केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने शनिवार को 'अमर उजाला एजुकेशन फॉर भारत-2025' कॉन्क्लेव में राष्ट्रीय सुरक्षा और तकनीकी साक्षरता पर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि भविष्य के युद्ध मैदान में नहीं, बल्कि तकनीक के जरिए लड़े जाएंगे, इसलिए हमें तोपों और गोला-बारूद से ज्यादा उन्नत साइबर तकनीक की जरूरत है।
भारत बन रहा दुनिया की स्किल कैपिटल
प्रसाद ने कहा कि दुनिया में तकनीक तेजी से बदल रही है और भारत 'स्किल कैपिटल ऑफ वर्ल्ड' बन रहा है। यह बात अब स्टैनफोर्ड के विद्वान भी कह रहे हैं। अगर हम एआई को नहीं सीखेंगे तो पीछे रह जाएंगे। एआई बहुत तेजी से आ रहा है। हम सभी को इसकी तैयारी करनी चाहिए।
साइबर तकनीक ही भविष्य की ताकत
सुरक्षा के बदलते आयामों पर मंत्री ने कहा कि भविष्य में वो देश सशक्त होगा, जिसकी साइबर तकनीक मजबूत होगी। एआई जैसी तकनीक उभर रही है और इसमें रोज बदलाव हो रहे हैं। इसे समझने और अपनाने की जरूरत है।
एआई अब चंद लोगों की जागीर नहीं
तकनीक के लोकतंत्रीकरण पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि पहले टेक्नोलॉजी सिर्फ चंद लोगों के पास थी, लेकिन अब यह सबकी पहुंच में होगी। पीएम मोदी की अगुवाई में सरकार का लक्ष्य है कि तकनीक का फायदा अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे। सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि हमारे पास एआई के लिए जरूरी पर्याप्त जीपीयू उपलब्ध हों। हम छात्रों को बहुत कम कीमत पर इसे उपलब्ध करवाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
डीपफेक से बचने की दी चेतावनी
जितिन प्रसाद ने एआई के दुरुपयोग विशेषकर 'डीपफेक' को लेकर भी आगाह किया। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि एआई के दौर में डीपफेक एक बहुत बड़ा खतरा है। यह पहली नजर में देखने में असली लगता है, लेकिन नकली होता है। इससे बचने के लिए सरकार अध्ययन कर रही है और हम इस दिशा में काम कर रहे हैं। हमें एआई का इस्तेमाल जिम्मेदारी से करना होगा।
गूगल का निवेश और भारत की संभावनाएं
उन्होंने बताया कि गूगल जैसी बड़ी कंपनियां भारत में भारी निवेश कर रही हैं, क्योंकि यहां एआई के लिए अपार संभावनाएं हैं। सरकार दीर्घकालिक रणनीतियों पर काम कर रही है, जिससे भारत इस क्षेत्र में ग्लोबल लीडर बन सके।