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Career: The Art of Leading Together, Balancing Youthful Energy and Senior Experience for Better Leadership
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Career: सबको साथ लेकर चलना भी एक हुनर, युवाओं के जोश और वरिष्ठ अनुभव से बनता है बेहतर नेतृत्व; ऐसे करें पहचान
एम्मा वाल्डमैन, हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू
Published by: शिवम गर्ग
Updated Sat, 13 Sep 2025 02:27 PM IST
सार
ऑफिस सिर्फ काम करने की जगह नहीं, बल्कि सीखने और बढ़ने की प्रयोगशाला भी है। यहां अलग-अलग पीढ़ियों के लोग अपनी सोच और अनुभव के साथ काम करते हैं। ऐसे में, युवाओं के जोश और वरिष्ठों के अनुभव का संतुलन बनाना हर लीडर के लिए चुनौती भी है और अवसर भी।
क्या आपने कभी गौर किया है कि वर्तमान समय में ऑफिस केवल काम करने की जगह नहीं रहा, बल्कि एक प्रयोगशाला बन चुका है? ऐसा इसलिए है, क्योंकि यहां अलग-अलग पीढ़ियों के लोग अपनी सोच, अनुभव और आदतों के साथ काम करते हैं। यह स्थिति जितनी रोमांचक लगती है, उतनी ही चुनौतीपूर्ण भी है।
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- फोटो : freepik
इसका कारण है साथ में काम करने वाले लोगों की उम्र में अंतर। हो सकता है कि आपकी टीम में जोश और ऊर्जा से भरे 20-25 साल के कई नौजवान हों, तो अनुभवी व गंभीर 45-55 साल के कुछ उम्रदराज पेशेवर। नतीजतन, कार्य संस्कृति, संवाद शैली और काम की प्राथमिकताओं को लेकर टकराव होना लाजिमी है। ऐसे में, सभी के साथ तालमेल बिठाना आपके लिए थोड़ा कठिन जरूर हो सकता है, लेकिन आप सही दृष्टिकोण और नेतृत्व के साथ इनके अनुभवों को व्यक्तिगत व संगठनात्मक विकास का इंजन बना सकते हैं।
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हर किसी को समान महत्व
हर पीढ़ी की अपनी-अपनी विशेषताएं और कार्यशैली होती है, लेकिन कई लीडर इनके व्यक्तित्व व मूल्यों को लेकर कई तरह की सामान्य-सी अवधारणाएं बना लेते हैं-जैसे बेबी बूमर्स को बदलाव से कतराने वाला, जेनरेशन एक्स को निराशावादी, मिलेनियल्स को आत्मकेंद्रित व जेन जी का वफादार न होना। ऐसी धारणाएं टीम के भीतर सम्मान और सहयोग को नुकसान पहुंचाती हैं। बतौर लीडर उम्र के आधार पर निर्णय लेने से बचें और हर पीढ़ी की वास्तविकताओं को समझने की कोशिश करें।
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संवाद की चुनौती का हल
कार्यस्थल पर बातचीत की शैली को अक्सर सबसे बड़ी चुनौती माना जाता है। वरिष्ठ पेशेवर फोन या आमने-सामने की मुलाकात को तवज्जो देते हैं, जबकि युवा कर्मचारी, विशेषकर जेनरेशन जी, ई-मेल और टेक्स्ट को तेज और प्रभावी माध्यम मानते हैं। इसलिए, ऐसा माहौल बनाएं, जहां हर सदस्य खुलकर बता सके कि किस माध्यम में संवाद करना उसे सहज व उत्पादक लगता है। तौर-तरीकों को लेकर अपनी पसंद व अपेक्षाएं खुलकर साझा करना भी बेहद जरूरी है।
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सुरक्षित और समावेशी माहौल
शोध के अनुसार युवा पीढ़ियां सामाजिक और संवेदनशील मुद्दों पर खुलकर बातचीत करने में सहज महसूस करती हैं। वहीं, वरिष्ठ लोग अक्सर ऐसे मुद्दों पर सतर्क रहते हैं और नपी-तुली बात करना पसंद करते हैं। ऐसे में, आपकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी यह है कि आप टीम के प्रत्येक सदस्य की व्यक्तिगत सीमाओं का ध्यान रखते हुए एक सुरक्षित तथा समावेशी माहौल तैयार करें।
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