पंजाब के संगरूर लोकसभा उपचुनाव से एक बार फिर सियासी बदलाव की लहर उठी है और इस बदलाव की धमक लंबे अरसे तक सियासी फिजाओं में सुनाई देती रहेगी। उपचुनाव से हार जीत ही तय नहीं हुई है, बल्कि अन्य सियासी दलों को भी आइना दिखाया है। इसके साथ ही पंजाब मॉडल पेश कर अन्य राज्यों में पांव जमाने के प्रयास कर रही आम आदमी पार्टी को तगड़ा झटका लगा है। संगरूर लोकसभा उपचुनाव में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी गुरमेल सिंह को सिमरनजीत सिंह मान ने शिकस्त दी है।
शिरोमणि अकाली दल इस उपचुनाव में पांचवें स्थान पर रहा है और उसे मात्र 44428 वोट मिले हैं। इसके बाद अब फिर से सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व पर सवाल उठने लगे हैं। भाजपा भले ही चौथे स्थान पर रही है लेकिन उसे 66298 वोट मिले हैं। तीसरे स्थान पर रहने वाली कांग्रेस को 79668 वोट मिले हैं। उसे नए सिरे से मंथन करना होगा। अब लोकसभा में आम आदमी पार्टी का एक भी सदस्य नहीं बचा है। भगवंत मान इकलौते सांसद थे। 23 साल बाद एक बार फिर सिमरनजीत सिंह मान सांसद के तौर पर संसद में प्रवेश करेंगे। संगरूर लोकसभा क्षेत्र का इतिहास रहा है कि यह सीट किसी एक दल की नहीं रही है। मुख्यमंत्री भगवंत मान के बाद सिमरनजीत सिंह मान ही हैं जो इस सीट से दूसरी बार लोकसभा चुनाव जीते हैं। इससे पहले 1999 में सिमरनजीत सिंह मान लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। 1989 में वह तरनतारन लोकसभा सीट से चुनाव जीत चुके हैं।
IPS अधिकारी रहे हैं सिमरनजीत सिंह मान
सिमरनजीत सिंह मान का जन्म शिमला में हुआ है और बड़े परिवार से ताल्लुक रखते हैं। सिमरनजीत सिंह मान 1967 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे हैं। उन्होंने 18 जून 1984 को ऑपरेशन ब्लू स्टार के विरोध में नौकरी छोड़ दी थी। मान पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साढ़ू हैं। सिमरनजीत सिंह मान ने हमेशा गर्म पंथी राजनीति को बढ़ावा दिया है लेकिन सियासी जानकार मानते हैं कि उनकी इस जीत में आप के प्रति लोगों में पनपा गुस्से का ज्यादा योगदान रहा है।
हरियाणा-हिमाचल और गुजरात चुनाव पर पड़ेगा प्रभाव
संगरूर उपचुनाव में हार के बाद पंजाब मॉडल के जरिए हरियाणा, हिमाचल और गुजरात विधानसभा चुनाव में पैर पसारने की आम आदमी पार्टी की उम्मीदों को झटका लगा है। आप को अर्श पर पहुंचाने वाले पंजाब ने तीन माह में फर्श पर पटक दिया है। आप की मजबूत सीट पर हार की चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर होने लगी है।
क्यों इतनी चर्चा
विधानसभा चुनाव के ठीक बाद यह पंजाब में पहला चुनाव था। पंजाब सरकार की अग्निपरीक्षा भी थी। आम आदमी पार्टी हिमाचल प्रदेश और गुजरात में पंजाब मॉडल का प्रचार करने में जुटी थी। गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी को पंजाब में बड़ा झटका लगा है। संगरूर लोकसभा सीट आम आदमी पार्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण थी। 2014 और 2019 में प्रचंड मोदी लहर के बावजूद यहां की जनता ने जनाधार भगवंत मान के पक्ष में दिया था। यही इकलौती लोकसभा सीट थी, जहां आम आदमी पार्टी अपना करिश्मा दोहरा पाई थी। यहीं वजह है कि इस हार की चर्चा है।