लोकसभा चुनाव 2019: इन सीटों पर होगी कांटे की टक्कर, हर बाजी पर रहेगी पूरे देश की नजर
अमेठी
कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाली अमेठी में राहुल गांधी के सामने एक बार फिर भाजपा की राज्यसभा सांसद और मंत्री स्मृति ईरानी होंगी। इससे पहले साल 2014 में भी दोनों एक दूसरे को टक्कर दे चुके हैं। हालांकि, तब जीत राहुल के हाथ ही लगी थी, लेकिन मुकाबला बेहद कड़ा रहा था। राहुल को जहां 4 लाख 8 हजार वोट मिले थे वहीं स्मृति को 3 लाख वोट। वहीं 2009 में राहुल साढ़े तीन लाख वोट जीते थे।
शायद, यही वजह है कि पार्टी ने स्मृति पर ही दांव लगाना बेहतर समझा। यूं तो अमेठी सीट, गांधी परिवार की परंपरागत सीटों में शुमार है लेकिन 2019 का रण, 2014 से काफी अलग रहने वाला है। स्मृति भी पांच साल का अनुभव बटोर चुकी हैं। ऐसे में ये मुकाबला सुपरहिट से कम नहीं रहने वाला।
रामपुर
मंगलवार को बॉलीवुड अभिनेत्री और समाजवादी पार्टी से सांसद रह चुकीं जया प्रदा ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। जया प्रदा रामपुर से भाजपा की प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरेंगी। रामपुर में उनका मुकाबला सपा-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार आजम खान से होगा। आजम और जया की सियासी दुश्मनी भी जग जाहिर है, इसलिए इनके बीच यह चुनावी रण भी बेहद दिलचस्प होने वाला है।इधर भाजपा की तरफ से उम्मीदवार घोषित होने के बाद जया ने जहां खुशी जताई, वहीं, आजम खान ने दो टूक कहा कि चुनावी मैदान में कोई भी आए, लेकिन जीत सपा-बसपा गठबंधन की ही होगी।
बेगूसराय
गिरिराज सिंह की तमाम नाराजगी को दरकिनार कर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने साफ किया कि वो बेगूसराय से ही लड़ेंगे। एक तरफ जहां गिरिराज हैं तो दूसरी तरफ हैं जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष रहे कन्हैया कुमार। कन्हैया इस सीट से सीपीआई की टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। हमेशा से ही भाजपा पर हमलावर रहने वाले सीपीआई नेता कन्हैया कुमार और गिरिराज सिंह के बीच चुनावी रण में सुपरहिट मुकाबला देखना दिलचस्प होगा। कन्हैया को जहां सभी वाम दलों ने समर्थन देने का एलान किया है तो गिरिराज के सामने नवादा से दूर बेगूसराय के लोगों को अपना बनाने की चुनौती होगी।
मुजफ्फरनगर
मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश की बेहद संवेदनशील लोकसभा सीटों में आता है। यहां से भाजपा के संजीव बाल्यान एक बार फिर मैदान में हैं। लेकिन उन्हें चुनौती देने उतर रहे हैं, राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष और दिग्गज अजित सिंह। 2014 में संजीव बाल्यान इस सीट पर करीब 59 फीसदी वोटों के साथ 4 लाख वोट के बड़े अंतर से जीते थे। उन्होंने बसपा के कादिर राणा को मात दी थी। लेकिन, इस बार मुकाबला आसान नहीं होगा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश को रालोद का गढ़ माना जाता है। इस इलाके में उनकी अच्छी पैठ है। अजित सिंह खुद कद्दावर और तजुर्बेकार नेता हैं। तो इस सीट पर भी मुकाबला कड़ा रहेगा।