देहरादून में डेंगू का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। जिले में डेंगू के मरीजों की संख्या दो हजार से पार पहुंच गई है। डेंगू की रोकथाम और इलाज की व्यवस्था को लेकर बीते तीन माह से सिर्फ दिशा निर्देशों का ही दौर चल रहा है। सरकारी अस्पतालों में व्यवस्थाएं धराशायी हो चुकी हैं। 500 से अधिक बेड की क्षमता वाले दून अस्पताल में ज्यादातर बेड पर डेंगू के मरीज भर्ती हैं।
हालात ये हैं कि अस्पतालों में बेड तो बेड अब स्ट्रेचर भी फुल हो गए हैं। ऐसे में अब मरीज के तीमारदारों में स्ट्रेचर को लेकर भी विवाद होने लगे हैं। दून अस्पताल और कोरोनेशन अस्पताल में मरीज फर्श पर लेटकर इलाज कराने को मजबूर हैं। मंगलवार को दून अस्पताल में स्ट्रेचर को लेकर दो मरीजों के तीमारदारों में विवाद हो गया।
अस्पताल के ही एक स्ट्रेचर पर एक मरीज अपना हक बता रहा था तो दूसरा अपना। कुछ देर बाद वह अस्पताल के एक कर्मचारी को बुलाकर लाया तो स्ट्रेचर पर लेटे मरीज को हटा दिया गया। इसी बीच उसका तीमारदार दूसरा स्ट्रेचर बाहर से लाया। हालांकि, कुछ देर बाद दून अस्पताल में एमएस का दौरा हुआ तो इन मरीजों को भी लेटने के लिए स्ट्रेचर मुहैया करा दिया गया।
दून अस्पताल में शुरुआत में आठ बेड का डेंगू वार्ड बनाया गया था। इन बेड पर मच्छरदानी आदि की व्यवस्था की गई थी। इसके बाद जब डेंगू के मरीजों में वृद्धि हुई तो इसे बढ़ाकर दोगुना कर दिया गया। वर्तमान में ये सभी बेड भी फुल हैं।
डेंगू के बढ़ते मरीजों के कारण अन्य मरीजों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इमरजेंसी में आने वाले एक्सीडेंट व अन्य क्रिटिकल लोगों के लिए पहले तो यहां स्ट्रेचर ही ढूंढ पाना मुश्किल हो रहा है। अगर स्ट्रेचर मिल भी जाए तो बेड की व्यवस्था नहीं हो पा रही है।