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होली 2021: बन रहे तीन विशेष योग, होलिका दहन के बाद ये काम करना होगा शुभ और फलदायी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, हरिद्वार/लक्सर
Published by: अलका त्यागी
Updated Sun, 28 Mar 2021 07:42 PM IST
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उत्तराखंड में होलिका दहन
- फोटो : फाइल फोटो
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होली के त्योहार पर इस बार तीन विशेष योग बन रहे हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, होलिका दहन का शुभ मुहूर्त कई साल बाद भद्राकाल से मुक्त होगा। वर्ष 2021 में होलिका दहन पर तीन विशेष योग सर्वार्थ सिद्धि योग, अमरत्व सिद्धियोग, वृद्धि योग का संयोग है।
पंडित अवनीश शर्मा के अनुसार इस साल प्रदोष काल में भद्रा का साया नहीं होना बहुत दुर्लभ और शुभ संयोग है। ऐसे में शाम 6: 32 बजे से 8: 07 बजे तक शुभ योग और 8: 08 बजे से रात 9:30 बजे तक अमृत काल का शुभ संयोग रहेगा। इस दौरान होलिका दहन करना शास्त्र सम्मत उचित रहेगा।
भद्रा में होलिका दहन नहीं किया जाता है, क्योंकि भद्रा भगवान सूर्यदेव की पुत्री और शनिदेव की बहन हैं। शनिदेव की तरह उनका स्वभाव भी उग्र है। ब्रह्मा जी ने कालखंड की गणना और पंचांग में भद्रा को विष्टिकरण में रखा है।
क्रूर स्वभाव के कारण ही भद्राकाल में शुभकार्य निषेध हैं। केवल तांत्रिक, न्यायिक और राजनीतिक कर्म ही हो किए जाते हैं।
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चांद
- फोटो : अमर उजाला फाइल फोटो
ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि होलिका दहन के बाद चंद्रमा का दर्शन करने से पूरे वर्ष घर परिवार में अकाल मृत्यु नहीं होती है। ये चंद्रमा विशेष होता है क्योंकि इस दिन चंद्र अपने पिता बुध की राशि में और सूर्य अपने गुरु बृहस्पति की राशि में होते हैं। होलिका दहन से पूर्व होलिका की सात परिक्रमा करके उसमें उपले, मिठाई, चावल, लौंग, इलायची संकल्प सहित रखी जाए तो परिवार के सुख में वृद्धि होती है।
होलिका दहन के बाद ऐस करने से मेष राशि वालों को धन, वृष वालों को शत्रु विजय, मिथुन वालों को रोजगार, कर्क वालों को उत्तम व्यापार, सिंह वाले को उत्तम जीवन साथी, कन्या राशि वालों को धन, जमीन की प्राप्ति, तुला राशि वालों को सुख, वृश्चिक राशि वालों को संतोष, धनु वालों को भाग्य वृद्धि, मकर वालों को आरोग्य, कुंभ राशि वालों को यात्रा से लाभ, मीन राशि वालों को वाहन सुख मिलता है।
ज्योतिषाें के अनुसार, होलिका पूजन करते समय उसमें लकड़ी, सूखे उपले और सूखे कांटे डालें। होलिका के पास और किसी मंदिर में दीपक जलाएं। होलिका में कपूर, लौंग डालनी चाहिए। इससे होली जलते समय कपूर, लौंग का धुआं वातावरण की पवित्रता को बढ़ाता है। घर से लाए हुए जौ, गेहूं, चने की बालियों को होली में डालें। अगले दिन होली की अग्नि और भस्म घर लाएं और पूजा वाली जगह पर रखें।
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उत्तराखंड में होली
- फोटो : अमर उजाला
भारतीय प्राच्य विद्या सोसायटी के संस्थापक प्रतीक मिश्र पुरी के मुताबिक इस बार होली को पानी के रंगों से न खेलकर सूखे रंगों से खेलना शुभ होगा। मेष, वृश्चिक राशि वाले जातक लाल रंग, वृष तुला वाले इत्र वाले गुलाल, मिथुन और कन्या राशि वाले हरे रंग, कर्क वाले अबीर, सिंह वाले गुलाबी रंग, धनु मीन वाले पीले रंग, मकर कुंभ वाले नीले गुलाल से होली खेलें।
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