उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत रुद्रपुर के भ्रमण पर आए थे और इस दौरान उन्होंने पूरे आत्मविश्वास से कहा कि कोविड-19 को लेकर प्रदेश सरकार हर परिस्थिति से निपटने के लिए सक्षम और तैयार है। इसे इत्तफाक ही कहेंगे कि एक तरफ जहां सीएम ये बयान जारी कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर सीने में उठे दर्द की वजह से दम तोड़ने वाली एक लड़की का शव तीन दिनों तक मोर्चरी में इसलिए सड़ता रहा कि उसकी कोरोना जांच की रिपोर्ट नहीं आई थी।
{"_id":"5ecd16892ed3a2591e72114a","slug":"coronavirus-in-uttarakhand-girl-dead-body-kept-rotting-till-three-days-in-wait-of-corona-report","type":"photo-gallery","status":"publish","title_hn":"हाय रे सिस्टम: कोरोना रिपोर्ट के इंतजार में तीन दिन सड़ता रहा युवती का शव, उधार के पैसों से बदलीं बर्फ की सिल्लियां","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
हाय रे सिस्टम: कोरोना रिपोर्ट के इंतजार में तीन दिन सड़ता रहा युवती का शव, उधार के पैसों से बदलीं बर्फ की सिल्लियां
दीप चंद्र बेलवाल, अमर उजाला, रुद्रपुर Published by: अलका त्यागी Updated Tue, 26 May 2020 08:08 PM IST
विज्ञापन

- फोटो : अमर उजाला

Trending Videos

- फोटो : अमर उजाला
कोरोना जांच की रिपोर्ट अब 24 घंटे में आने लगी है, लेकिन युवती की रिपोर्ट तीन दिन तक नहीं दी गई। परिवार वाले तीन दिनों तक अपनी इकलौती बेटी का शव बेबस होकर सड़ता हुआ देखते रहे। यह खामी किसकी रही कि रिपोर्ट आने में इतना समय लग गया और क्या उस परिवार की पीड़ा के लिए सरकार या प्रशासन जिम्मेदार नहीं है। चूंकि लड़की एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखती है, लिहाजा यह मामला सब भूल जाएंगे।
विज्ञापन
विज्ञापन

- फोटो : अमर उजाला
गदरपुर के संजयनगर महतोष निवासी शीतल (18) को बीते शुक्रवार की शाम करीब छह बजे अचानक सीने में दर्द होने के बाद परिजन निजी अस्पताल लाए थे। वहां उसकी मौत हो गई थी। इसके बाद पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए रुद्रपुर मोर्चरी में भेज दिया था। पिता रूप सिंह, भाई फूल कुमार, चाचा राजकिशोर समेत कई पारिवारिक सदस्य पिकअप में शव लेकर रुद्रपुर मोर्चरी पहुंचे थे। स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोरोना जांच के लिए शव से सैंपल लेकर जांच के लिए भेज दिया था।

- फोटो : अमर उजाला
परिजनों को बताया गया कि अगले दिन रिपोर्ट आने के आधार पर ही शव परिजनों के सुपुर्द किया जाएगा। तब से परिजन रोज मोर्चरी पहुंचकर कर्मचारियों से जानकारी लेते रहे, लेकिन रिपोर्ट नहीं आने की बात कहकर उन्हें घर भेज दिया जाता। इस तरह से तीन दिन बीत गए और भीषण गर्मी से शव भी धीरे-धीरे सड़ने लगा। परिजन बेबस होकर बस बेटी का शव सड़ता देखते रहे और फफकते रहे। मां दयावती का रो-रोकर बुरा है। इस बीच, सोमवार शाम को युवती की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने पर उसका शव परिजनों के सुपुर्द किया गया। देर शाम को परिजनों ने उसका अंतिम संस्कार किया।
विज्ञापन

- फोटो : अमर उजाला
मृतका के पिता रूप सिंह मजदूरी करते हैं। रोज कमाने के बाद घर का गुजर बसर चलता है। लॉकडाउन के बाद से ही परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहा है। बेटी की मौत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। रूप सिंह ने बताया कि मोर्चरी में सोमवार तक बर्फ की 14 सिल्लियां लगीं। एक बर्फ की सिल्ली 180 रुपये की आ रही है। इसके लिए भी उनके पास रुपये नहीं थे। उन्होंने मजबूर होकर उधार रुपये लेकर बर्फ की सिल्ली मंगाई। चाचा राजकिशोर का कहना है कि जिला मुख्यालय में इंतजाम अधूरे ही रहते हैं। इतनी बड़ी मोर्चरी बनाने का क्या फायदा जहां डीप फ्रिज तक नहीं है।