Science News: ब्रह्मांड में ग्रहों का निर्माण कैसे होता है? यह सवाल सभी के मन में होता है। एक बहुत ही जटिल लंबी और बहुत सारी प्रक्रियाओं के बाद ग्रहों का निर्माण होता है। ग्रहों के निर्माण में करोड़ों से अरबों साल का समय लग जाता है। वैज्ञानिक यह पता करने में लगे हैं कि ग्रहों का निर्माण कैसे हुआ था? समय-समय पर इसको लेकर कई सिद्धांत सामने आते हैं। हाल ही में नासा और ईसा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की मदद से वैज्ञानिकों को इस प्रक्रिया का खुलासा करने में सफलता मिली है। इसमें वाष्पकृत पानी के इस्तेमाल की भूमिका अहम है।
Science News: कैसे हुआ था ग्रहों का निर्माण? जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने बड़े रहस्य से उठाया पर्दा
लंबे समय से अभी तक कई सिद्धांत यही बताते रहे हैं कि बाहरी प्रोटोप्लैनेटरी डिस्क की ठंड में ग्रह निर्माण की प्रक्रिया में बर्फीले कंकड़ का काम बीज की तरह होता है। माना जाता है कि धूमकेतुओं का भी उदय यहीं से हुआ है।
Ajab-Gajab: खूबसूरत जगह पर निकली है नौकरी, 60 लाख रुपये मिलेगी सैलरी, नहीं चाहिए कोई डिग्री
वैज्ञानिकों ने चार नवजात तारों के विस्तृत डिस्क का अध्ययन किया है। यह सभी सूर्य जैसे तारों के आसपास स्थित थीं। इस अध्ययन के लिए उन्होंने वेब के मिड इन्फ्रारेड इंस्ट्रूमेंट (एमआईआरआई) का इस्तेमाल किया है। यह सभी चारों तारें करीब 20 से 30 लाख साल पुराने हैं, जिन्हें खगोलीय समय के मुताबिक, नवजात कहा जा सकता है।
Alien: एलियंस के शव को लेकर नया खुलासा, डॉक्टरों ने बताया बहुत बड़ा सच, वैज्ञानिकों के उड़े होश
पानी या भाप की मात्रा में विविधता
वैज्ञानिकों ने वेब अवलोकनों से यह जानकारी हासिल की है कि क्या अधिक बर्फीले कंकड़ पहुंचने की वजह से सुगठित चक्रिकाओं के पथरीले ग्रह वाले इलकों में ज्यादा पानी मौजूद है। उनको पता है कि बड़ी डिस्क की तुलना में सुगठित डिस्क में अधिक पानी स्थित है। उनको पता चला है कि बड़े ग्रहों की इस प्रक्रिया में बाधक के तौर पर भूमिका है। हमारे सौरमंडल में ऐसे गुरु ग्रह ने किया होगा।
Space: ईएसए ने जारी की अंतरिक्ष की पहली रंगीन तस्वीर, एक साथ दिखीं एक लाख आकाशगंगाएं, दिखा ब्रह्मांड का रहस्य