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अब दुश्मनों के मंसूबे होंगे फेल, आ गया गेमचेंजर राफेल, 12 क्लिक में जानिए खूबियां और ताकत
अमर उजाला, अंबाला(हरियाणा)
Published by: खुशबू गोयल
Updated Thu, 30 Jul 2020 09:43 AM IST
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राफेल लड़ाकू विमान
अब दुश्मनों के हर तरह के नापाक मंसूबे फेल हो जाएंगे, क्योंकि गेमचेंजर 'राफेल' भारत आ चुका है। वहीं इस फाइटर जेट की तैनाती अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर की गई है। राफेल को अफगानिस्तान, लीबिया, माली और इराक में इस्तेमाल किया जा चुका है और अब इसे हिन्दुस्तान भी इस्तेमाल करेगा।
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राफेल लड़ाकू विमान
आरबी और बीएस सीरीज के होंगे राफेल
फ्रांस से 7364 किलोमीटर का सफर तय कर 4.5 फोर्थ जनरेशन के फाइटर जेट राफेल बुधवार को अंबाला की सरजमीं पर उतरे। पांचों राफेल आरबी-001 से 005 सीरीज के होंगे। आरबी का मतलब है एयर चीफ राकेश भदौरिया, जबकि शेष बीएस-001 से जुड़े हैं। बीएस का मतलब है पूर्व एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ। राफेल 17 स्कवाड्रन का हिस्सा होंगे। इसे गोल्डन एरोस का नाम दिया गया है। सूत्रों की मानें तो अंबाला में एक और राफेल आएगा, लेकिन कुछ समय के बाद उसका आना होगा। आरबी 001 से लेकर आरबी 06 तक की सीरीज अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात की गई है।
फ्रांस से 7364 किलोमीटर का सफर तय कर 4.5 फोर्थ जनरेशन के फाइटर जेट राफेल बुधवार को अंबाला की सरजमीं पर उतरे। पांचों राफेल आरबी-001 से 005 सीरीज के होंगे। आरबी का मतलब है एयर चीफ राकेश भदौरिया, जबकि शेष बीएस-001 से जुड़े हैं। बीएस का मतलब है पूर्व एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ। राफेल 17 स्कवाड्रन का हिस्सा होंगे। इसे गोल्डन एरोस का नाम दिया गया है। सूत्रों की मानें तो अंबाला में एक और राफेल आएगा, लेकिन कुछ समय के बाद उसका आना होगा। आरबी 001 से लेकर आरबी 06 तक की सीरीज अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात की गई है।
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राफेल लड़ाकू विमान
सात पायलट उड़ाकर लाए पांच राफेल
सात प्रशिक्षित पायलट इन पांच राफेल लड़ाकू विमानों को भारत तक सकुशल उड़ा कर लाए। यह सात पायलट करीब एक साल से फ्रांस में राफेल के संचालन की ट्रेनिंग ले रहे थे। अब ये पायलट भारत में अन्य पायलटों को प्रशिक्षण देंगे और खुद भी फ्रांस में ट्रेनिंग लेते रहेंगे। फ्रेंच एयरफोर्स के सहयोग से इन विमानों को हवा में ही रिफ्यूल किया गया। फ्रांस से भारत तक उड़ान के पहले चरण में राफेल यूएई के अलदाफ़्रा एयरबेस पर उतारे गए। उड़ान का दूसरा चरण इसी एयरबेस से शुरू हुआ और 29 जुलाई को अंबाला एयरबेस पहुंचकर खत्म हुआ।
सात प्रशिक्षित पायलट इन पांच राफेल लड़ाकू विमानों को भारत तक सकुशल उड़ा कर लाए। यह सात पायलट करीब एक साल से फ्रांस में राफेल के संचालन की ट्रेनिंग ले रहे थे। अब ये पायलट भारत में अन्य पायलटों को प्रशिक्षण देंगे और खुद भी फ्रांस में ट्रेनिंग लेते रहेंगे। फ्रेंच एयरफोर्स के सहयोग से इन विमानों को हवा में ही रिफ्यूल किया गया। फ्रांस से भारत तक उड़ान के पहले चरण में राफेल यूएई के अलदाफ़्रा एयरबेस पर उतारे गए। उड़ान का दूसरा चरण इसी एयरबेस से शुरू हुआ और 29 जुलाई को अंबाला एयरबेस पहुंचकर खत्म हुआ।
राफेल लड़ाकू विमान
दुश्मन पर भारी पड़ेगी सुखोई के साथ जुगलबंदी
भारतीय वायुसेना के पास अभी तक सबसे खतरनाक लड़ाकू विमानों में सुखोई-30 एमकेआई मौजूद है। सूत्रों ने बताया कि भारतीय वायुसेना के बेड़े में अभी 272 सुखोई विमान इन-सर्विस हैं। यह विमान रशियन हैं और सुपरसोनिक ब्रह्मोस एयर लोडेड क्रूज मिसाइल को ले जाने में भी सक्षम हैं। हाल ही में सुखोई को क्रूज मिसाइल कैरी करने के लिए मॉडिफाई किया गया है। पुलवामा अटैक के बाद इंडियन एयरफोर्स द्वारा की गई एयर स्ट्राइक में सुखोई ने ही अहम भूमिका निभाई थी।अब चूंकि राफेल भी वायुसेना के बेड़े में शामिल हो रहे हैं तो ऐसे में सुखोई और राफेल की जुगलबंदी निसंदेह दुश्मन पर भारी पड़ेगी।
भारतीय वायुसेना के पास अभी तक सबसे खतरनाक लड़ाकू विमानों में सुखोई-30 एमकेआई मौजूद है। सूत्रों ने बताया कि भारतीय वायुसेना के बेड़े में अभी 272 सुखोई विमान इन-सर्विस हैं। यह विमान रशियन हैं और सुपरसोनिक ब्रह्मोस एयर लोडेड क्रूज मिसाइल को ले जाने में भी सक्षम हैं। हाल ही में सुखोई को क्रूज मिसाइल कैरी करने के लिए मॉडिफाई किया गया है। पुलवामा अटैक के बाद इंडियन एयरफोर्स द्वारा की गई एयर स्ट्राइक में सुखोई ने ही अहम भूमिका निभाई थी।अब चूंकि राफेल भी वायुसेना के बेड़े में शामिल हो रहे हैं तो ऐसे में सुखोई और राफेल की जुगलबंदी निसंदेह दुश्मन पर भारी पड़ेगी।
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राफेल लड़ाकू विमान
- फोटो : ANI
गोल्डन एरो स्क्वाड्रन संभालेगी राफेल की कमान
अंबाला एयरफोर्स स्टेशन में राफेल की तैनाती के लिए एक ऐसी स्क्वाड्रन को जिंदा किया गया है, जिसे एयरफोर्स ने समाप्त कर दिया था। इस स्क्वाड्रन का नाम है 17 गोल्डन एरो। पिछले साल वायुसेना के पूर्व अध्यक्ष बीएस धनोआ ने इसको जिंदा किया था और अब यही स्क्वाड्रन अंबाला में राफेल की कमान संभालेगी। वैसे तो इस स्क्वाड्रन का गठन 1 अक्तूबर 1951 में किया गया था। लेकिन मिग-21 विमानों के बेड़े से बाहर होने के साथ-साथ वर्ष 2016 में इस स्क्वाड्रन को भी समाप्त कर दिया गया था। अब इस गौरवशाली स्क्वाड्रन को सबसे खतरनाक लड़ाकू विमान राफेल के लिए फिर से वजूद में लाया गया है।
अंबाला एयरफोर्स स्टेशन में राफेल की तैनाती के लिए एक ऐसी स्क्वाड्रन को जिंदा किया गया है, जिसे एयरफोर्स ने समाप्त कर दिया था। इस स्क्वाड्रन का नाम है 17 गोल्डन एरो। पिछले साल वायुसेना के पूर्व अध्यक्ष बीएस धनोआ ने इसको जिंदा किया था और अब यही स्क्वाड्रन अंबाला में राफेल की कमान संभालेगी। वैसे तो इस स्क्वाड्रन का गठन 1 अक्तूबर 1951 में किया गया था। लेकिन मिग-21 विमानों के बेड़े से बाहर होने के साथ-साथ वर्ष 2016 में इस स्क्वाड्रन को भी समाप्त कर दिया गया था। अब इस गौरवशाली स्क्वाड्रन को सबसे खतरनाक लड़ाकू विमान राफेल के लिए फिर से वजूद में लाया गया है।