कश्मीर संभाग में कुलगाम जिले के वनपुह गांव में आतंकियों की बर्बरता ने एक हंसते-खेलते कश्मीरी पंडित बंटू शर्मा के परिवार की खुशियां छीन लीं। आतंकियों ने इस घर के इकलौते चिराग को बुझा दिया। वह घर में अकेला कमाने वाला था। 1990 के दशक के आतंकवाद को देख चुके इस परिवार का हौसला कोई नहीं तोड़ पाया और विपरीत परिस्थितियों से लड़ते हुए उन्होंने पलायन के बारे में भी नहीं सोचा। बंटू शर्मा की हत्या के बारे में जिसने भी सुना, वह पीड़ित परिवार को सहानुभूति देने के लिए पहुंचा।
गौरतलब है कि शुक्रवार को आतंकियों ने पुलिस में बतौर फॉलोवर काम कर रहे बंटू शर्मा को नजदीक से गोली मारकर उन्हें मौत के घाट उतार दिया। जैसे ही वनपुह इलाके में इसकी सूचना पहुंची, मातम पसर गया। बंटू के परिवार वालों का रो-रोकर बुरा हाल था। आसपास के गांव वाले और पड़ोसी कश्मीरी पंडित बंटू शर्मा के घर पहुंचे।
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रोते-बिलखते परिजन
- फोटो : अमर उजाला
घर में रोती-बिलखती बंटू की पत्नी मिनाक्षी शर्मा (25) पति को पुकार रही थी। इस बीच इलाके के सभी लोगों ने इस घटना की कड़ी निंदा की। बता दें कि बंटू के पिता त्रिलोक शर्मा का देहांत कुछ वर्ष पहले हुआ था।
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उधर, नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के पूर्व एमएलसी अब्दुल मजीद लारमी ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि यह परिवार पिछले 30 वर्षों से अधिक समय से यहीं पर रह रहा है। उन्होंने कहा कि बाकी कश्मीरी पंडितों के घर भी हैं, लेकिन वो लोग आते-जाते रहते हैं। लेकिन यह परिवार हर परिस्थिति में यहां डटा रहा है।
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लारमी ने कहा कि शहीद पुलिसकर्मी के पिता भी एक अच्छे इंसान थे और गांव वालों के साथ उनका काफी ज़्यादा उठना-बैठना था।
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जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मैं दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में हुए आतंकवादी हमले की निंदा करता हूं। जम्मू कश्मीर पुलिस के कांस्टेबल बंटू शर्मा के परिवार और सहयोगियों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं।