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Anjaan: कौन है वो गीतकार जिसने 'डॉन' को खिलाया पान? मशहूर गीतकार अनजान के पिता अनजान ने लिखे ये 10 मशहूर गाने
एंटरटेनमेंट डेस्क, अमर उजाला
Published by: अंजू बाजपेई
Updated Wed, 03 Sep 2025 09:42 AM IST
सार
Anjaan Death Anniversary: दिवंगत गीतकार अनजान की व्यक्तिगत और पेशेवर जिंदगी के बारे में ज्यादा लोग नहीं जानते होंगे। आइए आपको बताते हैं कि आखिर कौन थे अनजान, जिन्होंने अपने गीतों से स्टार्स को सुपरस्टार बना दिया।
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अनजान
- फोटो : सोशल मीडिया
अनजान, जिनका असली नाम लालजी पांडे था। वह एक प्रसिद्ध हिंदी फिल्म गीतकार थे। उनका जन्म 28 अक्टूबर 1930 को बनारस (अब वाराणसी), उत्तर प्रदेश में हुआ। आज उनकी पुण्यतिथि पर जानिए आखिर कौन थे अनजान, जिनके गीतों ने कई स्टार्स को अपने गानों पर नचाया।

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अनजान
- फोटो : सोशल मीडिया
मुंबई से शुरू हुआ सफर
अनजान 1951 में वे मुंबई चले गए ताकि फिल्म इंडस्ट्री में नाम कमाएं। उन्होंने अपना नाम 'अनजान' रखा, जिसका मतलब 'अज्ञात' होता है। मुंबई पहुंचने के बाद उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। शुरुआत में छोटी-छोटी फिल्मों में काम मिला। 1953 में फिल्म 'गोलकुंडा का कैदी' से उनका पहला ब्रेक मिला, जहां उन्होंने गाने लिखे जैसे 'लहर ये डोले कोयल बोले' और 'शहीदों अमर है तुम्हारी कहानी'। लेकिन सफलता मिलने में उन्हें करीब 20 साल लग गए। इस दौरान वे छोटी फिल्मों और नॉन-फिल्म एल्बम्स के लिए लिखते रहे। 1960 के दशक में जी.एस. कोहली के साथ 'लंबे हाथ' फिल्म का गाना 'मात पूछ मेरा है मेरा कौन वतन' लोकप्रिय हुआ।
अनजान 1951 में वे मुंबई चले गए ताकि फिल्म इंडस्ट्री में नाम कमाएं। उन्होंने अपना नाम 'अनजान' रखा, जिसका मतलब 'अज्ञात' होता है। मुंबई पहुंचने के बाद उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। शुरुआत में छोटी-छोटी फिल्मों में काम मिला। 1953 में फिल्म 'गोलकुंडा का कैदी' से उनका पहला ब्रेक मिला, जहां उन्होंने गाने लिखे जैसे 'लहर ये डोले कोयल बोले' और 'शहीदों अमर है तुम्हारी कहानी'। लेकिन सफलता मिलने में उन्हें करीब 20 साल लग गए। इस दौरान वे छोटी फिल्मों और नॉन-फिल्म एल्बम्स के लिए लिखते रहे। 1960 के दशक में जी.एस. कोहली के साथ 'लंबे हाथ' फिल्म का गाना 'मात पूछ मेरा है मेरा कौन वतन' लोकप्रिय हुआ।
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अनजान
- फोटो : सोशल मीडिया
हिंदी से लेकर भोजपुरी सिनेमा में चलाया जादू
अनजान को असली पहचान 1960 में मिली। उन्होंने ओ.पी. नैयर के साथ 'बहारे फिर भी आईं' में 'आप के हसीन रुख' और जी.पी. सिप्पी की 'बंधन' में 'बिना बादरा के बिजुरिया कैसे बरसे' जैसे गाने लिखे। फिर वे कल्याणजी-आनंदजी, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल, आर.डी. बर्मन और बप्पी लहरी जैसे बड़े संगीतकारों के साथ जुड़े। 1970 के दशक में भोजपुरी फिल्मों में भी एंट्री की, जैसे 'बलम परदेसिया' का सुपरहिट गाना 'गोरकी पतरकी रे'।
अनजान को असली पहचान 1960 में मिली। उन्होंने ओ.पी. नैयर के साथ 'बहारे फिर भी आईं' में 'आप के हसीन रुख' और जी.पी. सिप्पी की 'बंधन' में 'बिना बादरा के बिजुरिया कैसे बरसे' जैसे गाने लिखे। फिर वे कल्याणजी-आनंदजी, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल, आर.डी. बर्मन और बप्पी लहरी जैसे बड़े संगीतकारों के साथ जुड़े। 1970 के दशक में भोजपुरी फिल्मों में भी एंट्री की, जैसे 'बलम परदेसिया' का सुपरहिट गाना 'गोरकी पतरकी रे'।

अनजान
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अमिताभ बच्चन की फिल्मों के गानों से मिली प्रसिद्धि
अनजान को सबसे ज्यादा प्रसिद्धि अमिताभ बच्चन की फिल्मों से मिली। जैसे 'डॉन' का 'खाइके पान बनारस वाला', 'मुकद्दर का सिकंदर' का 'रोते हूए आते हैं सब', 'दो अंजाने' का 'लुक छिप लुक छिप जाओ ना', 'हरा फेरी', 'खून पसीना', 'लावारिस'। उन्होंने कुल 300 से ज्यादा फिल्मों के लिए 1500 से अधिक गाने लिखे। उनकी कविताओं में भोजपुरी और उत्तर प्रदेश की संस्कृति झलकती थी, जो गानों को खास बनाती थी। उनके पसंदीदा गानों में 'गंगा की सौगंध' के 'मानो तो मैं गंगा मां हूं' और 'चल मुसाफिर' शामिल थे। 1990 के दशक में स्वास्थ्य खराब होने से वे कम काम करने लगे, लेकिन 'घायल', 'आज का अर्जुन' का 'गोरी है कलाई' और 'शोला और शबनम' जैसे हिट गाने लिखे।
अनजान को सबसे ज्यादा प्रसिद्धि अमिताभ बच्चन की फिल्मों से मिली। जैसे 'डॉन' का 'खाइके पान बनारस वाला', 'मुकद्दर का सिकंदर' का 'रोते हूए आते हैं सब', 'दो अंजाने' का 'लुक छिप लुक छिप जाओ ना', 'हरा फेरी', 'खून पसीना', 'लावारिस'। उन्होंने कुल 300 से ज्यादा फिल्मों के लिए 1500 से अधिक गाने लिखे। उनकी कविताओं में भोजपुरी और उत्तर प्रदेश की संस्कृति झलकती थी, जो गानों को खास बनाती थी। उनके पसंदीदा गानों में 'गंगा की सौगंध' के 'मानो तो मैं गंगा मां हूं' और 'चल मुसाफिर' शामिल थे। 1990 के दशक में स्वास्थ्य खराब होने से वे कम काम करने लगे, लेकिन 'घायल', 'आज का अर्जुन' का 'गोरी है कलाई' और 'शोला और शबनम' जैसे हिट गाने लिखे।
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अनजान
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पर्सनल लाइफ
व्यक्तिगत जिंदगी में अनजान शादीशुदा थे और उनके तीन बच्चे थे - दो बेटियां संचिता और सुचिता और बेटा शीतला पांडे, जो गीतकार समीर के नाम से मशहूर हैं। समीर को उन्होंने कभी इंडस्ट्री में आने की सलाह नहीं दी, क्योंकि खुद के संघर्षों से डरते थे। समीर ने भी बिना पिता की मदद के अपना करियर बनाया। अनजान ने 1997 में अपनी कविताओं की किताब 'गंगा तट का बंजारा' भी छपवाई, जिसका विमोचन अमिताभ बच्चन ने किया।
व्यक्तिगत जिंदगी में अनजान शादीशुदा थे और उनके तीन बच्चे थे - दो बेटियां संचिता और सुचिता और बेटा शीतला पांडे, जो गीतकार समीर के नाम से मशहूर हैं। समीर को उन्होंने कभी इंडस्ट्री में आने की सलाह नहीं दी, क्योंकि खुद के संघर्षों से डरते थे। समीर ने भी बिना पिता की मदद के अपना करियर बनाया। अनजान ने 1997 में अपनी कविताओं की किताब 'गंगा तट का बंजारा' भी छपवाई, जिसका विमोचन अमिताभ बच्चन ने किया।