजह घूम सकते हैं जिससे कार दूसरी ओर भी जा सकती है। ईएसपी में कई तरह के सेंसर होते हैं।
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इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी प्रोग्राम यानि ईएसपी का सेफ्टी फीचर भी कई कारों में मिलता है। यह ऐसा सिस्टम होता है जो यह पहचान करता है कि आपकी कार सही रास्ते पर है या नहीं। ये पहचान करने के बाद सिस्टम खुद ही व्हील्स को मिल रही पावर कट कर देता है जिसे ट्रैक्शन कंट्रोल भी कहते हैं। अगर ट्रैक्शन कंट्रोल ना किया जाए तो कार के पहिये बिना वजह घूम सकते हैं जिससे कार दूसरी ओर भी जा सकती है। ईएसपी में कई तरह के सेंसर होते हैं।
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ईबीडी
ईबीडी का मतलब होता है इलेक्ट्रॉनिक ब्रेक फ़ोर्स डिस्ट्रीब्यूशन। यह सेफ्टी फीचर एबीएस के साथ मिलकर ज्यादा प्रभावी तरीके से सुरक्षा देने का काम करता है। इससे अलग-अलग व्हील पर ब्रेकिंग फोर्स लगाया जा सकता है। अगर आप किसी कॉर्नर पर ब्रेक लगाते हैं तो बाहर के पहियों को अंदर के पहियों के मुकाबले ज्यादा बेहतर ग्रिप मिलेगी। क्योंकि ईबीडी इन टायरों पर ज्यादा बेहतर तरीके से ब्रेकिंग फोर्स देगा।
यह भी पढ़ें - Traffic Violations: सावधान! जल्द ही बार-बार ट्रैफिक उल्लंघन करने पर निलंबित हो सकता है लाइसेंस, जानें डिटेल्स
ईबीडी का मतलब होता है इलेक्ट्रॉनिक ब्रेक फ़ोर्स डिस्ट्रीब्यूशन। यह सेफ्टी फीचर एबीएस के साथ मिलकर ज्यादा प्रभावी तरीके से सुरक्षा देने का काम करता है। इससे अलग-अलग व्हील पर ब्रेकिंग फोर्स लगाया जा सकता है। अगर आप किसी कॉर्नर पर ब्रेक लगाते हैं तो बाहर के पहियों को अंदर के पहियों के मुकाबले ज्यादा बेहतर ग्रिप मिलेगी। क्योंकि ईबीडी इन टायरों पर ज्यादा बेहतर तरीके से ब्रेकिंग फोर्स देगा।
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एंटी लॉक ब्रेकिंग
एबीएस का मतलब होता है एंटी लॉक ब्रेकिंग सिस्टम। एबीएस जिस कार में नहीं होता उनका व्हील घूमना बंद कर सकता है या फिर तेज ब्रेकिंग के समय लॉक अप भी हो सकता है। जिससे कार के स्किड करने का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन अगर कार में एबीएस जैसे सेफ्टी फीचर को दिया जाता है तो इससे हादसे को टालने में मदद मिलती है। ये सिस्टम कार के सभी पहियों पर लगा होता है जिसका काम इसकी जानकारी लेना होता है कि तेज ब्रेक लगाने के दौरान व्हील को कब लॉक किया जाए। एबीएस ब्रेक प्रेशर को रिलीज करता है और उसे फिर से लगाता है। यह प्रक्रिया बेहद कम समय में कई बार हो सकती है। इसके ही कारण कार पर ड्राइवर कंट्रोल बनाए रखता है। इसके अलावा कार मोड़ते समय और गीली सड़कों पर भी ब्रेक लगाते समय ये काम आता है।
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एबीएस का मतलब होता है एंटी लॉक ब्रेकिंग सिस्टम। एबीएस जिस कार में नहीं होता उनका व्हील घूमना बंद कर सकता है या फिर तेज ब्रेकिंग के समय लॉक अप भी हो सकता है। जिससे कार के स्किड करने का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन अगर कार में एबीएस जैसे सेफ्टी फीचर को दिया जाता है तो इससे हादसे को टालने में मदद मिलती है। ये सिस्टम कार के सभी पहियों पर लगा होता है जिसका काम इसकी जानकारी लेना होता है कि तेज ब्रेक लगाने के दौरान व्हील को कब लॉक किया जाए। एबीएस ब्रेक प्रेशर को रिलीज करता है और उसे फिर से लगाता है। यह प्रक्रिया बेहद कम समय में कई बार हो सकती है। इसके ही कारण कार पर ड्राइवर कंट्रोल बनाए रखता है। इसके अलावा कार मोड़ते समय और गीली सड़कों पर भी ब्रेक लगाते समय ये काम आता है।
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