सब्सक्राइब करें

भारत में न बन सकीं, लेकिन नेपाल में हेमानंद बनीं शंकराचार्य, जानिए कौन हैं ये साध्वी      

कौशल सिखौला, अमर उजाला, हरिद्वार Updated Tue, 28 Aug 2018 04:54 PM IST
विज्ञापन
sadhvi hemanand giri become nepal first shankaracharya
1 of 5
sadhvi hemanand giri
loader
जूना अखाड़े की महामंडलेश्वर स्वामी हेमानंद गिरि नेपाल में हाल में ही गठित पशुपतिनाथ पीठ की पहली शंकराचार्य पद पर आसीन हुई हैं। अब तक केवल भारत में ही शंकराचार्य पद था, जिसका अनुसरण नेपाल ने भी कर लिया। ज्योर्तिमठ-बद्रीकाश्रम पीठ के शंकराचार्य बनने में नाकाम रही हेमानंद नेपाल में शंकराचार्य बन ही गई। हरिद्वार में भी विगत कुंभ से पहले शंकराचार्य की तर्ज पर महिला पार्वत्याचार्य बनाने का प्रयास विफल हो गया था। 
 
Trending Videos
sadhvi hemanand giri become nepal first shankaracharya
2 of 5
sadhvi hemanand giri
केवल भारत में ही आदि शंकराचार्य की ओर से चार पीठें स्थापित हैं, जिन पर शंकराचार्य आसीन हैं। उत्तर में ज्योर्तिपीठ, दक्षिण में श्रंगेरीपीठ, पूरब में गोवर्धनपीठ तथा पश्चिम में शरदापीठ बनाई गई हैं। इनके बाद कुछ और पीठें भी करपात्री महाराज ने बनाई, जो अमान्य हैं। पिछले वर्ष जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्योर्तिपीठ के शंकराचार्य होने का दावा कर रहे वासुदेवानंद सरस्वती तथा स्वरूपानंद सरस्वती, दोनों को पद मुक्त कर दिया।
 
विज्ञापन
sadhvi hemanand giri become nepal first shankaracharya
3 of 5
द्वारका के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती - फोटो : अमर उजाला
तब धर्ममहामंडल और विद्वत परिषद ने न्यायालय के आदेश पर एक नया शंकराचार्य चुने का कार्य शुरू किया। तब जूना अखाड़े महामंडलेश्वर स्वामी हेमानंद गिरि ने अकेली महिला के रूप में आवेदन किया। लेकिन आगे जाकर स्वरूपानंद महाराज को दोनों पीठों का शंकराचार्य मान लिया गया। तब से हेमानंद कहीं न कहीं का शंकराचार्य बनने के प्रयासों में जुटी हुई थी। कहीं सफलता न मिलने पर उन्होंने नेपाल के संतों से पशुपतिनाथ पीठ का सृजन कराया और विश्व की पहली महिला शंकराचार्य बन बैठी। संतों की अखाड़ा परिषद ने उनके पद को मान्यता देने से इनकार कर दिया है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमंहत नरेंद्र गिरि ने कहा कि शंकराचार्य के पद भारत के अलावा और कहीं नहीं हो सकते। 
 
sadhvi hemanand giri become nepal first shankaracharya
4 of 5
haridwar
महिला शंकराचार्य पद को लेकर वर्ष 2010 के हरिद्वार कुंभ में उस समय हंगामा खड़ा हो गया था, जब मां योगशक्ति ने शंकराचार्य के समकक्ष महिला संतों के लिए पार्वत्याचार्य पद कर सृजन कर डाला। उन्होंने उस समय अमेरिका में रह रही महामंडलेश्वर ज्योतिषानंद को पहली पार्वत्याचार्य बनाकर कनखल में पट्टाभिषेक समारोह का आयोजन किया था। समारोह का विरोध सभी अखाड़े कर रहे थे। समारोह के चलते सैकड़ों नागा संन्यासियों समारोह स्थल जाकर पंडाल उखाड़ फेंका और योगशक्ति तथा ज्योतिषानंद दोनों को हरिद्वार की सीमाओं से बाहर खदेड़ दिया। उस समय भले ही कोई महिला शंकराचार्य के पद नहीं आ पाई, लेकिन दो दिन पूर्व मां हेमानंद गिरि नेपाल में पहली महिला शंकराचार्य पद पर आसीन हो गई।  
 
विज्ञापन
sadhvi hemanand giri become nepal first shankaracharya
5 of 5
स्वामी स्वरूपानंद - फोटो : ANI
आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित मठाम्नाय के अनुसार शंकराचार्य पद पर कोई महिला नहीं बैठ सकती। महिला प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बन सकती हैं, लेकिन शंकराचार्य नहीं। जहां तक नेपाल का सवाल है, नेपाल में शंकराचार्य पीठ की स्थापना कतई अमान्य है। नेपाल सरकार से इसका विरोध किया जाएगा। 
- स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती, जगद्गुरु शंकराचार्य 

यह ठीक है कि महामंडलेश्वर हेमानंद गिरि जूना अखाड़े के मंडलेश्वर हैं। उन्हें शंकराचार्य बनने का अधिकार नहीं। उन्होंने अपने पट्टाभिषेक में चादर देने के लिए किसी अखाड़े को भी नहीं बुलाया। नेपाल में शंकराचार्य पीठ की स्थापना नहीं की जा सकती। आने वाले कुंभ मेलों में हेमानंद तभी स्नान कर पाएंगी, जब वे महामंडलेश्वर के रूप में आएंगी।
- श्रीमहंत हरि गिरि, राष्ट्रीय महामंत्री अखाड़ा परिषद, संरक्षक जूना अखाड़ा 
विज्ञापन
अगली फोटो गैलरी देखें

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed