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CourageInKargil: शादी के 10 दिन बाद आ गया था बुलावा, 'विजय' के बाद ही तिरंगे में लिपटकर लौटे थे शहीद विजय

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, देहरादून Published by: अलका त्यागी Updated Sun, 26 Jul 2020 01:40 PM IST
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kargil vijay diwas 2020: dehradun Soldiers Vijay singh bhandari Martyrs after 10 days of marriage
शहीद विजय सिंह भंडारी - फोटो : अमर उजाला

देहरादून के शहीद विजय सिंह भंडारी 17 गढ़वाल राइफल्स में तैनात थे। करगिल युद्ध जब शुरू हुआ था तो तब उनकी शादी हुई थी। शादी हुए मात्र दस दिन हुए थे। तभी उनकी छुट्टी निरस्त कर बुला लिया गया। उसके बाद परिवार परेशान हो गया था। मां बताती हैं कि यूनिट में पहुंचने के बाद उसने वहां जाने की जानकारी दी थी। उसके बाद शहादत की ही खबर मिली। उसके बाद पूरा परिवार बिखर सा गया। 

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kargil vijay diwas 2020: dehradun Soldiers Vijay singh bhandari Martyrs after 10 days of marriage
- फोटो : अमर उजाला

तीन बेटियों की शादी के बाद अकेले घर में रह रही मां रामचंद्री नम आंखों से बताती हैं कि शादी समारोह का जश्न फीका भी नहीं हुआ था कि उनके बेटे की छुट्टी रद्द कर उसे वापस बुला लिया था। इससे पहले वह दो माह की छुट्टी पर घर आया था। बेटे की सेना में जाने की बहुत तमन्ना थी। लेकिन अकेला चिराग होने के कारण घरवाले उसे सेना में जाने से मना करते थे। 

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- फोटो : अमर उजाला

इसलिए उसने भर्ती होने की खबर परिवार से छुपाई थी। भर्ती के कुछ दिन बाद उसने घर में यह खुशखबरी सुनाई थी। मां बताती हैं कि विजय के पिता भी सेना में थे। वर्ष 2006 में उनकी मौत हो गई थी। विजय के शहीद होने के बाद पत्नी घर छोड़ कर चली गई थी। मां रामचंद्री देवी बताती हैं कि उन्हें बेटे की पेंशन का मात्र बीस प्रतिशत हिस्सा मिलता है। विजय के शहीद होने के बाद पिता ने अपने खर्चे पर शामपुर में अपने आवास पर शहीद द्वार के साथ ही पंचायती मिलन केंद्र बनवाया। 

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- फोटो : अमर उजाला

आज भी वह द्वार की मरम्मत अपने खर्च पर करती हैं। शहीद की मां का कहना है कि उन्हें इस बात का दुख है कि सरकार शहीद के माता-पिता को उचित सम्मान नहीं देती। सरकार की ओर से मिलने वाला सम्मान पत्नी के साथ-साथ माता-पिता को भी मिलना चाहिए। 

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- फोटो : सोशल मीडिया

प्रेमनगर में दो साल पहले चले अतिक्रमण के महाभियान में शहीद विजय सिंह के नाम का शहीद स्मारक अतिक्रमण की चपेट में आकर टूट गया था। लेकिन अभी तक स्मारक को नहीं बनाया। समाजसेवी बीरू बिष्ट ने बताया कि इस संबंध में सीएम से लेकर डीएम तक गुहार लगाई जा चुकी है, लेकिन कोई सुध नहीं ले रहा है। प्रशासन चौड़ीकरण पूरा होने के बाद स्मारक बनाने की बात कह रहा है। 

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