इंस्पेक्टर विपिन चंद्र पंत ने मासूमों के साथ दरिंदगी और उनकी हत्या करने के जघन्य अपराध के अभियुक्तों को फांसी की सजा भी दिलवाई है। 1990 से पंत गाजियाबाद, नोएडा, पिथौरागढ़, देहरादून, लोहाघाट, चमोली में सेवाएं दे चुके हैं। इन्हें दो बार राज्यपाल पुरस्कार मिल चुका है।
मिलिए, ऐसे दबंग इंस्पेक्टर से जो माओवादियों के बीच पहुंचकर पर्यटकों को छुड़ा लाया
2004 में बनबसा के गड्ढा चौकी में छेड़खानी करने पर नेपाल के माओवादियों ने हरियाणा के दो पर्यटकों का अपहरण कर लिया था। विपिन चंद्र पंत ने वेश बदलकर माओवादियों के बीच पहुंचे और
पर्यटकों को छुड़ाया।
दस जुलाई 2012 की रात बिंदुखत्ता की बेटी सुनीता (काल्पनिक नाम) बिस्तर से गायब हो गई। अगली सुबह उसका शव खेत से बरामद हुआ। उच्चाधिकारियों द्वारा ने ये केस इंस्पेक्टर पंत को सौंप दिया। 57 संदिग्धों की डीएनए जांच के बाद आरोपी दीपक पकड़ में आया। 28 फरवरी 2014 को जिला एवं सत्र न्यायाधीश मीना तिवारी ने दीपक को दुष्कर्म, हत्या व अन्य धाराओं में दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई।
20 नवंबर 2014 को काठगोदाम में एक शादी में पिता के साथ आई छह साल की बच्ची गायब हो गई। हल्द्वानी से पिथौरागढ़ तक विरोध प्रदर्शन हुए। एक बार फिर यह केस विपिन चंद्र पंत को दिया गया। डंपर चालक अख्तर अली व दो अन्य को गिरफ्तार किया गया। अख्तर अली को जिला कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई।
12 जनवरी 2018 में नैनीताल जिले में मंगोली चौकी क्षेत्र में शव मिला। सोशल मीडिया का सहारा लेने के बाद हत्याकांड का खुलासा हुआ। मृतक की पहचान मनोज चौधरी निवासी टांडा अमरपुर थाना
बिलारी मुरादाबाद के रूप में हुई, जिसकी हत्या उसके भाई ने साथियों के साथ मिलकर की थी। आरोपित जेल में हैं।