1988 के रोडरेज मामले में पटियाला जेल में सजा काट रहे कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की सुरक्षा को लेकर जेल प्रशासन चिंतित है। सिद्धू की बैरक नंबर 10 में साथ रह रहे कैदियों का जेल प्रशासन ने रिकॉर्ड खंगाला है। इसके बाद ही कैदियों को सिद्धू की बैरक में रखा गया है। जेल विभाग ने ड्रग्स मामले में पटियाला जेल में सजा काट रहे पूर्व इंस्पेक्टर इंद्रजीत सिंह के सिद्धू के साथ रहने की बात को झूठ बताया है। पंजाब के जेल विभाग के प्रवक्ता ने बताया है कि जेल प्रशासन की ओर नवजोत सिंह सिद्धू की सुरक्षा में कोई कोताही नहीं बरती जा रही है।
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नवजोत सिंह सिद्धू
- फोटो : फाइल
जेल विभाग प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन कर रहा है। जेल विभाग के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि सिद्धू उस बैरक में बंद हैं, जहां उनके साथ कुछ अन्य कैदियों को भी रखा गया है। उनकी सुरक्षा को देखते हुए इन कैदियों के पृष्टभूमि को अच्छी तरह से खंगाल लिया गया है। इसके लिए जेल विभाग की ओर से बैरक में बंद कैदियों के रिकॉर्ड की जांच कराई गई है। जेल विभाग के प्रवक्ता ने नवजोत सिंह सिद्धू की सुरक्षा को लेकर किसी भी प्रकार की कोताही किए जाने की बात को झूठ बताया है।
क्या था मामला
27 दिसंबर 1988 की शाम सिद्धू अपने दोस्त रुपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरवाले गेट की मार्केट में पहुंचे थे। मार्केट में पार्किंग को लेकर उनकी 65 साल के बुजुर्ग गुरनाम सिंह से कहासुनी हो गई। बात हाथापाई तक जा पहुंची। इस दौरान सिद्धू ने गुरनाम सिंह को मुक्का मार दिया। पीड़ित को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई।
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नवजोत सिंह सिद्धू
- फोटो : फाइल
अच्छा आचरण रहा तो चार माह बाद मिल सकती है पैरोल
जानकारी के मुताबिक नियमों के मुताबिक सिद्धू को फिलहाल चार माह तो जेल में ही काटने पड़ेंगे लेकिन इस दौरान अगर उनका आचरण ठीक रहा तो जेल अधीक्षक उनके पैरोल के लिए सिफारिश कर सकते हैं। उन्हें 28 दिनों तक की पैरोल दी जा सकती है।
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नवजोत सिंह सिद्धू
- फोटो : फाइल
केस में कब-कब क्या हुआ
- 27 दिसंबर 1988 की शाम को पटियाला के कोतवाली थाने में सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज हुआ
- 1999 में सिद्धू को राहत देते हुए सत्र कोर्ट ने केस को खारिज कर दिया था
- 2002 में पंजाब सरकार ने सिद्धू के खिलाफ पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में अपील की
- 1 दिसंबर 2006 में हाईकोर्ट ने सिद्धू और संधू को दोषी ठहराते हुए 3-3 साल की कैद की सजा और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया