Panchayat Season 2: चंदन रॉय का छलका दर्द, मिडिल क्लास में घर वालों को नहीं लगता कि सिनेमा भी कोई करियर है
‘पंचायत’ जैसी वेब सीरीज की कामयाबी ने जीतेंद्र कुमार, रघुबीर यादव और नीना गुप्ता के करियर को नई उड़ान दी तो साथ साथ चंदन रॉय जैसे कम नामचीन कलाकारों को दुनिया भर में नई पहचान दी।



चंदन रॉय के पिता केदार नाथ रॉय पटना में कोतवाल (पुलिस इंस्पेक्टर) हैं। उनको भी लगता है कि बेटा वहीं पटना में रहकर कुछ करे तो अच्छा है। अपने दिल की दुविधा बताते हुए चंदन कहते हैं, ‘हम लोग जिस पृष्ठभूमि से आते हैं। वहां के लोगो की सोच ही ऐसी है कि लड़का सरकारी नौकरी करेगा तो ही समाज में सम्मान मिलेगा। फिर अच्छी शादी होगी तो शादी में खूब दहेज भी मिलेगा। घरवालों की इच्छा के विपरीत जाकर हम जैसे लोगों को यहां फिल्मी दुनिया में हाथ पैर मारना आसान नहीं है। जिनका यहां घर है। माता पिता हैं, उनके लिए ये सब आसान है। बाहरी दुनिया से आकर मायानगरी में अपनी ‘पंचायत’ सीजन वन जितनी जगह बना लेना भी आसान नहीं होता। लेकिन जानते हैं, मेरी मम्मी कहती हैं कि घर आ जाओ। उम्र बीत जाएगी तो सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी। बाद में पटना में कहीं पान की दुकान खोलनी पड़ेगा या फिर दलाली करनी पड़ेगी।’

फैल रही चंदन की खुशबू
अमेजन प्राइम वीडियो पर हिट रही वेब सीरीज ‘पंचायत’ सीजन वन में चंदन रॉय के पंचायत कार्यालय में सहायक के किरदार को लोगों ने खूब सराहा। खासतौर से उनकी और सचिव जी की केमिस्ट्री कमाल रही। प्रधान जी के साथ उनके संवादों की अदायगी पर भी खूब तालियां बजीं। लेकिन, ओटीटी स्टार बन चुके चंदन की ये शोहरत अभी तक उनके घर नहीं पहुंची है। वह बताते हैं, ‘वेब सीरीज ‘पंचायत’ के सीजन वन के बाद भी घरवालों के रवैये में कुछ खास बदलाव नहीं आया है। मेरी मम्मी आज भी कहती है कि बस तू इतना कमा ले कि अपना ख्याल रख सके। पहले भी घर वाले कहा करते थे, यहीं हाजीपुर में रहो और यही कमाओ खाओ। मुंबई जाना और हीरो बनना ये सब अपने लोगों के बस का नहीं है। जमाना कहां से कहां निकल आया लेकिन हम मिडिल क्लास के लोगों के सपने अब भी सरकारी नौकरी से आगे नहीं पहुंच पाए हैं।’

ये पूछे जाने पर कि आखिर वेब सीरीज ‘पंचायत’ के सीजन वन में काम कैसे मिला? चंदन रॉय इसका दिलचस्प किस्सा सुनाते हैं, ‘उन दिनों यहां मुंबई में अंधेरी पश्चिम के आराम नगर की गलियों में मैं ऑडिशन के लिए चक्कर काटा करता था। पता चला कि ‘कास्टिंग बे’ नामक कास्टिंग एजेंसी में किसी वेब सीरीज की कास्टिंग चल रही है। मैं भी चला गया तो वहां कास्टिंग देख रहे एक सज्जन मिले जो मुझे ऊपर से नीचे तक देखने के बाद बोले, रात को दो बजे आना। मैं रात को दो बजे पहुंच गया वहां। मुझे देखकर वह अचकचा गए। उन्हें शायद उम्मीद नहीं रही होगी कि कोई उनकी बात को गंभीरता से इतना ले लेगा। खैर, उन्होंने अपनी बात का मान रखा। मेरा ऑडीशन हुआ और मेरा सेलेक्शन भी ‘पंचायत’ सीजन वन के लिए हो गया।’

अभिनेता चंदन रॉय रहते मुंबई में हैं लेकिन उनका मन 24 घंटे मां के पास लगा रहता है। वह कहते है, ‘अभी दो महीने पहले मेरी मां का फोन आया। बोल रही थीं घर आ जाओ तो दरोगा की नौकरी लगवा देंगे। अभी भी मेरे घर वालों को नही लगता है कि मैं कुछ बड़ा काम कर रहा हूं। उनको मेरी चिंता रहती है कि अपनी कमाई से मैं ठीक से खा पी पा रहा हूं कि नही। पिता जी तो कई बार कह चुके हैं कि हाजीपुर या पटना में ही रहकर कुछ काम कर लो। उनकी सोच यही है कि वही पर इज्जत और प्रतिष्ठा से कमाऊं।’