चीन के वुहान से शुरू हुआ कोरोनावायरस अब दुनिया के 85 देशों को अपनी चपेट में ले चुका है। भारत में भी अब तक 31 मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें दिल्ली के दो मरीज शामिल हैं। ऐसे में लोग भ्रांतियों पर भरोसा न करते हुए अपने बचाव पर ज्यादा ध्यान दें।
दुनिया में पहले से मौजूद है कोरोनावायरस, अब तक मिल चुके इसके सात प्रकार
दिल्ली एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि कोरोना वायरस दो मीटर से ज्यादा दूर नहीं जाता है। इसलिए सार्वजनिक स्थलों पर अगर जरूरी काम के सिलसिले में जाते हैं तो कम से कम दो मीटर की दूरी बनाने का प्रयास करें। हाथों को बार-बार इसलिए धोएं ताकि संक्रमण मुंह और नाक के जरिए फेफड़ों तक न पहुंचे।
मीडिया को दिए बयान में उन्होंने कहा कि इस समय हालात गंभीर जरूर हैं लेकिन घबराने से ज्यादा सतर्कता बरतने की जरूरत है। अगर कोई व्यक्ति प्रभावित देशों की यात्रा करके वापस लौटा है या फिर उससे कोई अन्य व्यक्ति संपर्क में आया है तो वह अपनी जांच करा सकता है। सभी राज्यों में सरकार ने जांच की सुविधा दी हुई है। इसके अलावा अगर किसी को जुकाम, बुखार, सिर दर्द या निमोनिया जैसी शिकायतें आती हैं तो वे भी डॉक्टर की सलाह जरूर लें। ये एक प्रकार का इन्फ्लूएंजा है जिसके लक्षण फ्लू की तरह ही दिखाई देते हैं।
दरअसल दुनिया में कोरोना पहले से ही मौजूद है। अब तक इसके सात प्रकार के स्ट्रेन देखने को मिल चुके हैं। दो-दो एल्फा व बीटा के अलावा एमईआरएस, एसएआरएस के रूप में देखने को मिले हैं। पिछले वर्ष 2019 में एसएआरएस-2 स्ट्रेन की शुरुआत हुई थी जोकि धीरे धीरे कोविड-19 में परिवर्तित होता चला गया। हालांकि इसका प्रभाव बाकी स्ट्रेन की तुलना में ज्यादा घातक है। इसीलिए चीन सहित कई देशों में अब तक तीन हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
इन्हें सबसे ज्यादा है खतरा, सामान्य को नहीं
डॉक्टरों के अनुसार एक सामान्य व स्वस्थ्य व्यक्ति में कोरोना संक्रमण पाया जाता है तो उसका बचाव आसानी से किया जा सकता है लेकिन अगर कोई व्यक्ति पहले से ही रोगी हो तो उसे ज्यादा खतरा है। मधुमेह, रक्तचाप के अलावा ह्दय से संबंधित रोग ग्रस्त मरीज के लिए ये संक्रमण घातक हो सकता है। वहीं गर्भवती महिलाएं और 60 वर्ष से ज्यादा आयु के लोगों के लिए कोरोना संक्रमण से बचना बेहद जरूरी है।