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मां घरों में झाड़ू-पोछा करती है और बेटी कर रही वो काम, जानकर छलक जाएंगी आंखें
ब्यूरो/अमर उजाला, हिसार(हरियाणा)
Updated Wed, 31 Jan 2018 10:26 PM IST
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इंडियन हॉकी प्लेयर्स
पिता है नहीं, मां घरों में झाड़ू-पोछा करके पेट पालती है। वहीं बेटी ऐसा काम रही कि हर मां-बाप को उस पर नाज होगा, जानकर आपकी आंखें भी छलक जाएंगी।
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हम आपको सुना रहे हैं, तीन बेटियों के जज्बे की दिलचस्प कहानी। साई की सब जूनियर हॉकी टीम में शामिल उड़ीसा के सुंदरगढ़ जिले की इन तीन बेटियों को युवा दिवस पर सलाम। इन तीन बेटियों का हॉकी खेलने का शौक और जीवन में कुछ कर दिखाने की जज्बा ही तो है, जो चार किलोमीटर तक सुनसान जंगल पार कर सुबह चार बजे दूसरे गांवों में हॉकी खेलने जाती हैं।
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इंडियन हॉकी प्लेयर्स
कारण है इनके अपने गांवों में हॉकी का मैदान नहीं है। इनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। उड़ीसा की रहने वाली ये तीनों खिलाड़ी सुष्मिता पन्ना, सुजाता कुजूर, नेलीसमिता टोपो हिसार में आयोजित सब जूनियर नेशनल हॉकी चैंपियनशिप में खेलने आई हुई हैं। ये तीनों खिलाड़ी अमर उजाला टीम से रू-ब-रू हुईं।
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नेलीसमिता टोपो : पिता करते हैं बैलों से खेती
उड़ीसा के सुंदरगढ़ जिले के गांव कुकड़ा की रहने वाली नेलीसमिता टोपो के पिता गांव में अपनी थोड़ी सी जमीन पर खेती करते हैं। नेलीसमिता टोपो साई टीम की ओर से खेल रही हैं। नेलीसमिता ने आज से चार साल पहले हॉकी उठाई थी। अपने गांव से एक किलोमीटर दूर नेलीसमिता साइकिल पर हॉकी का अभ्यास करने जाती थी। इनके गांव में खेलने का मैदान तक नहीं है। नेलीसमिता ने बताया कि हमारे घर में कुछ दिन पहले ही बिजली का कनेक्शन हुआ है। मेरे पिता बैलों से खेती करते हैं।
उड़ीसा के सुंदरगढ़ जिले के गांव कुकड़ा की रहने वाली नेलीसमिता टोपो के पिता गांव में अपनी थोड़ी सी जमीन पर खेती करते हैं। नेलीसमिता टोपो साई टीम की ओर से खेल रही हैं। नेलीसमिता ने आज से चार साल पहले हॉकी उठाई थी। अपने गांव से एक किलोमीटर दूर नेलीसमिता साइकिल पर हॉकी का अभ्यास करने जाती थी। इनके गांव में खेलने का मैदान तक नहीं है। नेलीसमिता ने बताया कि हमारे घर में कुछ दिन पहले ही बिजली का कनेक्शन हुआ है। मेरे पिता बैलों से खेती करते हैं।
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सुष्मिता पन्ना : पिता नहीं, मां घरों में करती हैं झाड़ू-पोछा
साई टीम की हॉकी खिलाड़ी सुष्मिता पन्ना का उड़ीसा से हिसार तक का सफर काफी जोखिम भरा रहा है। सुष्मिता के पिता के अब इस दुनिया में नहीं हैं। सुष्मिता के घर का गुजारा मां की मजदूरी से ही होता है। इतनी विकट परिस्थितियों में भी सुष्मिता ने अपने आपको इस काबिल बनाया है। सुष्मिता के गांव जोलोडीही में खेल का मैदान नहीं है। हॉकी का अभ्यास करने के लिए सुष्मिता साइकिल से चार किलोमीटर दूर जंगल के रास्ते दूसरे गांव में खेलने जाती हैं। सुष्मिता तीन बहनों में सबसे बड़ी हैं और 9वीं में पढ़ती है। वे घर से सुबह चार बजे घर से खेलने के लिए रवाना होती हैं और एक घंटे में वहां पर पहुंच पाती हूं। सुबह नौ बजे तक अभ्यास करती हूं। मां दूसरों के घरों में बर्तन साफ और झाड़ू-पोछा कर हमारा पालन-पोषण कर रही हैं।
साई टीम की हॉकी खिलाड़ी सुष्मिता पन्ना का उड़ीसा से हिसार तक का सफर काफी जोखिम भरा रहा है। सुष्मिता के पिता के अब इस दुनिया में नहीं हैं। सुष्मिता के घर का गुजारा मां की मजदूरी से ही होता है। इतनी विकट परिस्थितियों में भी सुष्मिता ने अपने आपको इस काबिल बनाया है। सुष्मिता के गांव जोलोडीही में खेल का मैदान नहीं है। हॉकी का अभ्यास करने के लिए सुष्मिता साइकिल से चार किलोमीटर दूर जंगल के रास्ते दूसरे गांव में खेलने जाती हैं। सुष्मिता तीन बहनों में सबसे बड़ी हैं और 9वीं में पढ़ती है। वे घर से सुबह चार बजे घर से खेलने के लिए रवाना होती हैं और एक घंटे में वहां पर पहुंच पाती हूं। सुबह नौ बजे तक अभ्यास करती हूं। मां दूसरों के घरों में बर्तन साफ और झाड़ू-पोछा कर हमारा पालन-पोषण कर रही हैं।