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Ashes: अब बैजबॉल से ही डरा इंग्लैंड! क्या ब्रेंडन मैकुलम को हटाने का जोखिम उठा सकता है इंग्लिश क्रिकेट बोर्ड?

स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, एडिलेड Published by: स्वप्निल शशांक Updated Mon, 22 Dec 2025 08:47 AM IST
सार

एशेज में करारी हार ने बैजबॉल के भ्रम को तोड़ दिया है, लेकिन ब्रेंडन मैकुलम को हटाना इंग्लैंड क्रिकेट की गहरी संरचनात्मक समस्याओं का समाधान नहीं है। ईसीबी के सामने असली चुनौती कोच बदलना नहीं, बल्कि आक्रामक सोच के साथ तैयारी, अनुशासन और अनुकूलन का संतुलन स्थापित करना है।

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AUS vs ENG Ashes: Bazball Exposed! Can England Really Afford to Sack Brendon McCullum?
ब्रेंडन मैकुलम - फोटो : Twitter
'बैजबॉल' को टेस्ट क्रिकेट का भविष्य बताने वाली इंग्लैंड टीम अब खुद एक गहरे संकट में फंस चुकी है। ऑस्ट्रेलिया ने महज एक महीने के अंदर एशेज अपने पास बरकरार रखते हुए इंग्लैंड की पूरी सोच को कठघरे में खड़ा कर दिया। टेस्ट क्रिकेट को बचाने का दावा अब खोखले नारों जैसा लगने लगा है और बेन स्टोक्स की कप्तानी वाली टीम एक निर्णायक मोड़ पर खड़ी है।


इंग्लैंड अपनी आक्रामक फिलॉसफी से चिपका रहा, लेकिन निर्णायक क्षणों में टीम पूरी तरह बिखर गई। पिछले 18 महीनों के प्रदर्शन पर नजर डालें तो यह नतीजा चौंकाने वाला नहीं था। बातें बड़ी थीं, लेकिन मैदान पर उनके अनुरूप कोई ठोस अमल नहीं दिखा। नतीजतन, इंग्लैंड क्रिकेट आज दुनिया भर में मजाक का विषय बन चुका है।
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मैकुलम और स्टोक्स - फोटो : ANI
मैकुलम को हटाने की मांग और सच्चाई
पूर्व इंग्लिश क्रिकेटर और पंडितों का गुस्सा जायज है। ऐसे में ब्रेंडन मैकुलम को कोच पद से हटाने की मांग तेज हो गई है। लेकिन असली सवाल यह है कि क्या इससे हालात सच में बेहतर होंगे? सर ज्योफ्री बॉयकॉट ने पूर्व दिग्गज तेज गेंदबाज जेसन गिलेस्पी और पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज एलेक स्टुअर्ट जैसे नामों का सुझाव दिया है, जिनके पास अनुभव जरूर है, लेकिन कोई भी विकल्प असाधारण नहीं दिखता। जोनाथन ट्रॉट ने अफगानिस्तान के साथ अच्छा काम किया है, मगर लंबे टेस्ट चक्र की कठोर परीक्षा में वे अब भी अप्रमाणित हैं। साफ है कि इंग्लैंड के पास विकल्प सीमित हैं।
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ब्रेंडन मैकुलम - फोटो : ECB
मैकुलम से पहले इंग्लैंड कहां खड़ा था?
यह भी याद रखना होगा कि मैकुलम के आने से पहले इंग्लैंड की हालत क्या थी। जेम्स एंडरसन और स्टुअर्ट ब्रॉड जैसी ऐतिहासिक तेज गेंदबाजी जोड़ी के बावजूद टीम दिशाहीन थी। आत्मविश्वास, स्पष्टता और साहस का अभाव साफ झलकता था। ऑस्ट्रेलिया में शर्मनाक हार के बावजूद यह भी सच है कि कुछ सत्रों में इंग्लैंड ने मुकाबला किया। बैजबॉल पूरी तरह विफल नहीं रहा, लेकिन उसकी सीमाएं बुरी तरह से उजागर हो गईं।
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जोनाथन ट्रॉट और इंग्लैंड के कोच मैकुलम - फोटो : Twitter
तैयारी की कमी और वैचारिक जिद
सबसे बड़ा दोष मैदान के बाहर की फैसलेबाजी का रहा। विदेशी परिस्थितियों में बिना अभ्यास मैच खेले उतरना, वह भी अनुभवहीन गेंदबाजों और बल्लेबाजों के साथ, हैरान करने वाला फैसला था। तैयारी को विचारधारा की बलि चढ़ा दिया गया। बैजबॉल के ओवरऑल आंकड़े (8 जीत और 11 हार) भले ठीक लगें, लेकिन जब भारत और ऑस्ट्रेलिया जैसी बड़ी टीमों के खिलाफ प्रदर्शन देखा जाए, तो इंग्लैंड ने पिछले आठ में से सात टेस्ट गंवाए हैं। पाकिस्तान में भी हार मिली। यानी जैसे ही परिस्थितियों ने आक्रामक सोच को चुनौती दी, बैजबॉल लड़खड़ा गया।
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मैकुलम - फोटो : ANI
असल समस्या: सिस्टम ही खराब
2012 में भारत दौरे पर इंग्लैंड की सफलता का राज तीन अभ्यास मैच था। योजनाबद्ध तैयारी और परिस्थितियों के अनुसार ढलने की क्षमता ने इंग्लिश टीम को जीत दिलाई थी। इस बार इंग्लैंड को लगा कि केवल मानसिकता ही तकनीकी कमियों को ढक लेगी। हालांकि, यह एक भ्रम था, जो ऑस्ट्रेलिया में टूट गया। यह संकट सिर्फ मैकुलम का नहीं है। काउंटी क्रिकेट ठहरा हुआ है, स्पिन गेंदबाजी को नजरअंदाज किया जा रहा है, मार्क वुड जैसे चोटिल तेज गेंदबाजों का प्रबंधन खराब है और इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड के पास दीर्घकालिक रणनीति का अभाव है।
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