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मिलिए यूके के पहले सिख सांसद तनमनजीत से, इस वजह से मिली जीत
सुरिंदर पाल /अमर उजाला, चंडीगढ़
Updated Sun, 11 Jun 2017 09:40 AM IST
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Tanmanjeet Singh Dhesi
- फोटो : File Photo
इंग्लैंड के ग्रेवशैम शहर में यूरोप के सबसे युवा सिख मेयर बनने वाले तनमनजीत सिंह ढेसी ब्रिटेन की संसद के पहले सिख सांसद बन गए हैं। भाषा पर पकड़ ने उन्हें जीत दिला दी

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Tanmanjeet Singh Dhesi
यूके में पहले पगड़ीधारी सिख सांसद बने तनमनजीत सिंह ढेसी की जीत उनकी शिक्षा और कई भाषाओं पर पकड़ ने आसान बनाई। तनमनजीत, जिन्हें घर वाले प्यार से ‘चन्नी’ और स्लोघ के लोग ’टैन’ के नाम से पुकारते हैं, ने शनिवार को अमर उजाला के साथ फोन पर खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि उनका एकमात्र मकसद अपने हलके का विकास और भारतीय मूल के लोगों का सिर गर्व से ऊंचा रखना है। गांव रायपुर फराला के ‘चन्नी’ जुलाई में पूरे परिवार सहित इंडिया आ रहे हैं।
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Tanmanjeet Singh Dhesi
चन्नी यानी तनमनजीत सिंह ढेसी अपनी जीत का असली श्रेय अपने पिता जसपाल सिंह ढेसी को देते हैं, जो लंबे समय तक गुरुद्वारा ग्रेवशेम के प्रधान रहे हैं और सिख संगत में उनका खासा प्रभाव है। तनमनजीत ने बताया कि स्लोघ हलके में करीब 80 हजार वोटर हैं, जिसमें से 11 फीसदी सिख हैं। सात फीसदी हिंदू और आठ फीसदी दूसरे देशों से आए हुए हैं।

tanmanjeet singh dhesi
इसके अलावा करीब 25 फीसदी मुसलमान हैं। बाकी वोटर यूके और यूरोप संघीय देशों से हैं। तनमनजीत ने कहा कि उनका जन्म बेशक यूके में हुआ है लेकिन उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा पंजाब से ही ली है, जिससे उनकी पंजाबी भाषा पर अच्छी पकड़ है। यही कारण है कि भारतीय मूल के लोग उन्हें काफी पसंद करते हैं। वह कैंब्रिज से ग्रेजुएट हैं, जिस कारण अंग्रेजी के साथ ही फ्रेंच भाषा पर भी उनकी काफी पकड़ है। इसलिए उनकी जीत में शिक्षा ने काफी अहम रोल अदा किया।
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Tanmanjeet Singh Dhesi
उनके भाषण को काफी गौर से सुना जाता रहा और उसका अच्छा रिस्पांस मिल रहा था। उन्होंने कहा, ‘मेरी जीत शुरू से ही यकीनी लग रही थी।’ तनमनजीत ने कहा कि पिता जसपाल ढेसी से उन्होंने काफी कुछ सीखा है। उन्होंने हर कदम पर मुझे सिखाया है। एक गुरसिख परिवार से होने के कारण हमेशा दिल में दया और सत्कार की भी भावना रही है। चुनाव के दौरान पिता ने जहां अपने स्तर पर पूरी लाबिंग की वहीं मां दलविंदर कौर ढेसी और पत्नी मनवीन कौर ने भी पूरा प्रचार किया। मनवीन कौर तो लगातार कैंपेन पर रहीं और हर कदम पर सहायता करती रहीं।