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Punjab: बिजली-संशोधन और बीज बिल का विरोध, भाकियू लक्खोवाल का एलान... प्रदेश भर में प्रदर्शन करेंगे किसान
संवाद न्यूज एजेंसी, लुधियाना (पंजाब)
Published by: अंकेश ठाकुर
Updated Thu, 04 Dec 2025 05:37 PM IST
सार
बिजली संशोधन बिल 2025 के विरोध में भारतीय किसान यूनियन- लक्खोवाल ने विरोध किया है। भाकियू लक्खोवाल के सूबा प्रधान हरिंदर सिंह लक्खोवाल ने पूरे पंजाब में प्रदर्शन का एलान किया है।
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किसान आंदोलन। फाइल फोटो
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
भारतीय किसान यूनियन- लक्खोवाल के सूबा प्रधान हरिंदर सिंह लक्खोवाल ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार दिल्ली किसान आंदोलन के दौरान किए वादों से मुकरते हुए संसद के शीतकालीन सत्र में बिजली संशोधन बिल 2025 पेश करने जा रही है। पंजाब सरकार ने अब तक इसके विरोध में एक शब्द भी नहीं बोला, जबकि केंद्र द्वारा अपना पक्ष रखने के लिए 29 नवंबर तक समय दिया गया था। इससे साफ है कि आम आदमी पार्टी भी इस बिल के पक्ष में है।
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लक्खोवाल ने कहा कि यदि यह बिल लागू हुआ तो क्रॉस सब्सिडी खत्म हो जाएगी। गरीबों और किसानों को मिलने वाली सब्सिडी वाली बिजली पर सीधा असर पड़ेगा। वितरण क्षेत्र में कॉरपोरेट घरानों के प्रवेश और समान दर पर महंगी बिजली लागू होने से आम उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ना तय है। उन्होंने स्पष्ट किया कि संयुक्त किसान मोर्चा पूरे देश में इस बिल के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ेगा। इसी क्रम में 8 दिसंबर को पंजाबभर में पावरकॉम की सभी सब-डिवीजन कार्यालयों के बाहर बिजली कर्मचारियों की जत्थेबंदियों के सहयोग से बिल की प्रतियां जलाकर विरोध दर्ज कराया जाएगा। भाकियू लक्खोवाल इस आंदोलन में पूरे जोर-शोर से शामिल रहेगी।
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लक्खोवाल ने केंद्र सरकार के प्रस्तावित बीज बिल 2025 को किसानों पर दूसरा बड़ा हमला बताया। उन्होंने कहा कि बिल लागू होने पर बिना रजिस्ट्रेशन कोई भी छोटा दुकानदार या व्यापारी बीज नहीं बेच सकेगा और लाइसेंस सिर्फ बड़ी कंपनियों को मिलेगा। इसके मायने हैं कि बीजों के साथ-साथ धीरे-धीरे खेती पर भी कॉरपोरेट घरानों का नियंत्रण बढ़ेगा। दुनिया की छह बड़ी कंपनियां पहले ही वैश्विक स्तर पर 75 फीसदी से ज्यादा बीज, कृषि अनुसंधान और पेस्टीसाइड कारोबार पर नियंत्रण कर चुकी हैं। ऐसी कंपनियां ऐसे बीज बनाती हैं जिन्हें ज्यादा खाद और अधिक स्प्रे की जरूरत होती है, जिससे किसानों का शोषण बढ़ता है।
उन्होंने कहा कि बीज बिल में किसानों को खराब बीज से नुकसान होने पर मुआवजा देने का कोई प्रावधान नहीं है। बिल के तहत विदेशी कंपनियों के बिना रजिस्ट्रेशन बीज आयात करने की अनुमति तक दी गई है। साथ ही प्राइवेट कंपनियां अपने रिसर्च सेंटर स्थापित कर खुद ही बीजों को मंजूरी देंगी। ऐसे में एक साधारण सीड इंस्पेक्टर कंपनियों के खिलाफ क्या कार्रवाई कर पाएगा? उन्होंने कपास की तबाही का हवाला देते हुए कहा कि विदेशी बीज धीरे-धीरे भारतीय खेती को किसानों के हाथों से छीनने की साजिश हैं।
लक्खोवालने कहा कि केंद्र सरकार अमेरिका के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) करने की तैयारी में है। यदि समझौता हो गया तो अमेरिका से सस्ती गेहूं, मक्का और दूध भारत आएगा, जिससे देश के करोड़ों किसानों की आजीविका पर सीधा संकट खड़ा हो जाएगा। पंजाब के गांवों में अधिकांश किसान व मजदूर एक-दो पशु रखकर अपना गुजर-बसर करते हैं। विदेशी सस्ते दूध के आने से ग्रामीण बेरोजगारी तेजी से बढ़ेगी। भारत में किसान की औसत जोत साढ़े दो एकड़ है, जबकि विकसित देशों में हजारों एकड़ के फॉर्म होते हैं। ऐसे में यह मुकाबला एक पहलवान को बच्चे से कुश्ती लड़वाने जैसा है।
लक्खोवाल ने मजदूरों की कार्य घंटे 8 से बढ़ाकर 12 करने और श्रम कानून खत्म कर चार नए लेबर कोड लागू करने की भी आलोचना की। उन्होंने इन्हें मजदूर विरोधी और कॉरपोरेट समर्थक बताते हुए कहा कि भाकियू लक्खोवाल मजदूर संगठनों की लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहेगी।