साल 1988 में जब अमिताभ बच्चन ‘शहंशाह’ बनकर परदे पर लौटे और रेखा ने अमिताभ की तरह ही ‘खून भरी मांग’ और ‘बीवी हो तो ऐसी’ में धमाकेदार वापसी की तो दोनों के करियर को ये नया जीवनदान मिला। लेकिन ‘बीवी हो तो ऐसी’ ऐसी फिल्म है जिसकी नाकामी की दुआ खुद इसमें काम करने वाले सलमान खान ने मांगी, लेकिन फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर कामयाबी के शानदार सौ दिन पूरे किए थे।
35 Years Of Salman Khan: बिना सिफारिश सलमान को मिला इस फिल्म में पहला रोल, करियर में कामयाबी की पहली रेखा
रेखा को मिला लेडी अमिताभ का तमगा
रेखा ने अपने करियर में जीतेंद्र के साथ तमाम ऐसी फिल्में की हैं जिनमें वह सिंदूर और मंगलसूत्र के लिए दूसरी हीरोइन के साथ कंपटीशन करती नजर आती हैं। इन फिल्मों में साड़ी पहनने वाली रेखा दिखती भी बहुत खूबसूरत है। लेकिन, ये सारे किरदार एक हीरो के इर्द गिर्द रचे गए किरदार थे। फिल्म ‘बीवी हो तो ऐसी’ एक तरह से घरेलू हिंसा के खिलाफ खड़ी हुई एक बहू की कहानी है जो अपने परिवार के लिए दबंग बनने से भी बाज नहीं आती। ये नए जमाने की नई बहू का अवतार था। फिल्म में कांजीवरम की साड़ियां पहनने वाली, ससुर के पैर छूने वाली, सरस्वती की पूजा करने वाली, देवर का घर बसाने की कोशिशें करने वाली शालू शानदार तरीके से अपना रौद्र रूप भी दिखाती है। ये उन दिनों की बात है जब रेखा को ‘लेडी अमिताभ’ कहा जाने लगा था। और, दर्शकों ने उनका ये एक्शन अवतार खूब पसंद भी किया। हालांकि इसी फिल्म में कॉमेडी भी उन्होंने खूब की है।
फिल्म ‘बीवी हो तो ऐसी’ की कहानी भंडारी परिवार की कहानी है। परिवार की मालकिन कमला है और बिल्कुल मालकिन की तरह ही परिवार चलाती है। पति कैलाश घरजमाई है और हिंदी पट्टी में घर जमाई को लेकर जितनी कहावतें प्रचलित हैं, सब इन पर सौ फीसदी फिट होती हैं। घर का बड़ा सूरज शादी लायक है। मां की मनोकामना है कि उनकी हैसियत के किसी परिवार की बेटी घर आए। सूरज का दिल आ जाता है शालू पर। सास इस अनचाही बहू पर अत्याचार करती है। खूब साजिशें करती है। पर शालू घर की बहू बनकर उसका दिल जीतने की कोशिश में लगी रहती है। ससुर की वह दुलारी है। देवर विकी उसके हक में आवाज भी उठाता है। और, एक दिन सौ दिन सास के खत्म होते हैं और शुरू होता है एक दिन बहू का। कमला ये जानकर हैरान रह जाती है कि शालू वो नहीं है जो अब तक दिख रही थी। वह तो एक खेल का हिस्सा रही है। जो कैलाश भंडारी ने अपने दोस्त अशोक मेहरा के साथ मिलकर खेला।
खेल इस फिल्म के दौरान और भी बहुत हुए लेकिन पहले बात उन सलमान खान की जो आगे चलकर हिंदी सिनेमा के सुपरस्टार बने। इस फिल्म में सलमान खान का सेलेक्शन भी अपने आप में एक अलग कहानी है। फिल्म का पूरा सेटअप इसके निर्देशक जे के बिहारी ने तैयार कर लिया था। रेखा साइन हो चुकी थीं। उनके पति के किरदार में फारुक शेख साइन हो चुके थे। कादर खान, असरानी और बिंदू भी साइन हो चुके थे। बस नहीं मिल रहा था तो रेखा के देवर के रोल के लिए कोई युवा कलाकार। फिल्म के निर्देशक जय कुमार बिहारी एक दिन बहुत परेशान हो गए। उन्होंने सोच लिया कि आज जो भी स्ट्रगलर सबसे पहले उनके दफ्तर में काम मांगने आएगा, वह उसे ही साइन कर लेंगे। संयोग से उस दिन सलमान ने उनका दरवाजा खटखटा दिया। सलमान वहां पहुंचे थे के सी बोकाडिया के प्रोडक्शन मैनेजर की सिफारिश लेकर।
फिल्म में रेनू आर्या ने सलमान की हीरोइन का रोल किया है। उनका शूटिंग के दौरान का एक दुर्लभ चित्र यहां ऊपर आप देख सकते हैं। सलमान और कादर खान के बीच खड़ी रेनू आर्या की चर्चाएं उन दिनों खूब हुई थीं। कुछ लोग कहते थे वह फिल्म में के सी बोकाडिया की सिफारिश से आईं तो कुछ लोग उन्हें फिल्म के निर्माता सुरेश भगत का सेलेक्शन बताते थे। फिल्म ‘बीवी हो तो ऐसी’ में वैसे पहले जूही चावला ही सलमान खान की हीरोइन बनने वाली थीं। लेकिन, जब वह फिल्म साइन करने पहुंची तब तक रेनू आर्या फाइनल हो चुकी थीं। हालांकि सलमान अरसे तक यही समझते रहे कि जूही चावला ने एक अनजान लड़के के सामने काम करने से मना कर दिया था। इसे लेकर दोनों में मनमुटाव भी रहा। रेनू आर्या ने इसके बाद कोई दूसरी फिल्म नहीं की और फिल्म के रिलीज होने के तुरंत बाद एक एयरलाइंस में एयर होस्टेस की नौकरी करके सेटल हो गईं।