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इस तरह होती है सीमा पर घुसपैठ, कश्मीर में पाकिस्तानियों का घुसना सबसे आसान!

amarujala.com-Written by- श्रवण शुक्ला Updated Tue, 23 May 2017 04:53 PM IST
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Border Infiltration in India, kashmir is easy passage from pakistani side
सीमा पर तैनात जवान - फोटो : File Photo
भारतीय सेना ने नौशेरा में पाक चौकियों को तबाह कर दिया है। पाक चौकियों की तबाही का वीडियो भी भारतीय सेना ने जारी किया है, जिसमें भारतीयों ने पाकिस्तान की चौकियों पर गोले बरसाए हैं। क्या आपको पता है कि नौशेरा में पाक की चौकियों को तबाह करने की सबसे बड़ी वजह क्या है और क्यों भारतीय सेना ने उन्हीं चौकियों को निशाना बनाया?
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हर चौकी पर 35 जवान रहते हैं मुस्तैद

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प्रतीतात्मक तस्वीर - फोटो : DNA
सबसे पहले तो ये जान लें कि सीमा पर भारतीय सेना की 2 चौकियों के बीच 3.5 किलोमीटर की दूरी होती है और हर चौकी पर 35 जवान मुस्तैद रहते हैं। अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर पर वॉचटावर बने हुए हैं जहां से दूरबीन की मदद से निगरानी रखी जाती है। इस बॉर्डर पर खासी रौशनी रहती है और जवानों को नाईट-विज़न गॉगल्स भी दिए हुए हैं जिसकी मदद वो 24 घंटे गश्त लगाते रहते हैं। पर दो चौकियों के बीच दूरी, मौसम, पहाड़ियों और अंधेरे का काम उठाकर कश्मीर में आतंकी घुसपैठ करते ही रहते हैं। आगे पढ़ें, घुसपैठ की तरीकों और भारत-पाक की सेनाओं की स्थिति के संबंध में...
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आतंकी घुसपैठ को रोकने के लिए नौशेरा की पाक चौकी को किया गया तबाह

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उरी अटैक के समय की तस्वीर - फोटो : IDR
नौशेरा बॉर्डर लाइन के पास की पाक चौकियों को तबाह करने का सबसे बड़ा मकसद है पाक की ओर से होने वाले आतंकी घुसपैठ को रोकना। दरअसल, जब भी आतंकी हथियारों से लैस होकर भारत में घुसपैठ करते हैं, तो नौशेरा की जमीन उनको बेहद मदद करती है। एक तरफ से पाकिस्तानी सेना लगातार सीजफायर उल्लंघन करके भारतीय सेना को जवाबी फायरिंग में उलझाती है, तो दूसरी तरफ उसके समर्थन से आतंकी चुपचाप घुसपैठ कर जाते हैं। आगे जानें, किस तरह से पाक आर्मी घुसपैठियों को देती है कवर फायरिंग...

पहाड़ियों-दर्रों से घुसपैठ करते हैं आतंकी

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सर्च ऑपरेशन को अंजाम देती भारतीय सेना - फोटो : reuters
पाकिस्तानी आर्मी की कवर फायरिंग के दौरान भारतीय सैनिक चौकन्ने तो हो जाते हैं कि आस-पास की पहाड़ियों से आतंकी घुसपैठ कर रहे हैं। पर, कई बार उन्हें बेबस होना पड़ता है। इसकी वजह है पाक की इस मजबूत चौकी से चारो तरफ अंधाधुंध गोलीबारी और मोर्टार का इस्तेमाल। पाकिस्तानी सेना न सिर्फ भारतीय चौकी को निशाना बनाकर गोलीबारी करती है, बल्कि आसपास के गांवों को भी निशाना बनाती है। इसका फायदा ये होता है कि भारतीय सेना और राहत टीम बचाव कार्यों में लग जाती है, तो घुसपैठिए स्थानीय बोली और वेशभूषा में होने की वजह से उनके बीच घुलमिल जाते हैं। फिर थोड़े ही समय बाद वो कश्मीर के किसी भी हिस्से में तबाही मचाना शुरू कर देते हैं। आगे जानें, कैसे होती है कश्मीर में घुसपैठ...
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आतंकी दल को घुसपैठ करने में लग जाता है 3 दिनों तक का समय

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रात में गस्त लगाते सैनिक - फोटो : India Today
आतंकियों के लिए भी कश्मीर में घुसपैठ करना आसान नहीं होता। दरअसल, किसी आतंकी दल को घुसपैठ करने में कई बार कम से कम 3 दिनों तक का समय लग जाता है। इसके लिए उन्हें साफ मौसम, अंधेरी रात और स्थानीय मदद की जरूरत होती है। इसमें उनके सीमा इस पार और उस पार के स्लीपर सेल मदद करते हैं। ये स्लीपर सेल कई बार बच्चा भी हो सकता है या जानवरों को चराने वाला कोई गड़ेरिया भी। इसमें सबसे पहले रास्ते की पहचान की जाती है। हर बार के घुसपैठ में अलग अलग रास्तों, अलग पहाड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है। ये बेहद जोखिम भरा काम होता है। जानें, किस तरह की जाती है घुसपैठ...
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