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Chandigarh-Haryana News: परमाणु विधेयक के खिलाफ 23 दिसंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन
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किसान-मजदूर-बिजली कर्मचारी और इंजीनियर लेंगे विरोध प्रदर्शन में भाग
चंडीगढ़। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, बिजली कर्मचारियों और संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने देशभर में 23 दिसंबर को परमाणु विधेयक शांति-2025 के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया (ईईएफआई) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया कि नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लाइज एंड इंजीनियर्स, केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और एसकेएम के संयुक्त मंच ने यह निर्णय लिया। इस विरोध का उद्देश्य सरकार पर दबाव डालना और विधेयक में सुधार कर देश की परमाणु सुरक्षा और जनता के हितों की रक्षा सुनिश्चित करना है।
लांबा ने कहा कि शांति विधेयक भारत की परमाणु सुरक्षा और जवाबदेही व्यवस्था को कमजोर करता है और परमाणु क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निजी और विदेशी भागीदारी को खोल देता है। यह विधेयक रिएक्टर आपूर्तिकर्ताओं के खिलाफ संचालक के वैधानिक प्रत्यावर्तन (रिकोर्स) अधिकार को समाप्त करता है जिससे दोषपूर्ण उपकरणों के लिए निजी कंपनियों को दायित्व से बचाव मिलेगा और संभावित दुर्घटनाओं का वित्तीय बोझ जनता और राज्य पर आ जाएगा।
विरोध प्रदर्शन के माध्यम से कर्मचारी, इंजीनियर और किसान मांग करेंगे कि शांति विधेयक को तुरंत वापस लिया जाए, संचालक का प्रत्यावर्तन अधिकार बहाल किया जाए, स्वतंत्र परमाणु नियामक प्राधिकरण स्थापित हो और पर्यावरण व श्रम सुरक्षा मानकों को मजबूत किया जाए। लांबा ने सभी घटक संगठनों से अपील की है कि वे अपने कार्यस्थलों, गांवों और शहरों में शांतिपूर्ण और संगठित ढंग से प्रदर्शन में भाग लें।
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चंडीगढ़। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, बिजली कर्मचारियों और संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने देशभर में 23 दिसंबर को परमाणु विधेयक शांति-2025 के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया (ईईएफआई) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया कि नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लाइज एंड इंजीनियर्स, केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और एसकेएम के संयुक्त मंच ने यह निर्णय लिया। इस विरोध का उद्देश्य सरकार पर दबाव डालना और विधेयक में सुधार कर देश की परमाणु सुरक्षा और जनता के हितों की रक्षा सुनिश्चित करना है।
लांबा ने कहा कि शांति विधेयक भारत की परमाणु सुरक्षा और जवाबदेही व्यवस्था को कमजोर करता है और परमाणु क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निजी और विदेशी भागीदारी को खोल देता है। यह विधेयक रिएक्टर आपूर्तिकर्ताओं के खिलाफ संचालक के वैधानिक प्रत्यावर्तन (रिकोर्स) अधिकार को समाप्त करता है जिससे दोषपूर्ण उपकरणों के लिए निजी कंपनियों को दायित्व से बचाव मिलेगा और संभावित दुर्घटनाओं का वित्तीय बोझ जनता और राज्य पर आ जाएगा।
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विरोध प्रदर्शन के माध्यम से कर्मचारी, इंजीनियर और किसान मांग करेंगे कि शांति विधेयक को तुरंत वापस लिया जाए, संचालक का प्रत्यावर्तन अधिकार बहाल किया जाए, स्वतंत्र परमाणु नियामक प्राधिकरण स्थापित हो और पर्यावरण व श्रम सुरक्षा मानकों को मजबूत किया जाए। लांबा ने सभी घटक संगठनों से अपील की है कि वे अपने कार्यस्थलों, गांवों और शहरों में शांतिपूर्ण और संगठित ढंग से प्रदर्शन में भाग लें।