हिंदी सिनेमा में पटकथाएं लिखने का एक नया दौर शुरू करने वाले जावेद अख्तर की बेटी जोया हिंदी सिनेमा की एकमात्र महिला फिल्म निर्देशक हैं जिन्होंने सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का फिल्मफेयर पुरस्कार दो बार जीता है। उनकी मां हनी ईरानी का भी फिल्म लेखन में बड़ा नाम रहा है। जोया की पिछली फीचर फिल्म ‘गली बॉय’ ने रिकॉर्ड 13 फिल्मफेयर पुरस्कार जीते और ये भारत की आधिकारिक प्रविष्टि के तौर पर ऑस्कर तक भी गई। अब उनकी नई फिल्म ‘द आर्चीज’ जल्द ही रिलीज होने वाली है। जोया अख्तर से ‘अमर उजाला’ के सलाहकार संपादक पंकज शुक्ल की एक एक्सक्लूसिव मुलाकात।
Zoya Akhtar Interview: जावेद अख्तर नहीं इन्हें सबसे पहले फिल्म दिखाती हैं जोया, बताया रीमा से दोस्ती का किस्सा
मेरे हिसाब से तो बहुत मुश्किल है। साथ काम करने की बजाय मैं कहूंगी कि हम आपस में सहयोग करते हैं। हम जिस कलाक्षेत्र में हैं, वह सहयोगी कला है। अकेले तो कोई फिल्म बना ही नहीं सकता। अभिनेता, निर्देशक, छायाकार, संगीतकार सबको सहयोग करना पड़ता है। लेकिन मुझे लगता है जो सबसे मुश्किल सहयोग है, वह दो लेखकों का होता है। दोनों के बीच अगर तारतम्य नहीं है तो बहुत मुश्किल होता है काम करना।
रीमा और मैं मिले थे एक फिल्म के सेट पर। एक फिल्म बन रही थी ‘बॉम्बे बॉयज’ (1998), हम दोनों उस फिल्म में सहायक निर्देशक थे। फिर हम दोनों ने साथ लिखना शुरू किया और धीरे धीरे पहली स्क्रिप्ट पूरी की। ये फिल्म थी ‘तलाश’ और उसके बाद फिर हम आगे ही बढ़ते गए।
हम एक बहुत ही प्रतिष्ठित कॉमिक बुक आर्चीज का सिनेमा के लिए अनुकूलन कर रहे थे। सबसे बड़ी चुनौती तो ये थी कि हम जैसे जो आर्चीज के फैन्स हैं, वे इसे पहली ही नजर में नकार न दें। उसके बाद हमें कुछ बेहद प्रतिभाशाली कलाकार मिले तो ये चुनौती थोड़ा कम हो गई। इन सबने इसके बारे में बहुत अध्ययन किया। हमने तो देखी हैं 50 और 60 के दशक की फिल्में, उन्होंने नहीं देखी हैं। उन्होंने उस दौर का संगीत सुना, उस दौर की फिल्में देखीं, कॉमिक बुक्स पढ़ीं और बहुत शोध किया अपने अपने किरदारों को लेकर।
ये बहुत ही दिलचस्प रहा है। मैंने मिहिर आहूजा को इससे पहले भी निर्देशित किया है तो उसका मेरे साथ रिश्ता अलग था। फिर डॉट एक संगीतकार है। मैं डॉट की प्रशंसक हूं। डॉट को मैं फॉलो करती थी, उसके संगीत को पसंद करती थी तो उससे रिश्ता अलग है। फिर अगस्त्य है मैं उसे जानती थी हालांकि ज्यादा तो नहीं क्योंकि उसकी परवरिश दिल्ली में हुई और फिर वह लंदन में रहा तो सबके साथ समीकरण अलग अलग थे।