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Joint Pain & Arthritis: 30 की उम्र में ही सताने लगा घुटनों में दर्द? डॉक्टर ने बताए इसके कारण और बचाव के तरीके
हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अभिलाष श्रीवास्तव
Updated Sat, 13 Sep 2025 07:49 PM IST
सार
शरीर में पोषण की कमी, खासकर विटामिन डी, कैल्शियम और ओमेगा-3 की कमी हड्डियों को कमजोर करती है। जिसके चलते 30 से कम आयु वालों में भी हड्डियों-जोड़ों की दिक्कत बढ़ती जा रही है।
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कम उम्र के लोगों में हड्डियों की समस्या
- फोटो : Freepik.com
जोड़ों-हड्डियों में दर्द की समस्या आमतौर पर उम्र बढ़ने के साथ होने वाली दिक्कत मानी जाती रही है। पर हाल के वर्षों में कम उम्र के लोग भी इसका शिकार होते जा रहे हैं। अब 30 साल की उम्र वालों में भी इसका असर दिख रहा है। जोड़ों में सूजन और दर्द यानी आर्थराइटिस के बढ़ते जोखिमों के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञ मुख्य रूप से बदलती जीवनशैली को प्रमुख कारण मानते हैं।
डॉक्टर कहते हैं, आजकल लोग लंबे समय तक बैठकर काम करते हैं, मोबाइल और लैपटॉप का ज्यादा उपयोग करते हैं और व्यायाम की कमी रहती है। इससे मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और जोड़ों पर दबाव बढ़ता है। इसके साथ ही खानपान में गड़बड़ी जैसे ज्यादा तली-भुनी चीजें, जंक फूड्स और मीठी चीजों का बढ़ता सेवन शरीर में सूजन बढ़ाता है।
वजन बढ़ने से भी घुटनों और कमर पर अतिरिक्त भार पड़ता है, जिससे दर्द और आर्थराइटिस की आशंका बढ़ जाती है।
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जोड़ों-हड्डियों की बीमारी
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क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
शोध बताते हैं कि शरीर में पोषण की कमी, खासकर विटामिन डी, कैल्शियम और ओमेगा-3 की कमी हड्डियों को कमजोर करती है। जिसके चलते 30 से कम आयु वालों में भी हड्डियों-जोड़ों की दिक्कत बढ़ती जा रही है।
अमर उजाला से बातचीत में फिजियोथेरेपिस्ट डॉ जोहैब काजी बताते हैं, आर्थराइटिस कई वजहों से हो सकता है। सबसे पहले शरीर में सूजन इन्फ्लेमेशन की प्रक्रिया अधिक सक्रिय हो जाती है। यह सूजन असंतुलित खानपान, तनाव, नींद की कमी और प्रदूषण से उत्पन्न होती है। इसके अलावा जब शरीर में फ्री रेडिकल्स बढ़ते हैं तो कोशिकाओं को नुकसान होता है और जोड़ों में दर्द, जकड़न जैसी समस्याएं सामने आती हैं।
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हड्डियों की समस्या
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मोटापा और हार्मोनल असंतुलन भी जिम्मेदार
कम उम्र के लोगों में बढ़ती इस दिक्कत का दूसरा बड़ा कारण है वजन बढ़ना। अधिक वजन की स्थिति घुटनों, कमर और कंधों पर अतिरिक्त दबाव डालती है। इससे कार्टिलेज यानी जोड़ों की गद्दी जैसी संरचना पर दबाव होता है और दर्द बढ़ सकती है। अगर आपको जोड़ों में दर्द महसूस हो रहा है तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अपने डॉक्टर से समय रहते इस बारे में सलाह लें।
30 से कम उम्र की महिलाओं में बढ़ती जोड़ों-हड्डियों की समस्या के लिए हार्मोनल असंतुलन जिम्मेदार हो सकता है।
महिलाओं में पीसीओएस या थायरॉइड की समस्या, पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन की कमी भी हड्डियों को कमजोर कर सकती है।
अगर आप दिनभर बैठे रहते हैं तो इसके कारण मांसपेशियों में रक्त का संचार कम हो जाता है और मांसपेशियों की सख्ती भी बढ़ जाती है। इन स्थितियों के कारण भी जोड़ों-हड्डियों में दर्द और तनाव बढ़ने लगता है।
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विटामिन-डी वाली चीजें हड्डियों के लिए जरूरी
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आर्थराइटिस के खतरे को कैसे कम करें?
डॉक्टर कहते हैं, आर्थराइटिस का खतरा कम उम्र के लोगों में भी देखा जा रहा है। इससे बचे रहने के लिए रोजमर्रा की आदतों में आज से ही कुछ बदलाव कर लें।
आर्थराइटिस से बचाव के लिए सबसे पहले जीवनशैली में सुधार जरूरी है। डॉक्टर शोध बताते हैं कि कैल्शियम और विटामिन डी हड्डियों को मजबूत बनाते हैं। दूध, दही, पनीर, हरी पत्तेदार सब्जियां, बादाम से इनकी पूर्ति की जा सकती है।
ओमेगा-3 फैटी एसिड, जो मछली, अलसी और अखरोट में मिलता है, सूजन कम करने में मदद करता है। इन सभी को आहार का हिस्सा बनाएं।
इसके अलावा हड्डियों-मांसपेशियों को स्वस्थ रखने के लिए रोजाना कम से कम 30 मिनट का हल्का व्यायाम जैसे वॉकिंग, तैराकी, योग या स्ट्रेचिंग करें। इससे मांसपेशियां मजबूत होती है और जोड़ों को आराम मिलता है। जिन लोगों को वजन अधिक है उन्हें इसे कम करने पर ध्यान देना चाहिए। अधिक वजन के कारण घुटनों और जोड़ पड़ता है, वजन घटाकर इस समस्या के जोखिमों को कम कर सकते हैं।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
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