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Chandigarh-Haryana News: अनुबंध सहायक प्रोफेसरों को मिल सकती है स्थायी सेवा सुरक्षा
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- प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी मिली, शीतकालीन विधानसभा सत्र में इसके लिए विशेष अधिनियम लाए जाने की उम्मीद
अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। प्रदेश के सरकारी विश्वविद्यालयों में वर्षों से पढ़ा रहे करीब 1400 अनुबंध सहायक प्रोफेसरों के लिए सरकार अब स्थायी सेवा सुरक्षा का रास्ता खोलने जा रही है। उच्चतर शिक्षा विभाग इस नीति पर ड्राफ्ट तैयार कर रहा है। सूत्रों के अनुसार प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है। संभावना जताई जा रही है कि आने वाले शीतकालीन विधानसभा सत्र में इसके लिए विशेष अधिनियम लाया जा सकता है।
पिछले एक दशक में अनुबंध शिक्षक लगातार अस्थिरता और अनिश्चित वेतन ढांचे से जूझते रहे। इन्हें शुरुआती वर्षों में केवल 300 रुपये प्रति पीरियड और अधिकतम 10 हजार रुपये मासिक मानदेय के चलते आर्थिक संकट झेलना पड़ा। 2019 में सातवें वेतन आयोग के अनुरूप भुगतान लागू होने से राहत जरूर मिली लेकिन दीर्घकालिक सुरक्षा अब भी अधूरी है।हरियाणा यूनिवर्सिटीज कांट्रैक्चुअल टीचर्स एसोसिएशन (हकूटा) ने सरकार की पहल को आंदोलन की बड़ी जीत बताया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. विजय कुमार मलिक के अनुसार अगर यह कानून पास होता है तो यह न केवल शिक्षकों की गरिमा बढ़ाएगा बल्कि विश्वविद्यालयों के शैक्षणिक माहौल को भी स्थिरता देगा।
सूत्रों के अनुसार प्रस्तावित अधिनियम के तहत 15 अगस्त 2024 तक पांच वर्ष की सेवा पूरी कर चुके शिक्षकों को रिटायरमेंट आयु तक कार्य करने का अधिकार मिल सकता है। विश्वविद्यालय अपने-अपने स्तर पर पात्र शिक्षकों की सूची विभाग को भेज चुके हैं। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी इससे पहले भी विभागों और निगमों में 5 वर्ष की सेवा पूरी कर चुके कांट्रैक्ट कर्मियों को सेवा सुरक्षा देने का कानून लागू कर चुके हैं। अब उसी मॉडल को विश्वविद्यालयों तक विस्तारित किए जाने की तैयारी है।
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अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। प्रदेश के सरकारी विश्वविद्यालयों में वर्षों से पढ़ा रहे करीब 1400 अनुबंध सहायक प्रोफेसरों के लिए सरकार अब स्थायी सेवा सुरक्षा का रास्ता खोलने जा रही है। उच्चतर शिक्षा विभाग इस नीति पर ड्राफ्ट तैयार कर रहा है। सूत्रों के अनुसार प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है। संभावना जताई जा रही है कि आने वाले शीतकालीन विधानसभा सत्र में इसके लिए विशेष अधिनियम लाया जा सकता है।
पिछले एक दशक में अनुबंध शिक्षक लगातार अस्थिरता और अनिश्चित वेतन ढांचे से जूझते रहे। इन्हें शुरुआती वर्षों में केवल 300 रुपये प्रति पीरियड और अधिकतम 10 हजार रुपये मासिक मानदेय के चलते आर्थिक संकट झेलना पड़ा। 2019 में सातवें वेतन आयोग के अनुरूप भुगतान लागू होने से राहत जरूर मिली लेकिन दीर्घकालिक सुरक्षा अब भी अधूरी है।हरियाणा यूनिवर्सिटीज कांट्रैक्चुअल टीचर्स एसोसिएशन (हकूटा) ने सरकार की पहल को आंदोलन की बड़ी जीत बताया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. विजय कुमार मलिक के अनुसार अगर यह कानून पास होता है तो यह न केवल शिक्षकों की गरिमा बढ़ाएगा बल्कि विश्वविद्यालयों के शैक्षणिक माहौल को भी स्थिरता देगा।
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सूत्रों के अनुसार प्रस्तावित अधिनियम के तहत 15 अगस्त 2024 तक पांच वर्ष की सेवा पूरी कर चुके शिक्षकों को रिटायरमेंट आयु तक कार्य करने का अधिकार मिल सकता है। विश्वविद्यालय अपने-अपने स्तर पर पात्र शिक्षकों की सूची विभाग को भेज चुके हैं। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी इससे पहले भी विभागों और निगमों में 5 वर्ष की सेवा पूरी कर चुके कांट्रैक्ट कर्मियों को सेवा सुरक्षा देने का कानून लागू कर चुके हैं। अब उसी मॉडल को विश्वविद्यालयों तक विस्तारित किए जाने की तैयारी है।