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Bihar: क्या होगा बिहार में महागठबंधन का भविष्य, कितने दिन चलेगी नीतीश-तेजस्वी की सरकार?

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: हिमांशु मिश्रा Updated Sat, 13 Aug 2022 02:35 PM IST
सार

नीतीश कुमार मुख्यमंत्री तो हैं लेकिन महागठबंधन के सभी दलों को साथ लेकर चलना उनके लिए बड़ी चुनौती होगी। 2017 में जिन वजहों से नीतीश कुमार ने महागठबंधन का साथ छोड़ा था वो आज भी हैं। उस दौरान डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप का मामला अभी भी खत्म नहीं हुआ है।

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Bihar: Nitish got challenges with tejasvi, Know the future of alliance, how many days will government Work?
नीतीश कुमार - फोटो : अमर उजाला
बिहार में एक बार फिर  जदयू की महागठबंधन से दोस्ती हो गई है। नीतीश कुमार फिर से महागठबंधन के मुख्यमंत्री बन गए हैं। ज्यादा सीटें होने के बावजूद राजद नेता तेजस्वी यादव ने डिप्टी सीएम पद से संतोष कर लिया। राजद के अलावा इस महागठबंधन में कांग्रेस और वामपंथी दल भी हैं।


ऐसे में नीतीश कुमार मुख्यमंत्री तो हैं लेकिन सभी दलों को साथ लेकर चलना उनके लिए बड़ी चुनौती होगी। 2017 में जिन वजहों से नीतीश कुमार ने महागठबंधन का साथ छोड़ा था वो आज भी हैं। उस दौरान डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप का मामला अभी भी खत्म नहीं हुआ है।

सवाल ये है कि नीतीश कुमार और तेजस्वी मिलकर कितने दिन सरकार चला पाएंगे?  इस महागठबंधन का 2024 के लोकसभा और उसके बाद 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव में क्या होगा? आइए समझते हैं सियासी समीकरण...
 
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लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और मीसा भारती। (फाइल फोटो) - फोटो : अमर उजाला
पहले जानिए उन चुनौतियों के बारे में जिनसे नीतीश कुमार को दो-चार होना पड़ेगा 

1. लालू परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप: लालू के परिवार के कई सदस्यों पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव इस वक्त भी सजा काट रहे हैं। उनकी पत्नी राबड़ी देवी और उनकी बड़ी बेटी मीसा भारती और बेटे तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के मामले चल रहे हैं। तेजस्वी पर लगे आरोपों के बाद ही  2017 में नीतीश कुमार ने महागठबंधन से अलग होने का फैसला लिया था। 
 
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नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव - फोटो : अमर उजाला
2. पद और अहंकार को दूर रखना : बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं। इसमें राजद के 79, भाजपा के 77, जदयू के 45, कांग्रेस के 19, भाकपा (माले) के 12, भाकपा और माकपा के दो-दो,  एआईएमआईएम के एक, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के चार और एक निर्दलीय विधायक हैं। एक सीट रिक्त है। मतलब साफ है, इस वक्त महागठबंधन में सबसे ज्यादा सीटें राजद की हैं। इसके बावजूद जदयू के नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं। ऐसे में नीतीश को सरकार चलाने के लिए राजद को संतुष्ट करना पड़ेगा। सरकार में राजद का दखल भी पहले के मुकाबले इस बार ज्यादा होगा। इससे निपटा भी नीतीश के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। 
 
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आरजेडी कार्यकर्ता - फोटो : अमर उजाला
3. कार्यकर्ताओं का समन्वय : राजद, कांग्रेस और जदयू के कार्यकर्ताओं के बीच भी काफी मतभेद हैं। सरकार चलाने के लिए महागठबंधन के सभी दलों के कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच समन्वय भी नीतीश कुमार, तेजस्वी के लिए बड़ी चुनौती होगी। 
 
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नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव - फोटो : अमर उजाला
क्या होगा महागठबंधन का भविष्य? 
हमने यही सवाल बिहार के वरिष्ठ पत्रकार दिवाकर झा से पूछा। उन्होंने कहा, '2017 में जिन परिस्थितियों में नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग हुए थे, वो सभी को मालूम है। तब के और आज के समय में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है। हां, राजद पहले के मुकाबले ज्यादा मजबूत जरूर हो गई है। ऐसे में जाहिर है, मुख्यमंत्री भले ही नीतीश कुमार रहेंगे, लेकिन फैसला तेजस्वी यादव ही करेंगे।'

झा आगे कहते हैं, 'शपथ ग्रहण करने के बाद तेजस्वी ने नीतीश कुमार के पैर छूकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि नीतीश बड़े हैं और वह उनका सम्मान करते हैं। हालांकि, राजनीति में इस तरह की तस्वीरें आम हैं। यूपी चुनाव में भी अखिलेश यादव ने मायावती के पैर छूए थे। बाद में क्या हुआ सब ने देखा।'

दिवाकर के मुताबिक, तेजस्वी यादव को अभी अपना करियर बनाना है। वह मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। ऐसे में तेजस्वी लगातार मीडिया में बने रहने की कोशिश करते हैं। वह जनता के बीच जाकर कुछ भी एलान कर देते हैं। अगर वह आगे भी इसे जारी रखेंगे तो नीतीश सरकार के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है। इसी तरह कांग्रेस, वामपंथी दलों के साथियों को भी साथ लेकर चला नीतीश के लिए सिर दर्द साबित होगा। एनडीए में रहते हुए किसी भी फैसले के लिए केवल भाजपा को मनाना पड़ता था, लेकिन महागठबंधन में कई दलों की सहमति लेनी होगी। नीतीश कुमार अगर ऐसा नहीं कर पाए तो जल्द ही महागठबंधन का 2017 जैसा हाल होगा।
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