सब्सक्राइब करें

Shiv Sena: क्या महाराष्ट्र में फिर गिरेगी सरकार? जानें सुप्रीम कोर्ट में ठाकरे और शिंदे गुट ने क्या दलीलें दी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: हिमांशु मिश्रा Updated Wed, 03 Aug 2022 03:57 PM IST
सार

कोर्ट में ठाकरे और शिंदे गुट के बीच खूब बहस हुई। दोनों ने अपने-अपने दावे रखे। इस दौरान चीफ जस्टिस ने भी कई टिप्पणी की। आइए जानते हैं कि कोर्ट में क्या-क्या हुआ? शिवसेना पर किसका दावा होगा पक्का? क्या फिर से महाराष्ट्र में सरकार गिर जाएगी? 

विज्ञापन
Will government fall again in Maharashtra? Know what arguments the uddhav Thackeray and eknath Shinde gave in
महाराष्ट्र में सियासी घमासान - फोटो : अमर उजाला
महाराष्ट्र की पिछले दो महीने से जारी सियासी लड़ाई पर बुधवार को फिर से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले में कुल पांच याचिकाएं दायर हैं। एकनाथ शिंदे, उद्धव ठाकरे, राज्यपाल और विधानसभा अध्यक्ष सभी इसमें पक्षकार बनाए गए हैं। चीफ जस्टिस एनवी रमना खुद इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं। 


वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक सिंघवी ने कोर्ट में उद्धव ठाकरे का पक्ष रखा। एकनाथ शिंदे की तरफ से हरीश साल्वे, महेश जेठमलानी, नीरज किशन कौल कोर्ट में पेश हुए। राज्यपाल के वकील तुषार मेहता ने अपनी बात रखी। 

कोर्ट में ठाकरे और शिंदे गुट के बीच खूब बहस हुई। दोनों ने अपने-अपने दावे रखे। इस दौरान चीफ जस्टिस ने भी कई टिप्पणी की। आइए जानते हैं कि कोर्ट में क्या-क्या हुआ? शिवसेना पर किसका दावा होगा पक्का? क्या फिर से महाराष्ट्र में सरकार गिर जाएगी? 
 
Trending Videos
Will government fall again in Maharashtra? Know what arguments the uddhav Thackeray and eknath Shinde gave in
उद्धव ठाकरे गुट की तरफ से कपिल सिब्बल और अभिषेक सिंघवी ने दलील पेश की। - फोटो : अमर उजाला
उद्धव ठाकरे के वकीलों ने क्या-क्या कहा? 
सुनवाई के दौरान सबसे पहले उद्धव ठाकरे गुट ने अपना पक्ष रखा। ठाकरे गुट के वकील कपिल सिब्बल ने कहा, 'अगर दो तिहाई विधायक शिवसेना से अलग होना चाहते हैं, तो उन्हें किसी से विलय करना होगा या नई पार्टी बनानी होगी। वह नहीं कह सकते कि वह मूल पार्टी हैं।' इसपर चीफ जस्टिस ने पूछ कि मतलब आप कह रहे हैं कि उन्हें भाजपा में विलय करना चाहिए था या अलग पार्टी बनानी थी? 

जिसका जवाब देते हुए सिब्बल बोले, नियम तो यही कहता है। आगे सिब्बल ने कहा, दो तिहाई विधायक यह नहीं कह सकते हैं कि वह ही मूल राजनीतिक पार्टी हैं। 10वीं अनुसूची (दल-बदल विरोधी प्रावधान) का पैरा-4 इसकी अनुमति नहीं देता है। 

सिब्बल ने कहा, 'जिस तरह से उन्होंने पार्टी छोड़ दी है। वह मूल पार्टी होने का दावा नहीं कर सकते। ये स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने चुनाव आयोग के समक्ष ये स्वीकार किया है कि पार्टी में फूट पड़ी है।' 

इसके बाद सिब्बल ने ओरिजनल राजनीतिक पार्टी की परिभाषा पढ़कर सुनाई। इसके बाद कर्नाटक विधानसभा के विवाद का भी जिक्र किया और कोर्ट के पुराने फैसले को दलील के तौर पर पेश किया।  
 
विज्ञापन
विज्ञापन
Will government fall again in Maharashtra? Know what arguments the uddhav Thackeray and eknath Shinde gave in
एकनाथ शिंदे की तरफ से साल्वे, कौल और जेठमलानी केस लड़ रहे। - फोटो : अमर उजाला
शिंदे गुट ने क्या कहा? 
शिंदे गुट की तरफ से वकील हरीश साल्वे ने दलीलें दी। उन्होंने कहा, 'जिस नेता को बहुमत का समर्थन न हो। वह कैसे बना रह सकता है? सिब्बल ने जो बातें कही हैं, वह प्रासंगिक नहीं हैं। किसने इन विधायकों को अयोग्य ठहरा दिया? जब पार्टी में अंदरूनी बंटवारा हो चुका हो तो दूसरे गुट की बैठक में न जाना अयोग्यता कैसे हो गया?'

इस पर चीफ जस्टिस ने पूछा कि इस तरह से तो पार्टी का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। विधायक चुने जाने के बाद कोई कुछ भी कर सकेगा? इसका जवाब देते हुए साल्वे ने कहा, ' हमारे यहां यह भ्रम है कि किसी एक नेता को ही पूरी पार्टी मान लिया जाता है। मैं यहां साफ कर देना चाहता हूं कि हम (एकनाथ शिंदे गुट) अभी भी पार्टी में हैं। हमने पार्टी नहीं छोड़ी है। हमने नेता के खिलाफ आवाज उठाई है। इसके चलते पार्टी में दो गुट बन गए हैं। क्या 1969 में कांग्रेस में भी ऐसा नहीं हुआ था? ऐसा कई बार हो चुका है। ऐसी स्थिति में चुनाव आयोग तय करता है कि कौन सही है और कौन गलत? 

चीफ जस्टिस ने इस पर सवाल किया कि आप चुनाव आयोग क्यों गए हैं? इसके जवाब में साल्वे ने कहा, 'सीएम के इस्तीफे के बाद स्थिति में बदलाव हुआ है। अब बीएमसी चुनाव आने वाला है। यह तय होना जरूरी है कि पार्टी का चुनाव चिह्न कौन इस्तेमाल करेगा।' 

साल्वे से चीफ जस्टिस ने फिर सवाल पूछा कि आप दोनों में पहले सुप्रीम कोर्ट कौन आया था? इसका जवाब देते हुए साल्वे ने कहा, 'हम आए थे क्योंकि डिप्टी स्पीकर ने अयोग्यता का नोटिस भेजा था। लेकिन, उनके खिलाफ खुद ही पद से हटाने की कार्रवाई लंबित थी। वह नबाम रेबिया फैसले के चलते ऐसा नहीं कर सकते थे।' 

साल्वे की बात पर चीफ जस्टिस ने फिर टिप्पणी की। उन्होंने कहा, 'हमने 10 दिन के लिए सुनवाई टाली थी। इस बीच आपने (एकनाथ शिंदे गुट) सरकार बना ली। स्पीकर बदल गए। अब आप कह रहे हैं, सारी बातें निरर्थक हैं।' 
इसके जवाब में साल्वे ने कहा, 'मैं ऐसा नहीं कह रहा कि इन बातों पर अब विचार ही नहीं होना चाहिए।' 

चीफ जस्टिस ने शिंदे पक्ष से उनके बिंदुओं को ड्राफ्ट करके कोर्ट को सौंपने के लिए कहा। जस्टिन रमना ने कहा, 'हम कल 10 से 15 मिनट विचार करेंगे।' शिंदे गुट ने कोर्ट में एक हलफनामा भी दाखिल किया है। इसमें उद्धव गुट की याचिका को खारिज करने का आग्रह किया गया है। शिंदे गुट ने कहा कि शिवसेना पर फैसला चुनाव आयोग को लेने दें। कोर्ट में यह तय नहीं होगा कि विभाजन सही है या नही?
 
Will government fall again in Maharashtra? Know what arguments the uddhav Thackeray and eknath Shinde gave in
राज्यपाल की तरफ से तुषार मेहता ने अपनी बात रखी। - फोटो : अमर उजाला
राज्यपाल के वकील ने भी दी दलील
राज्यपाल की तरफ से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। उन्होंने कहा, 'लोग एक विचारधारा को चुनते हैं। एक गठबंधन में चुनाव लड़कर, दूसरे के साथ सरकार बना लेना गलत है। राजेन्द्र सिंह राणा मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सार यही है।'
 
विज्ञापन
Will government fall again in Maharashtra? Know what arguments the uddhav Thackeray and eknath Shinde gave in
एकनाथ शिंदे - फोटो : ANI
तो क्या गिर जाएगी शिंदे सरकार? किसे मिलेगी शिवसेना? 
सुप्रीम कोर्ट में दोनों पक्ष एक-दूसरे पर जमकर निशाना साध रहे हैं। दोनों का दावा है कि शिवसेना उनकी पार्टी है। ऐसे में कोर्ट क्या फैसला सुना सकता है? क्या शिंदे सरकार गिर जाएगी? शिवसेना पर किसका होगा कब्जा? 

ये समझने के लिए हमने सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता चंद्र प्रकाश पांडेय से बात की। उन्होंने कहा, 'पिछले एक महीने में काफी कुछ बदल चुका है। फ्लोर टेस्ट और फिर शिंदे मुख्यमंत्री बन चुके हैं। फ्लोर टेस्ट में शिंदे ने विधायकों का समर्थन हासिल किया है। उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। ऐसे में संभव है कि इस मसले में कोर्ट चुनाव आयोग का भी पक्ष जानने की कोशिश करेगी। क्योंकि कानून के हिसाब से अब चुनाव आयोग को ही तय करना है कि शिवसेना पर किसका अधिकार रहेगा? इसलिए कोर्ट चुनाव आयोग को भी इस मसले में पक्षकार बना सकती है। चुनाव आयोग का फैसला आने तक कोर्ट इस मामले की सुनवाई रोक भी सकती है।'

पांडेय आगे कहते हैं, 'शिंदे ने भले ही विधानसभा में बहुमत साबित कर दिया है, लेकिन शिवसेना पर दावा करने के लिए उन्हें पार्टी के नेताओं का साथ चाहिए होगा। अगर उनके पास पार्टी के ज्यादा नेताओं का समर्थन होगा तो वह शिवसेना हासिल कर सकते हैं। हाल ही में तमिलनाडु में एआईएडीएमके पर अधिकार को लेकर हुई जंग का नतीजा सबके सामने है। पलानीस्वामी पर पार्टी के ज्यादातर चुने गए सदस्यों ने विश्वास जताया और उन्हें अंतरिम महासचिव बना दिया गया। वहीं, पनीरसेल्वम को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।'
विज्ञापन
अगली फोटो गैलरी देखें

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed