देहरादून में इंदिरा कॉलोनी में जमींदोज हुए मकान में एक-दो दिन में किलकारियां गूंजने वाली थी। लेकिन, वक्त ने ऐसी करवट ली कि चंद सेकेंड में मातम पसर गया। नींद में ही मौत के पंजे ने चार जिंदगियों पर झपटा मार दिया। पहले बच्चे आने की उम्मीद में समीर और किरन तमाम तैयारियों में जुटे थे। लेकिन, किसे पता था कि समीर के घर से खुशी एक कदम से वापस लौट जाएगी।
समीर और किरन की शादी को अप्रैल में एक साल हुआ था। किरन का गर्भकाल पूरा हो गया था। एक-दो दिन में किरण मां बनने वाली थी। समीर दिहाड़ी मजदूरी करता है, लेकिन बकौल समीर वह पत्नी की सारी जरूरतों का ध्यान रखता था। उसका ध्यान रखने के लिए मंगलवार को बहन को भी बुला लिया था। लेकिन, समीर को क्या पता था कि किरन और उसकी आने वाली संतान के साथ क्या होने वाला है?
हादसे का मंजर देखकर लगा कि मानों यहां मौत अपने शिकार को चुनने के लिए आई थी। इसलिए एक ही मकान में आसपास सोए छह लोगों में से चार लोगों की जान चली गई। बाकी दो की बच गई। दरअसल, विरेंद्र के कमरे में उनकी पत्नी विमला, बेटा कृष और बेटी सृष्टि एक साथ एक बेड पर सोए थे। लेकिन, हादसे में केवल कृष बच पाया।
इसी तरह दूसरे हिस्से में समीर का परिवार था। एक बेड पर समीर और किरन सोए थे और बगल के रसोई वाले कमरे में प्रमिला। मकान गिरा तो प्रमिला और किरन की जान गई। जबकि, समीर को न के बराबर चोटें आईं।
कुछ लोगों ने समीर को बताया था कि पुश्ते पर दरारें आई थीं। दो दिन पहले उसके बारे में सब बातें कर रहे थे। लेकिन, समीर को क्या पता था कि ये उसके परिवार की मौत की वजह यही बनेंगी। समीर को भी इस बात का बेहद दुख है कि शायद इसमें पहले कोई कुछ कर लेता तो आज दोनों परिवार बच जाते।