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दिल्ली हिंसाः 10 दिन पहले बिजनौर से दिल्ली आया था आफताब, नाले से मिला शव, अधूरा रह गया सपना
शुभम बंसल, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: पूजा त्रिपाठी
Updated Tue, 03 Mar 2020 09:39 AM IST
10 दिन पहले ही रोजगार की तलाश में यूपी के बिजनौर से दिल्ली आया आफताब अब इस दुनिया में नहीं है। जब वह अपने घर से चला था तो उसके जहन में बस एक ही सपना था, डॉक्टर बनने का। पढ़ें आफताब की दिल दहला देने वाली कहानी...
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- फोटो : अमर उजाला
परिवार की हालत ठीक न होने की वजह से वह नौकरी करते हुए पढ़ाई जारी रखना चाहता था, इसलिए वह दिल्ली आया और कूलर की दुकान पर काम शुरू कर दिया, लेकिन दिल्ली की हिंसा में उसकी जान चली गई। सोमवार को परिजनों ने ठुड्डी पर तिल से शव की शिनाख्त की।
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परिजनों के अनुसार, आफताब (20) अपने परिवार में छह भाइयों में सबसे छोटा था। मुस्तफाबाद स्थित शिव विहार में हनुमान मंदिर के पास रह रहा आफताब (जोकि 11वीं कक्षा में पढ़ रहा था) काम के सिलसिले में कुछ दिन पहले ही दिल्ली पहुंचा था। बड़े भाई फिरोज खान बताते हैं कि हिंसा के दिन 24 तारीख को वह अपने घर से नीचे कुछ सामान लेने गया था। इस दौरान शाम को आफताब से बात हुई, तो उसने दिल्ली में हिंसा के बारे में बताया। हिंसा के दूसरे दिन आफताब को फोन किया, लेकिन रिंग जाने के बाद भी कोई जवाब नहीं आया।
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- फोटो : अमर उजाला
इसके बाद परिवार वाले आफताब से मिलने दिल्ली पहुंचे तो वह घर पर नहीं मिला। भाई फिरोज व पिता उत्तर-पूर्वी दिल्ली स्थित जीटीबी व दूसरे अस्पतालों की मोर्चरी में पिछले एक हफ्ते से ढूंढ रहे थे, लेकिन आफताब का कुछ पता नहीं चला। इसके बाद फिरोज को आरएमएल अस्पताल की मोर्चरी में कुछ शव आने का पता चला, जिसके बाद परिजन मोर्चरी पहुंचे।
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आफताब का शव नाले में पड़े होने की वजह से फूल गया था, इसकी वजह से शव की पहचान करने में घरवालों को असमंजस हुआ। सोमवार दोपहर को भाइयों ने शव की पहचान कर ली। हालांकि देर शाम तक कुछ कानूनी प्रक्रिया के चलते पोस्टमार्टम नहीं हो सका। डॉक्टरों का कहना है कि मंगलवार को पोस्टमार्टम किया जाएगा। परिजनों की मांग हैं कि पोस्टमार्टम करने से पहले उसकी वीडियोग्राफी कराई जाए। आफताब के पिता बताते हैं कि उनका बेटा पढ़ने में बहुत अच्छा था। वह डॉक्टर बनना चाहता था।
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