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इनके लिए भगवान से कम नहीं डॉक्टर: बिना चीरा लगाए भरे दिल के छेद, सात मिनट में एंजियोप्लास्टी कर बचाई जान

Dehradun Published by: अलका त्यागी Updated Thu, 27 Jul 2023 06:37 PM IST
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Doon Hospital Doctors Doing Angioplasty in seven minutes and fill holes in heart without incision
दून अस्पताल के डॉक्टरों की टीम - फोटो : अमर उजाला

दून अस्पताल की कैथ लैब में नौ साल की बच्ची के दिल के छेद को बिना चीरा लगाए सर्जरी से ठीक किया गया। यहां इस तरह की यह पहली सर्जरी है। इसके अलावा एक अन्य मरीज को हार्ट अटैक के बाद महज सात मिनट में दो स्टंट डालकर एंजियोप्लास्टी से नई जिंदगी दी गई। दोनों मरीज स्वस्थ हैं। दोनों का इलाज आयुष्मान योजना के तहत निशुल्क हुआ है। बच्ची को बुधवार को छुट्टी दे दी गई।

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चमोली जिले की नौ वर्षीय अंशी को बचपन से ही दिल में दो छेद थे। माता-पिता ने कई अस्पतालों में दिखाया लेकिन हर जगह डॉक्टर ने मोटी फीस बताई। इस वजह से अंशी का ऑपरेशन नहीं हो पाया। माता-पिता के पास ऑपरेशन कराने के लिए इतने पैसे नहीं थे।

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Doon Hospital Doctors Doing Angioplasty in seven minutes and fill holes in heart without incision
अंशी - फोटो : अमर उजाला

दो दिन पहले अंशी के माता-पिता ने दून अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग में उसे दिखाया। कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अमर उपाध्याय ने जांच की तो पता चला कि बच्ची के दिल में छेद हैं। इसके बाद सर्जरी की तैयारी शुरू हुई। बिना चीरा लगाए पीडीए (पेटेंट डक्ट्स आर्टेरियोसिस) सर्जरी से दिल के छेद को सही किया गया।

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Doon Hospital Doctors Doing Angioplasty in seven minutes and fill holes in heart without incision
दून अस्पताल के डॉक्टरों की टीम - फोटो : अमर उजाला

वहीं, चकराता के 61 वर्षीय गोपाल सिंह तोमर को 25 जुलाई को मेजर हार्ट अटैक आया था। आननफानन उन्हें दून अस्पताल की इमरजेंसी लाया गया। डॉ. अमर उपाध्याय ने जांच की तो पता चला कि उनके हार्ट में ब्लॉकेज है।

Doon Hospital Doctors Doing Angioplasty in seven minutes and fill holes in heart without incision
दून अस्पताल के डॉक्टरों की टीम - फोटो : अमर उजाला

ऐसे में एंजियोप्लास्टी करने का फैसला किया गया। उनकी स्थिति बिगड़ती जा रही थी। डॉ. उपाध्याय ने महज सात मिनट में मरीज की एंजियोप्लास्टी की। दो स्टंट लगाकर ब्लॉकेज सही कर दिया गया।

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दून मेडिकल कॉलेज - फोटो : अमर उजाला फाइल फोटो

दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना ने बताया, अस्पताल में कैथ लैब बनने से हार्ट के मरीजों को नई जिंदगी मिल रही है। यहां दिल के मरीजों की सर्जरी हो रही है। रेफर नहीं करना पड़ रहा है। करीब 18 एंजियोप्लास्टी हो चुकी है। वहीं डॉ. अमर ने बताया, एंजियोप्लास्टी के बाद भी कुछ मरीजों की जान नहीं बच पाती है। इसके लिए जरूरी है कि मरीज सही समय पर अस्पताल पहुंचे।

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